Bihar Chunav: संतोष कुशवाहा के पाला बदलने से मचा सियासी भूचाल, टिकट न मिलने पर हो सकती है बगावत
धमदाहा में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा के राजद में शामिल होने से सियासी समीकरण बदल गया है, जिससे हर तरफ चुनावी चर्चा है। इस बदलाव से जातीय समीकरणों की चर्चा भी तेज हो गई है। नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।

संतोष कुशवाहा ने थामा आरजेडी का दामन। (सौ. इंटरनेट)
संवाद सूत्र, धमदाहा (पूर्णिया)। विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही धमदाहा की सियासत उबाल पर है। सुबह की चाय से लेकर शाम की चौपाल तक, हर जगह अब सिर्फ चुनावी चर्चा है।
हवा में अब वह पुरानी शांति नहीं, बल्कि हर किसी के मन में 'कौन किसके साथ जाएगा' वाली जिज्ञासा तैर रही है। खासकर पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा के पाला बदलने के बाद से धमदाहा का सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गया है।
उनके राजद में शामिल होने की खबर ने मानो पूरे इलाके की राजनीति को झकझोर दिया हो। यह कदम अब यहां की हर गलियों में चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है।
किसी चाय की दुकान पर यह फैसला राजनीतिक दूरदर्शिता बताया जा रहा है तो कहीं 'सत्ता के लिए किया गया विश्वासघात' कहा जा रहा है। एक बुजुर्ग ग्रामीण हंसते हुए कहते हैं कि अबकी चुनाव में विकास के साथ-साथ चालाकी का भी टेस्ट होने वाला है।
अब तक जहां धमदाहा की राजनीति विकास के मुद्दों पर घूम रही थी, वहीं संतोष कुशवाहा के इस कदम के बाद जातीय फैक्टर की सुगबुगाहट ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है।
गांव की गलियों में अब यह सवाल गूंज रहा है कि क्या कुशवाहा वोट अब पूरी तरह से राजद के खाते में जाएंगे, या पुराना समीकरण टूटेगा। स्थानीय विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम न केवल धमदाहा बल्कि पूरे पूर्णिया जिले के लिए सियासी लकीरें फिर से खींच सकता है। संतोष कुशवाहा की एंट्री से राजद के पुराने दावेदारों की नींद उड़ी हुई है।
जिन नेताओं ने महीनों से क्षेत्र में पसीना बहाया था, अब वे खुद को हाशिये पर महसूस कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, कई स्थानीय नेता अब अपने समर्थकों से आगे की रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं। अंदरखाने से यह भी खबर है कि कुछ लोग बगावत की तैयारी में हैं, जो आने वाले दिनों में पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकता है।
धमदाहा के वयोवृद्ध रामप्रकाश मेहता कहते हैं कि इस बार का चुनाव सबसे रहस्यमय होगा। लोग चुप हैं, पर सबका मन बना हुआ है। बस कोई नहीं चाहता कि पहले खुलासा करे। वहीं रेखा देवी, जो महिला मतदाता समूह की सक्रिय सदस्य हैं, बताती हैं कि पहली बार महिलाएं इतनी सजग हैं।
सबको पता है कि वोट की कीमत क्या है। इस बार कोई दबाव नहीं, फैसला दिल और दिमाग दोनों से होगा। इधर जनसुराज ने अब तक धमदाहा से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, जिससे प्रत्याशियों की बेचैनी और बढ़ गई है। चार-पांच संभावित चेहरे पटना में पार्टी नेतृत्व से संपर्क साधने में लगे हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर प्रचार अभियान तेज हो गया है। कई प्रत्याशी हमारा उम्मीदवार कौन। जैसे पोस्ट डालकर खुद को चर्चा में बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
नामांकन प्रक्रिया आज से शुरू, प्रशासन तैयार
इस सबके बीच धमदाहा अनुमंडल कार्यालय में नामांकन प्रक्रिया आज से शुरू हो रही है। सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक उम्मीदवार अपने कागजात दाखिल कर सकेंगे।
अनुमंडल पदाधिकारी अनुपम कुमार ने बताया कि नामांकन प्रक्रिया को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। बीएसएफ और स्थानीय पुलिस की टीम पूरे अनुमंडल क्षेत्र में फ्लैग मार्च कर रही है ताकि माहौल शांत बना रहे।
धमदाहा की गलियों में इस वक्त इंतजार और उत्सुकता का माहौल है। हर कोई यह जानना चाहता है कि इस बार कौन टिकट पाएगा, कौन नाराज होकर मैदान से बाहर होगा और कौन ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाएगा।
लोग कहते हैं कि इस बार का चुनाव “वोट से ज्यादा भावनाओं का संघर्ष” होगा- जहां हर फैसला अगले पांच साल की राजनीति तय करेगा।
धमदाहा में इस बार का चुनाव एक साधारण मुकाबला नहीं, बल्कि विकास, जातीय समीकरण, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और जनभावनाओं का मिश्रण बन चुका है। नामांकन शुरू हो चुका है -अब बस इंतजार है पहले उम्मीदवार के आने और राजनीतिक माहौल के नए मोड़ लेने का।
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