खुद में बड़ा संदेश दे गई आठ महिलाओं की कहानी
समाज सुधार यात्रा के क्रम में सीएम ने आठ वैसी महिलाओं की कहानी भी सुनी जिनकी जिदगी कभी सामाजिक कुरीतियों के कारण नरक बन चुकी थी। खुद के जज्बे से उन महिलाओं ने न केवल उस भंवर को पार किया बल्कि आज उनकी जिदगी बिल्कुल बदल चुकी है।

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। समाज सुधार यात्रा के क्रम में सीएम ने आठ वैसी महिलाओं की कहानी भी सुनी, जिनकी जिदगी कभी सामाजिक कुरीतियों के कारण नरक बन चुकी थी। खुद के जज्बे से उन महिलाओं ने न केवल उस भंवर को पार किया बल्कि आज उनकी जिदगी बिल्कुल बदल चुकी है। हर महिला की इस कहानी पर खुद मुख्यमंत्री भी खूब तालियां बजायी और वहां काफी संख्या में मौजूद जीविका दीदियां के चेहरे पर विजयी भाव तैरता रहा।
कभी शराब बेचकर परिवार चलाने वाली मनिहारी, कटिहार की मयंकी मूर्मू ने जीविका से जुड़ाव व फिर स्वरोजगार से जिदगी संवारने की कहानी सुनाई। पति की मौत के बाद सड़क पर आ चुकी मयंकी ने कहा कि अब उन्हें विषम परिस्थिति से कोई भय नहीं है। वे अपने साथ अपनी बहन के पुत्र को भी बेहतर शिक्षा दे रही है। दिघलबैंक, किशनगंज की आलिस किस्कू, अररिया सदर की राजमणि टूडडू, पूर्णिया पूर्व की अजमती खातून, ठाकुरगंज, किशनगंज की रेखा देवी, पूर्णिया पूर्व की कंचन देवी, फारबिसगंज की अरुणा देवी व कटिहार सदर की अनामिका खातून ने अपनी-अपनी कहानी मंच से सुनाई। ये ऐसी महिलाएं थी, जिसे भले ही शुद्ध शुद्ध हिदी बोलना नहीं आ रहा था, लेकिन उनकी भावों को सभी समझ रहे थे। मंच पर माइक थामने वाली इन महिलाओं का आत्मविश्वास व अभिशप्त जिदगी से मुक्त होने की प्रसन्नता उनके जुबान से साफ निकल रही थी। इसमें अधिकांश महिलाएं बाल विवाह की शिकार हुई थी। कुछ का शराब के कारण घर बार उजड़ गया था। किसी की बेटी की बारात दहेज के खातिर लौट गई थी। इन परिस्थितियों ने उन्हें विचलित करने की बजाय और मजबूत बना दिया। जीविका से जुड़ी इन महिलाओं के लिए सरकार की योजना बड़ा संबल बना और फिर इन महिलाओं ने उन अभिशापों के खिलाफ मुहिम की कमान भी थाम ली।
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