किताबें समय पर भेजी, लेकिन रखें कहां? सुरक्षित गोदाम न होने से बारिश-चूहों का खतरा
नई सरकार के गठन के साथ ही शिक्षा विभाग सजग है और अगले सत्र से पहले ही किताबें भेज रहा है, ताकि बच्चों को समय पर किताबें मिल सकें। मुख्यालय स्थित बीआरस ...और पढ़ें

सुरक्षित गोदाम न होने से बारिश-चूहों का खतरा
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। नई सरकार के गठन के साथ ही शिक्षा विभाग काफी सजग दिखने लगा है तथा वह अगला सत्र आने से पूर्व ही बच्चों के पढ़ने के लिए किताबों को भेजना शुरू कर दिया है, ताकि बच्चों को समय से पढ़ने के लिए किताबें मिल सके।
परंतु सबसे बड़ा यक्ष-प्रश्न यह बना हुआ है कि बिना सुरक्षित गोदाम के यह किताबें कहां रखी जाएंगी । बता दें कि मुख्यालय स्थित बीआरसी में अगले सत्र के लिए किताबें आनी शुरू हो गई हैं। अब तक दो ट्रकें किताबें पहुंच चुकी है ।
दूर्भाग्य है कि किताबें तो सरकार भेज रही है, परंतु वह किताबें कहां रखी जाएंगी, इसके लिए सरकार सजग नहीं दिख रही है । बीआरसी में बैठे शिक्षाकर्मी बड़े ही पेशोपेष में हैं कि आखिर किताबें कहां रखी जाए।
किचन, बरामदे में रखे जा रहे किताब
किताबों से भरी बोरियों को बीआरसी के किचन, बरामदे में रखे जा रहे हैं। जहां अगर बारिश हो जाए तो उसका भींगना तय है। दूसरी ओर चूहों से अलग खतरा है। विद्यालयों में अभी किताबें नहीं भेजे जा सकते, क्योंकि सत्र आरंभ होने में अभी चार महीने बाकी हैं ।
इस संबंध में बीआरसी के कर्मी सुशांत कुमार कहते हैं कि बीआरसी का एक बड़े हॉल में लगभग दस साल से मध्याह्न भोजन का चावल रख हुआ है, जो शील्ड है। बीआरसी में कहीं भी जगह नहीं है कि किताबें सुरक्षित रखी जा सकें। देखें ये किताबें कब तक सुरक्षित रहती हैं, यक्ष-प्रश्न बना हुआ है।

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