Bihar: 149 नए नंबरों से 48 घंटे में ठगी के 51 हजार काल... बिहार के सबसे बड़े साइबर ठग हर्षित पर EOU का बड़ा खुलासा
Bihar News बिहार के सुपौल के गौसपुर गांव में बैठकर साइबर फ्राड हर्षित ने 149 नंबरों से 48 घंटे में ठगी के लिए 51 हजार काल किए। उसने वैशाली से निर्गत 231 मोबाइल सिम का इसके लिए इस्तेमाल किया। आर्थिक अपराध इकाई ने सुपौल के हर्षित पर चौंकाने वाला खुलासा किया है। हर्षित की गोवा पुलिस को भी तलाश है। वह वियतनाम व थाइलैंड की यात्रा कर चुका है।

राजीव कुमार, पूर्णिया। Bihar News सुपौल के गौसपुर से गिरफ्तार साइबर ठग हर्षित कुमार के खिलाफ आर्थिक अपराध की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे है। इस मामले में आर्थिक अपराध इकाई को उसके द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले वैशाली से निर्गत 231 एअरटेल के मोबाइल नंबरों से कई तथ्य मिले हैं। आर्थिक अपराध इकाई ने इस साइबर ठग को तब दबोचा जब उसने बैशाली के आठ सेल प्वाइंट से खरीदे गये 231 मोबाइल नंबरों में से 149 नंबरों से 30 जून 2025 से दो जुलाई 2025 के बीच महज 48 घंटे में 51 हजार काल साइबर ठगी के लिए किया।
इसके पूर्व 21 जून 2025 से 23 जून 2025 के बीच भी इस साइबर ठग ने वैशाली से निर्गत 50 मोबाइल नबंरों से 10 हजार से अधिक काल साइबर फ्राड के लिए किया। इस मामले की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि जिन पचास मोबाइल नंबरों का प्रयोग साइबर फ्राड हर्षित द्वारा किया जा रहा था, उसमें से 27 मोबाइल नंबर एक ही मोबाइल सेल प्वाइंट से खरीदा गया था।
साइबर फ्राड हर्षित ने जो वैशाली से 231 मोबाइल सिम खरीदा था। उसमें पंकज मोबाइल से 67 मोबाइल सिम, न्यू गोल्डेन से 12 मोबाइल सिम, मुकेश टेलीकाम से 18 सिम, किरन मोबाइल से 60 सिम गोल्डन टाइम से 18 मोबाइल सिम , कोलकाता से 35 सिम एवं अर्जुन प्रतिनिधि से 21 मोबाइल सिम खरीदे गये थे। इस मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि इस साइबर ठग ने अपने गिरोह के लिए कोसी एवं सीमांचल के जिलों के लोगों के नाम से पांच हजार से अधिक मोबाइल सिम हासिल कर उसका फर्जीवाड़ा में उपयोग किया है।
हर्षित ने सिम कार्ड के लिए फैला रखा था नेटवर्क
आर्थिक अपराध इकाई ने जब हर्षित को पकड़ा तो उसके पास आठ सिम बाक्स में लगे 231 मोबाइल सिम के अलावा 294 नया एअरटेल सिम के अलावा 800 उपयोग किया हुआ सिम बरामद किया गया। सिम के लिए हर्षित ने इसके लिए बिहार के कई जिलों पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा सहित भागलपुर, मुंगेर, जमुई, औरगाबाद झारखंड के पाकुड़, जामताड़ा, सहित कई जिलों में अपने नेटवर्क का विस्तार किया। झारखंड के पाकुड़ के रहने वाले सुमित शाह नामक अपराधी से संपर्क रखा था।
पाकुड़ का सुमित शाह हर्षित को लगभग 1000 सिम कार्ड की आपूर्ति कर चुका था। सुमित शाह स्वयं सुल्तान नामक व्यक्ति से सिम कार्ड लेता था और सुल्तान ने हर्षित को लगभग 400 सिम कार्ड उपलब्ध कराए थे। हर्षित और सुल्तान की मुलाकात हाजीपुर में कई बार हुई थी। मु. सुल्तान एक कामन सर्विस सेंटर का संचालक है। वह कई फर्जी सरकारी योजनाओं में लाभार्थी बनाने का झांसा देकर, गांव में कैंप लगाता था एवं आम जनता का बायोमेट्रिक डेटा इकट्ठा करता था और इस बायोमेट्रिक डेटा का टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के पंजीकृत डिस्ट्रीब्यूटर एव रिटेलर्स से मिलीभगत से बड़ी संख्या में सिम कार्ड हासिल करता था।
दूरसंचार विभाग ने इस फर्जीवाड़े की सूचना दी थी इओयू को
अपर महानिदेशक दूरसंचार के कार्यालय द्वारा 25 जून 2025 को आर्थिक अपराध इकाई बिहार पटना को बताया गया कि दुरसंचार विभाग, बिहार एलएसए के डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (डीआइयू) द्वारा संचार साथी पोर्टल पर नागरिकों द्वारा दर्ज करायी गयी। साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। टावर डम्प डाटा, एवं कालिंग पैटर्न पर आधारित विस्तृत विश्लेषण से पता चला कि सुपौल जिले के गोसपुर गांव में संदिग्ध साइबर धोखाधड़ी की गतिविधि, अवैध सिम बाक्स के माध्यम से हो रही है। इन सिमों में कई सिम कार्डो का प्रयोग कर सीधे-साधे नागरिकों के साथ साइबर फ्राड किया जा रहा है।
गोवा पुलिस ने सुपौल से साइबर ठगी की थी सूचना
इससे पूर्व भी पुलिस अधीक्षक कार्यालय, साइबर अपराध, रीबंदर, तीसवाड़ी-गोवा के पत्रांक 403006 दिनांक 01.04.2025 के माध्यम से पता चला कि गोवा पुलिस द्वारा भी सुपौल जिला के गोसपुर गांव जो नेपाल सीमा के नजदीक है, को साइबर धोखाधड़ी डिजिटल अरेस्ट एवं अन्य अवैध गतिविधियों में संलिप्तता के लिये चिह्नित किया गया था। इसके लिए गोवा साइबर क्राइम पुलिस द्वारा दक्षिण पूर्व एशिया से जुड़े साइबर स्लेवरी एवं मानव तस्करी से संबंधित अपराध के लिए धारा-143,318(4),61(2), 3(5) के तहत कांड सं0-08/2025 दर्ज किया गया था। इस कांड में एक चाइनीज मूल के नागरिक को भी गिरफ्तार किया गया था।
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