'जेका बाघ का करेजा देकर ऊपर वाला भेजा', चुनावी रंग में इस गाने की धूम; रील के जरिए जमकर हो रहा प्रचार
चुनाव प्रचार का तरीका बदल रहा है। प्रत्याशी अब सोशल मीडिया पर रील बनाकर मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। भोजपुरी गानों और छठ गीतों का खूब इस्तेमाल हो रहा है। युवाओं और महिलाओं को आकर्षित करने पर खास ध्यान दिया जा रहा है। जनसंपर्क और बैठकों को भी लाइव किया जा रहा है।
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प्रचार का बदल गया अंदाज। (फाइल फोटो जागरण)
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। समय के साथ चुनाव प्रचार का रंग भी बदल रहा है। क्षेत्र भ्रमण के साथ-साथ इंटरनेट मीडिया के मंचों पर प्रत्याशी किसी से पीछे नहीं रहना चाह रहे हैं।
नामांकन हा या फिर अब जनसंपर्क या फिर किसी अन्य गतिविधि। खूब स्टाइल से रील बन रहे हैं। इस जरिए मतदाताओं को रिझाने के लिए हर पैतरे भी उपयोग किए जा रहे हैं। युवाओं व महिलाओं पर हर दलीय प्रत्याशी का ज्यादा फोकस है।
रील में हाल में चर्चित भोजपुरी गीत जेका बाघ वाला करेजा देकर उपर वाला भेजा... की धूम कुछ ज्यादा ही है। इसके अलावा विविध लोकगीत के जरिए भी रील तैयार हो रहे हैं ताकि ग्रामीण मतदाताओं को ज्यादा से ज्यादा प्रभावित किया जा सके। भक्ति व देशभक्ति के गीतों के सहारे भी रील बनाने की होड़ लगी है।
आस्था का महापर्व छठ का माहौल रहने के कारण छठ गीतों पर आधारित लोकगीत के जरिए हर वर्ग के वोटरों तक पहुंचने की कोशिश हो रही है। इसी तरह जनसंपर्क लाइव, कार्यकर्ताओं के साथ बैठक लाइव आदि में आगे निकलने की होड़ लगी हुई है।
कैमरा, सीन फोकस व प्रचार के रंग को प्रभावी दिखाने की यह होड़ मतदाताओं को कितना रिझा पाता है, यह तो समय बताएगा, लेकिन इस होड़ से चुनाव प्रचार का एक नया दौर जरूर शुरु हो गया है।

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