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    JDU में अजब-गजब, अमौर में सबा का टिकट काट साबिर को बनाया था प्रत्याशी; अब फिर पलट गया मामला

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 06:48 PM (IST)

    पूर्णिया के अमौर विधानसभा क्षेत्र में टिकट को लेकर राजग और महागठबंधन में हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। एनडीए ने पहले सबा जफर और फिर साबिर अली को सिंबल दिया, लेकिन बाद में लेशी सिंह की पहल पर सबा जफर को ही प्रत्याशी बनाया गया। साबिर अली ने पार्टी के प्रति निष्ठा जताई और सबा जफर का समर्थन करने की बात कही।

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    मंत्री लेशी सिंह की पहल पर हुआ टिकट का निर्धारण। (फोटो जागरण)

    जागरण संवाददाता, पूर्णिया। टिकट को लेकर महागठबंधन ही नहीं राजग में हाई वोल्टेज ड्रामा का बड़ा गवाह अमौर विधानसभा क्षेत्र बन गया। इस विधानसभा क्षेत्र के लिए एनडीए की ओर से दो-दो सिंबल जारी किए गए।

    पहले पूर्व विधायक सबा जफर फिर पूर्व राज्यसभा सदस्य साबिर अली को सिंबल दिया गया। शनिवार की दोपहर से तेज हुई इस घटनाक्रम का पटाक्षेप आखिरकार बिहार सरकार की मंत्री लेशी सिंह की पहल पर रविवार की दोपहर को हुआ।

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    शनिवार को पूर्व राज्यसभा सदस्य साबिर अली को जारी सिंबल रद करते हुए पार्टी ने सबा जफर पर ही अपना भरोसा जताया है। साबिर अली को पार्टी प्रत्याशी बनाए जाने की सूचना पर शनिवार को अंतिम क्षण में सबा जफर ने नामजदगी का पर्चा दाखिल किया था।

    बता दें कि सबा जफर को पार्टी ने पूर्व में ही सिंबल दे दिया था। बाद में उनके कांग्रेस के संपर्क में रहने की सूचना पर पार्टी ने शनिवार को साबिर अली को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था। रविवार को मंत्री लेशी सिंह के आवास पर उनकी मौजूदगी में प्रदेश महासचिव चंदन सिंह ने सबा जफर के ही अधिकृत प्रत्याशी रहने की जानकारी दी।

    इस दौरान सबा जफर के साथ साबिर अली भी मौजूद रहे। चंदन सिंह ने कहा कि कुछ गलतफहमी हो जाने के कारण पार्टी ने सबा जफर का सिंबल रद करने का निर्णय लिया था और साबिर अली को मैदान में उतारने का फैसला किया था।

    बाद में सबा जफर द्वारा अपना पक्ष रखे जाने पर मंत्री लेशी सिंह के प्रयास से पार्टी नेतृत्व ने उन्हें ही मैदान में उतारने का फैसला लिया। इधर साबिर अली ने कहा कि वे जनता दल यू व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति पहले भी निष्ठावान रहे हैं। बीच में व्यक्तिगत कारणों से वे पार्टी से अलग थे और अब फिर निष्ठा के साथ पार्टी से जुड़ चुके हैं।

    उन्हें सीमांचल इलाके में पार्टी के लिए काम करने का निर्देश था। इसी बीच पार्टी का आदेश हुआ था कि अमौर से चुनाव लड़ना है तो वे तैयार थे। यह निर्देश कुछ कन्फ्यूजन को लेकर था, जो अब दूर हो गया और अब सबा जफर ही अमौर से चुनाव लड़ेंगे और पार्टी के सच्चे सिपाही की हैसियत वे उनकी मदद करेंगे।

    सबा जफर ने कहा कि उनको लेकर जो संशय था, वह दूर हो गया है और वे पार्टी प्रत्याशी के रुप में रविवार को ही नामांकन कर चुके हैं। मंत्री लेशी सिंह ने कहा कि पार्टी के स्तर से अब सारा संशय दूर हो गया है और मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार अब सबा जफर पार्टी के प्रत्याशी होंगे।

    किशनगंज के इतिहास से सतर्क थी जदयू, मची रही अफरातफरी

    अमौर को लेकर हाई वोल्टेज ड्रामा के पीछे किशनगंज का इतिहास था। जदयू ने वर्ष 2014 में वहां से राजद छोड़ जदयू में आए कोचाधामन के तत्कालीन विधायक सह एआईएमआईएम के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान को मैदान में उतारा था।

    ऐन चुनाव के बीच उन्होंने खुद को जंग से बाहर कर लिया था और जदयू मतदान से पहले ही चुनाव हार गई थी। सबा जफर को लेकर पार्टी को यह सूचना था कि वे कांग्रेस के संपर्क में है और वे कांग्रेस से टिकट मिलने पर सिंबल को अनुपयोगी बनाने की कोशिश में है।

    पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री मु. तस्लीमउद्दीन के रिश्तेदार हैं सबा जफर

    सबा जफर कभी सीमांचल की राजनीति के ध्रुव रहे पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री मु. तस्लीमुद्दीन के रिश्तेदार हैं। पार्टी ने उन्हें वर्ष 2020 के चुनाव में भी प्रत्याशी बनाया था। उक्त चुनाव में अमौर से एआईएमआईएम के अख्तरुल इमान विजयी रहे थे, जबकि सबा जफर दूसरे स्थान पर रहे थे।

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