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    'मां माफ करना मैं बैरागी बन गया', लिखा लेटर और बुद्ध पूर्णिमा पर गौतम की राह पर निकल पड़ा किशोर

    Updated: Mon, 12 May 2025 08:39 PM (IST)

    पूर्णिया में बुद्ध पूर्णिमा के दिन एक किशोर सत्यम कुमार गौतम बुद्ध के मार्ग पर निकल गया। अपनी मां के लिए जीने का एकमात्र सहारा सत्यम ने एक पत्र छोड़ा जिसमें बैरागी बनने की बात कही है। यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है क्योंकि सत्यम ने अध्यात्म के प्रति समर्पण दिखाया और घर छोड़ दिया। पुलिस उसकी तलाश कर रही है।

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    बेटे द्वारा छोड़े गए पत्र को दिखाती मां और बेटे की फाइल फोटो। (जागरण)

    अविनाश कुमार, पूर्णिया। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही एक ऐसे मां का पुत्र गौतम बुद्ध की राह पर विदा हो गया, जिसे सुहाग उजड़ने के बाद अपने जीने का आखिरी सहारा मान बैठी थी। आस पड़ोस की भी मां के प्रति सहानुभूति थी।

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    ऐसे में जब यह वाकया सामने आया तो हर कोई चकित रह गया। कक्षा नौवीं का छात्र सत्यम कुमार घर में बस दो पंक्ति का यह संदेश छोड़ गया कि मैया, मुझे माफ कर देना, मैं बैरागी बन गया। अध्यात्म को समर्पण ही मेरा जीवन है। मैं जा रहा हूं। मुझे ढूंढ़ने की कोशिश मत करना।

    यह घटना पूर्णिया में चर्चा विषय इसलिए भी बन गया कि कभी संत शिरोमणि महर्षि मेंही शहर के जिला स्कूल से लगभग इसी अवस्था में अपने घर-परिवार और जन्मभूमि को छोड़ विदा हो गए थे। जब वे सामने आए तो उनके आगे दुनिया का शीष झुक गया।

    मधुबनी थाना क्षेत्र के कोशी विहार मोहल्ले की रहने वाली गीता ठाकुर के ऊपर महज चार साल के अंदर का जिंदगी का दूसरा क्रूर प्रहार है। वर्ष 2021 में उनके पति शिव शंकर ठाकुर उर्फ चूना ठाकुर की मौत हो गई थी। चार संतानों में तीन बेटियां हैं और एक बेटा सत्यम सबसे छोटा है।

    नौवीं कक्षा का था स्टूडेंट

    नौंवी कक्षा में वह पढ़ रहा है और मां सुहाग लूटने के बाद इन संतानों को देख ही जी रही थी। खासकर बेटियों के दूसरे घर चले जाने पर सत्यम पर ज्यादा भरोसा था। मां गीता ठाकुर के अनुसार एक साल से सत्यम अक्सर इंटरनेट प्लेटफार्म पर प्रवचन सुनता रहता था।

    वह अक्सर कॉपी में राधे-राधे भी लिखता रहता था। उन लोगों ने इसे उसकी आस्था मान खुश भी थे, परंतु बात बैराग तक पहुंच जाएगी, इसका आभास कहीं से नहीं था।

    सत्यम सोमवार की सुबह अचानक घर से निकल गया। मां और बहनों का भ्रम था कि वह टहलने जा रहा है, लेकिन शाम तक घर नहीं लौटने पर उसके कमरे की तलाशी भी ली।

    घर में सत्यम के लिखे संदेश पढ़ सभी के होश उड़ गए। उसने घर से न तो पैसे लिए, न ही मोबाइल साथ ले गया है। जूता-चप्पल भी उसने नहीं पहनी है। हाफ पैंट और टीशर्ट में वह घर से निकला है।

    थाने में दिया गया आवेदन

    सत्यम के मामा अमित मिश्रा ने बताया कि इस संबंध में थाना में आवेदन दिया है। थाना में आवेदन से पहले उन लोगों ने नजदीक के रेलवे स्टेशनों, बस पड़ावों के साथ अन्य संभावित स्थलों पर भी उन्हें ढूंढ़ा, लेकिन कोई पता नहीं चला।

    मधुबनी थानाध्यक्ष सूरज प्रसाद ने बताया कि स्वजनों ने किशोर के लिखे नोट के साथ आवेदन दिया है। पुलिस अपने स्तर से उसकी तलाश में जुट गई है।

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