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    खून के बदले खून, यही है कानून

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    Updated: Mon, 28 May 2012 08:32 PM (IST)

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    पूर्णिया, जागरण प्रतिनिधि : खून के बदले खून तब बच पाएगी जिन्दगी। ब्लड बैंक का कुछ नियम ही ऐसा बना है कि जब तक खून देंगे नहीं तब तक खून ले नहीं सकते। खून के अभाव में अगर जान भी जा रही हो और तत्काल जिला अधिकारी या सिविल सर्जन से मुलाकात नहीं हो पाती हो तो कोई उपाय नहीं हो सकता है। जीवन से हाथ धोना ही मात्र विकल्प बच जाता है। सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों के साथ पूर्णिया में कुछ ऐसा ही हो रहा है।

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    खून लेने के मामले में पूर्णिया की सड़कों पर दुर्घटनाओं के इजाफे ने नई परिस्थिति खड़ी कर दी है। सड़क हादसे के शिकार लोग जिनके शरीर से रक्तस्त्राव ज्यादा हो गया है उन्हें तत्काल खून चढ़ाने की नौबत पड़ती है। समय पर खून नहीं मिलने पर वैसे लोग मौत के शिकार हो जाते हैं। दो दिन पूर्व सड़क दुर्घटना में अभिनव की मौत की वजह भी समय पर खून नहीं चढ़ाया जाना बताया गया है। उसके परिजन अभी भी इस बात को लेकर कराह रहे हैं कि अगर समय पर खून मिल जाता तो शायद..। लेकिन यह केवल अभिनव की बात नहीं है। जिन्हें तत्काल खून की जरूरत पड़े उन्हें अभिनव वाला ही हश्र देखने को मिल सकता है। यहां ब्लड बैंक से खून लेने की जो प्रक्रिया है वह कठिन के साथ-साथ जटिल भी है। रेडक्रास में संचालित ब्लड बैंक के प्रभारी डा एन के राय ने बताते हैं कि यहां हर समूह का खून मौजूद रहता है। जिन्हे खून की जरूरत पड़ती है उन्हे रोगी के साथ दो चार लोगों को साथ लेकर आना होता है। खून मेच कर गया तो बहुत अच्छा अगर खून मेच नहीं किया तो पूर्व से संग्रहित खून उसी आधार पर दिया जाता सकता है जब तक कोई व्यक्ति खून डोनेट न कर दे। अगर तत्काल जरूरत है तो सिविल सर्जन या जिला पदाधिकारी से आर्डर लेना जरूरी है। यहां सवाल उठता है कि दुर्घटना के शिकार लोग जो मौत के मुंह में फंसे हुए हों और खून की जरूरत है लेकिन पदाधिकारी द्वय से संपर्क नहीं हो पा रहा है। वैसी परिस्थिति में क्या हो सकता है। खून लेने के लिए जितनी लंबी चौड़ी प्रकिया है वैसे में जान गंवाने के सिवाय दूसरा रास्ता नहीं है। इस व्यवस्था को लचीला बनाने की जरूरत है। परिस्थिति देख कर खून मुहैया कराने का अधिकार ब्लड बैंक को दिया जाना चाहिए। ताकि खून के बगैर जा रही जिन्दगी को बचाया जा सके। इधर, रक्त दान महादान जैसे स्लोगन लिखे जगह-जगह बड़े-बडे पोस्टर लगे हुए हैं। इसे भी धरातल पर लाने के लिए रेडक्रास को लगातार पहल व प्रचार प्रसार करने की जरूरत है। ताकि लोगों में जो भ्रांति है कि खून देने से शरीर कमजोर व अन्य कोई परेशानी हो सकती है उस भ्रांति को विराम लगे और लोग खून डोनेट करने से हिचके नहीं। जरूरतमंद को इसका लाभ आसानी से मिल सके।

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