यहां भगवान नरसिंह ने किया था हिरण्यकश्यप का वध
राजेश कुमार, पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड अंतर्गत सिकलीगढ़ धरहरा में भगवान ने नरसिंह रूप धारण कर
राजेश कुमार, पूर्णिया
जिले के बनमनखी प्रखंड अंतर्गत सिकलीगढ़ धरहरा में भगवान ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया था। हिरण नदी के तट पर अवस्थित इस स्थल पर आज भी प्रह्लाद स्तंभ मौजूद है जो लोगों की आस्था का केंद्र है। होली के मौके पर विशाल होलिका दहन समारोह का आयोजन यहां प्रतिवर्ष किया जाता है। ब्रिटेन से प्रकाशित पत्र क्विक पेजेज द फ्रेंडशिप इनसाक्लोपिडिया में भी हुई इस स्तंभ की चर्चा है। 1911 में प्रकाशित गजेटियर में ओ मेली ने भी इसकी चर्चा करते हुए इसे मणिखंभ कहा है जिसका उल्लेख पुरातात्विक महत्व वाले ग्रंथों में भी है।
मान्यता के अनुसार हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परमभक्त थे। जबकि हिरण्यकश्यप भगवान को नहीं मानते थे और खुद को भगवान मानने के लिए कहते थे। इसलिए उसने कई बार अपने पुत्र को मारना चाहा लेकिन वे बच जाते। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी। इसलिए होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर आग के हवाले कर दिया गया। लेकिन होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गये। फिर उन्हें खंभा से बांधकर वध करने के लिए जैसे ही हिरण्यकश्यप तैयार हुए भगवान ने नरसिंह रूप में खंभा से प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध किया। जिसे मणिखंभ कहा गया।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रकाशित बिहार की सांस्कृतिक विरासत में भी इस स्थल की चर्चा की गई है। जिसमें कहा गया है कि यह पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक स्थल है। यहां राजमहलों की श्रृंखला थी। यहां खुदाई में प्राचीन सिक्के मिले हैं। कहते हैं कि नरसिंह एवं हिरण्यकश्यप का भी यह स्तंभ का चिंह था। सिकलीगढ़ नि:संदेह पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक स्थल है जो पर्यटन योग्य है।
बहरहाल यहां एक सुंदर मंदिर का निर्माण कराया गया है। जिसमें भगवान नरसिंह समेत अन्य देवी-देवताओं की आकर्षक प्रतिमाएं हैं। होली के अवसर पर यहां होलिका दहन समारोह में लाखों लोग जुटते हैं।
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