Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar News: महज 4 दिन के अंदर 5 हत्याओं से दहला बिहार का पूर्णिया जिला, तीन का भू-विवाद में बहा खून

    Updated: Wed, 22 May 2024 06:06 PM (IST)

    बिहार का पूर्णिया जिला महज चार दिनों के भीतर पांच हत्याओं का गवाह बन चुका है। इन पांच हत्याओं में से तीन भू-विवाद के कारण हुई है जबकि एक लूट और एक हत्या प्रेम-प्रसंग के चलते हुआ है। भू-विवाद को लेकर हुई हत्याओं में पुलिस ने कार्रवाई भी की है। कुछ नामजदों को गिरफ्तार भी किया लेकिन जमीन विवाद पर लगातार सुलगती आग इस भरोसे बुझना मुश्किल है।

    Hero Image
    चार दिनों में पांच हत्याएं, तीन का भू-विवाद में ही बहा खून। (सांकेतिक फोटो)

    जागरण संवाददाता, पूर्णिया। महज चार दिनों के अंदर बिहार का पूर्णिया जिला पांच हत्याओं का गवाह बन चुका है। इससे लोगों में दहशत का माहौल पैदा हो गया है। पांच में से तीन हत्याएं भू-विवाद के चलते ही हुई है। एक लूट व एक हत्या प्रेम-प्रसंग में हुआ है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भू-विवाद को लेकर हुई हत्या के मामले में पुलिस ने कार्रवाई भी की है और कुछ नामजदों को गिरफ्तार भी किया, लेकिन जमीन विवाद पर लगातार सुलगती आग इस भरोसे बुझना मुश्किल है।

    पुलिस रिकार्ड के अनुसार, जिले में होने वाली हत्या की घटनाओं में 60 फीसद हत्या केवल भू-विवाद के कारण होती है।

    ऐसे में मामलों में अक्सर राजस्व कर्मचारी व सीओ ही मुख्य विलेन होते हैं, लेकिन हत्या आदि की वारदात के बाद पुलिस कार्रवाई शुरु हो जाती है और राजस्व कर्मचारी या फिर सीओ इस आंच से पूरी तरह बच निकलते हैं।

    जमीन विवाद में ही 53 साल पहले हुआ था पहला नरसंहार

    पूर्णिया व भू-विवाद का चोली-दामन का नाता रहा है। इस चलते यह जिला तीन बड़े नरसंहारों का गवाह भी बन चुका है। यहां 53 साल पहले पहला नरसंहार हुआ था।

    धमदाहा प्रखंड के रुपसपुर चंदवा में भू-विवाद के चलते 22 नवंबर 1971 को पहला नरसंहार हुआ था। इसमें कुल 14 आदिवासी किसान व मजदूरों की हत्या हो गई थी।

    ढाई दशक पूर्व दूसरा नरसंहार डगरुआ प्रखंड के निखरैल में हुआ था। लगभग दो दशक पूर्व तीसरे नरसंहार का गवाह धमदाहा प्रखंड का कसमरा बना था।

    इसके अलावा, गत दो दशक में तीन दर्जन से अधिक ऐसी घटनाएं हुई है, जिसमें भू-विवाद के चलते एक साथ दो या फिर दो से अधिक लोगों की हत्या हुई है।

    दलालों की गिरफ्त में है अधिकांश हल्का कचहरी

    जिले का अधिकांश हल्का कचहरी दलालों की गिरफ्त में है। ऑनलाइन व्यवस्था को धता बताते हुए हर तरफ दलालों के शिकंजे के चलते विवाद और बढ़ रहा है। आलम यह है कि यहां सरकारी स्कूलों की जमीन तक का मोटेशन महज चंद रुपयों के लिए हो जाता है।

    एक ही जमीन के दो-दो लोगों के नाम से दाखिल खारिज या फिर रसीद तक काट देना यहां आम शिकायत रही है। वास्तविक भू-धारी के मामले में रुपये ऐंठने के लिए नाहक पेंच फंसाने की शिकायत तक लगातार वरीय अधिकारियों तक पहुंचता रहता है।