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    अमेरिकी नागरिक की भारत में पूरी होगी आखिरी इच्छा, 26 जून को गंगा में विसर्जित की जाएंगी अस्थियां

    अमेरिकी इतिहासकार वाल्टर हाउजर की अस्थियां 26 जून को गंगा में विसर्जित की जाएंगी। स्वामी सहजानंद सरस्वती पर शोध करने वाले हाउजर की अंतिम इच्छा थी कि उनकी अस्थियां गंगा में विसर्जित हों। यह विसर्जन स्वामी सहजानंद की 75वीं पुण्यतिथि पर हो रहा है। उनके परिवार और शिष्य इस अवसर पर पटना पहुंचे हैं। इस दौरान बिहटा हवाई अड्डे का नाम स्वामी सहजानंद के नाम पर रखने का प्रस्ताव भी रखा जाएगा।  

    By Pawan MishraEdited By: Rajesh Kumar Updated: Wed, 25 Jun 2025 03:47 PM (IST)
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    अमेरिकी इतिहासकार वाल्टर हाउजर की अस्थियां 26 जून को गंगा में विसर्जित की जाएंगी। फाइल फोटो


    जागरण संवाददाता, पटना। स्वामी सहजानंद सरस्वती पर पहला अकादमिक शोध प्रकाशित करने वाले अमेरिकी इतिहासकार वाल्टर हाउजर की अस्थियां 26 जून को गंगा में विसर्जित की जाएंगी। बिहार का बेटा कहलाने पर गर्व महसूस करने वाले हाउजर की अंतिम इच्छा थी कि उन्हें दफनाने के बजाय उनका अंतिम संस्कार किया जाए और उनकी अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया जाए।

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    वाल्टर हाउजर की पत्नी रोज मैरी हाउजर की भी यही इच्छा थी। बेटे माइकल हाउजर, बहू एलिजाबेथ हाउजर, बेटी शीला हाउजर, उनके बच्चे रोजमेरी जैस और आरोन लिन के अलावा वाल्टर हाउजर के दो शिष्य विलियम आर पिंच और वेंडी सिंगर भी पटना पहुंच चुके हैं।

    यह जानकारी मंगलवार को बिहटा स्थित स्वामी सहजानंद सरस्वती श्री सीताराम आश्रम ट्रस्ट के सचिव डॉ. सत्यजीत सिंह, अध्यक्ष कैलाश चंद्र झा, डॉ. अनिल कुमार सिंह, नीरज कुमार ने दी। डॉ. सत्यजीत ने बताया कि 26 जून को स्वतंत्रता सेनानी किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की 75वीं पुण्यतिथि पर देश के कई हिस्सों में कार्यक्रम आयोजित कर उनके असाधारण योगदान को याद किया जाएगा।

    इस अवसर पर दीघा के मीनार घाट पर गंगा में वाल्टर हाउजर की अस्थियों को विसर्जित करने के साथ ही बिहटा के राघवपुर स्थित श्री सीताराम आश्रम में विशाल जनसभा का आयोजन किया जाएगा। इसमें राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता, किसान नेता व बुद्धिजीवी भाग लेंगे। हाउजर की पीएचडी थीसिस बिहार प्रांतीय किसान सभा (1929-42) पर आधारित थी।

    उन्होंने स्वामी सहजानंद की कई रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद किया, जिससे उन्हें किसान नेता के रूप में अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। उन्होंने कहा कि 26 जून की बैठक में बिहटा हवाईअड्डे का नाम स्वामी सहजानंद के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा जाएगा। कार्यक्रम का आयोजन श्री सीताराम आश्रम ट्रस्ट व बिहार राज्य किसान सभा संयुक्त रूप से करेगी।

    उल्लेखनीय है कि वाल्टर हाउजर 1957 में शिकागो विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में भारत आए थे। वाल्टर हाउजर की पीएचडी 1961 में पूरी हो गई थी, लेकिन उनके थीसिस पर आधारित किताब मार्च 2019 में प्रकाशित हुई। इसका विमोचन भी पटना में हुआ।

    इसके कुछ महीने बाद एक जून 2019 को वाल्टर हाउजर का निधन हो गया। उन्होंने स्वामी सहजानंद सरस्वती की आत्मकथा 'मेरा जीवन संघर्ष' का अंग्रेजी में अनुवाद किया, फिर विलियम आर पिंच ने इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया।

    वाल्टर की शिष्या वेंडी सिंगर ने बड़हिया टाल आंदोलन पर शोध किया और मधुबनी की महिलाओं और उनके संघर्ष के गीतों पर काम किया। वे पिछले 40 वर्षों से बिहार आ रही हैं।

    बता दें कि पटना पश्चिम किसान सभा की स्थापना 1927 में बिहटा के राघवपुर स्थित श्री सीताराम आश्रम में हुई थी। इसके दो साल बाद 1929 में सोनपुर में बिहार प्रांतीय किसान सभा की स्थापना हुई।

    1936 में अखिल भारतीय स्तर पर किसान सभा का गठन हुआ और स्वामी सहजानंद सरस्वती इसके पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। इसी कारण सीताराम आश्रम को भारत में संगठित किसान आंदोलन का जन्मस्थान माना जाता है। यह आश्रम सामाजिक सुधार आंदोलन के लिए जाना जाता रहा है।