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    क्लैट से लॉ में नामांकन करा चुन सकते हैं करियर, अभी उपलब्ध हैं 3,600 सीटें

    By NALINI RANJANEdited By: Akshay Pandey
    Updated: Thu, 26 Jun 2025 02:29 PM (IST)

    स्नातक कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश कामन ला नामांकन टेस्ट (क्लैट) के माध्यम से किया जाता है। वर्तमान में स्नातक पाठ्यक्रमों में लगभग 3,600 सीटें उपलब्ध हैं। 

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    क्लैट में नामांकन कराने का विकल्प है बचा। सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, पटना। विधि के क्षेत्र में करियर बनाने की सोच करने वाले विद्यार्थियों के लिए चाणक्य नेशनल ला विधि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. एसपी सिन्हा ने कहा कि कामन लॉ नामांकन टेस्ट (क्लैट) के माध्यम से नेशनल विधि विश्वविद्यालय में प्रवेश देश की सभी 26 नेशनल विधि विश्वविद्यालय में नामांकन कराकर इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं।

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    उन्होंने बताया कि स्नातक कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश कामन ला नामांकन टेस्ट (क्लैट) के माध्यम से किया जाता है।वर्तमान में स्नातक पाठ्यक्रमों में लगभग 3,600 सीटें उपलब्ध हैं। इस प्रवेश परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन हर वर्ष जुलाई से अक्टूबर के मध्य आमंत्रित किए जाते हैं, इसकी प्रक्रिया कंसोर्टियम आफ नेशनल ला यूनिवर्सिटीज़, बेंगलुरु द्वारा संचालित की जाती है।

     

    क्लैट स्नातक परीक्षा में मुख्यत: पांच विषय होते है। इसमें अंग्रेजी, तार्किकक्षमता, कानूनीतर्क, समसामयिक घटनाक्रम एवं सामान्य ज्ञान, गणितीय तकनीक, इच्छुक छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे पूर्व वर्षों के प्रश्न पत्रों का अभ्यास करें एवं अधिकाधिक नमूना प्रश्न पुस्तिकाओं को हल कर परीक्षा पैटर्न को अच्छी तरह समझें।आज के परिप्रेक्ष्य में, यदि किसी छात्र की अंग्रेज़ी भाषा परअच्छी पकड़ है और उसमें सामान्य समझ व विश्लेषण क्षमता है, तो उसके लिए सीएलएटी परीक्षा उत्तीर्ण करना अपेक्षाकृत सरल हो गया है। गणितीय खंड को छोड़कर, शेष सभी खंडों में प्रश्न एक दिए गए अनुच्छेद (पैसेज) पर आधारित होते हैं, जिन पर प्रश्न पूछे जाते हैं।


    क्लैट परीक्षा को लेकर महत्वपूर्ण तथ्य

     

    क्लैट परीक्षा में अभ्यर्थियों को दो घंटे की समयावधि में कुल 120 प्रश्नों का उत्तर देना होता है। प्रत्येक सही उत्तर के लिए एक अंक दिया जाता है, जबकि प्रत्येक गलत उत्तर पर 0.25 अंक की नकारात्मक अंक कटौती निर्धारित है।अभ्यर्थियों को यह सुझाव दिया जाता है कि वे पहले उन्हीं प्रश्नों को हल करें, जिनके उत्तर उन्हें पूर्ण रूप से ज्ञात एवं सुनिश्चित हों।

    यदि किसी प्रश्न के उत्तर को लेकर संशय हो, तो ऐसे प्रश्नों को छोड़ देना ही हितकर होता है, जिससे अनावश्यक रूप से अंक कटने से बचा जा सके। यह रणनीति न केवल नकारात्मक अंक प्रणाली से होने वाले नुकसान से बचने में सहायक है, बल्कि समग्र रूप से परीक्षा प्रदर्शन को बेहतर बनाने में भी उपयोगी सिद्ध हो सकती है।