जमानत खारिज होने पर दोबारा भी जा सकते हाईकोर्ट
अपीलीय न्यायालय ने बुधवार को व्यवस्था दी कि एक बार जमानत खारिज होने के बाद दोबारा भी हाईकोर्ट में जमानत अर्जी फाइल हो सकती है। ...और पढ़ें

पटना (निर्भय सिंह)। अपीलीय न्यायालय ने बुधवार को व्यवस्था दी कि एक बार जमानत खारिज होने के बाद दोबारा भी हाईकोर्ट में जमानत अर्जी फाइल हो सकती है। मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी एवं न्यायाधीश विकास जैन की खंडपीठ ने रवि सहनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ कर दिया कि हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद दोबारा निचली अदालत का चक्कर न लगाना पड़े। दरअसल हाईकोर्ट के अनेक जज जमानत संबंधी मामले को खारिज करने के बाद दोबारा तभी सुनवाई करते थे जब निचली अदालत से होकर आवेदक यहां नहीं पहुंचा हो।
रवि सहनी के मामले में ऐसा ही हुआ था। वह डकैती के मामले का अभियुक्त है। 2013 में पटना हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने अभियुक्त की जमानत खारिज कर दी थी। साथ ही यह भी कह दिया था कि अभियुक्त यदि एक साल तक जेल में रहता है तो वह दोबारा जमानत के लिए आवेदन दे सकता है। जिस न्यायाधीश ने सहनी की जमानत खारिज की थी, वे रिटायर हो गये। दोबारा इसके मामले की सुनवाई न्यायाधीश एके त्रिवेदी की पीठ में हुई। उन्होंने इस मामले को डिवीजन बेंच में भेज दिया ताकि सही मार्गदर्शन हो सके। एकलपीठ का मानना था कि अभियुक्त को निचली अदालत से होकर हाईकोर्ट तक आना चाहिए। सुनवाई में सरकारी वकील डॉ. मायानंद झा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को दोबारा बेल पर सुनवाई करने के पक्ष में फैसला दिया है। इतना ही नहीं, जब अभियुक्त को सरेंडर के लिए कहा जाए तो वह हाईकोर्ट में भी सरेंडर कर सकता है। मुम्बई हाईकोर्ट में ऐसा एक मामला आया था जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी। हालांकि अभी तक यही सिलसिला चलता आ रहा है कि अस्थायी जमानत के बाद अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट में आत्म समर्पण करना पड़ता है।

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