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International Yoga Day 2021: जानिए योग के विभिन्न आसनों व इससे होने वाले फायदों के बारे में...

बिहार के मुंगेर के बिहार योग विद्यालय स्वामी स्वयंज्योति ने बताया कि योग का अर्थ है जुड़ा होना। शरीर और मन का यह मिलन सिर्फ आसनों व प्राणायाम तक ही सीमित नहीं है। यह शारीरिक मानसिक और भौतिक स्थिति को उसके उच्चतम स्तर पर ले जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 02:56 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 02:56 PM (IST)
International Yoga Day 2021: जानिए योग के विभिन्न आसनों व इससे होने वाले फायदों के बारे में...
योग तन को स्वस्थ रखता है और मन को विकारयुक्त बनाता है।

आनंद कुमार सिंह। बिहार योग विद्यालय, मुंगेर के संस्थापक स्वामी सत्यानंद सरस्वती के गुरु स्वामी शिवानंद सरस्वती का कहना था कि प्राचीन समय में योग विद्या गुप्त थी। केवल योगी ही इसका प्रयोग करते थे, किंतळ् अब योग सिर्फ योगियों के लिए ही नहीं, बल्कि रोगियों व सामान्य लोगों के लिए भी है। आज योग सबके लिए सुलभ है और कोरोनाकाल में यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी असरदार साबित हो रहा है।

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योग सबके लिए फायदेमंद है। हां, योग्य गुरु की देखरेख में इसे करना लाभकारी रहता है। उम्र की सीमा व्यक्ति पर निर्भर करती है। कुछ व्यक्ति 80 वर्ष की उम्र में भी लचीले और स्वस्थ बने रहते हैं तो कोई 20-25 की उम्र में ही विभिन्न बीमारियों से पीड़ित रहता है। हर व्यक्ति अपनी क्षमता के हिसाब से योगासनों का प्रयोग कर सकता है। योग शरीर के सारे आंतरिक भागों को सक्रिय कर व्यक्ति में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है।

गुरु के निर्देशन में ही करें योग: जो लोग स्पाइनल या सर्वाइकल दर्द से पीड़ित हैं, उन्हें बिना गुरु के निर्देशन में योगासनों से परहेज करना चाहिए। कमर दर्द, कंधे का दर्द व आर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के अलावा गर्भवती महिलाओं को भी उचित गुरु की देखरेख में ही योगासन करना चाहिए। जिन्हेंं उच्च रक्तचाप की समस्या है, वे लोग यदि धीमी गति से आसन करें तो लाभकारी होगा। सामान्य लोग सामान्य गति से योगासन कर सकते हैं। यदि किसी का दो-तीन माह के अंदर कोई आपरेशन हुआ है तो योग नहीं करना चाहिए।

ऐसे करें तैयारी: योगासन करने का सर्वोत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त है, जो लोग ड्राई फ्रूट्स या लिक्विड डाइट पर हैं, वे इन्हें अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी कर सकते हैं। आमतौर पर भोजन करने के तीन से चार घंटे के बाद ही योग करना चाहिए। आजकल लोग कभी भी और कहीं भी योग करना शुरू कर देते हैं। यह सही नहीं है। योग हमेशा खुली जगह पर करना चाहिए। यदि यह संभव नहीं है तो इसे वैसी जगह पर करना चाहिए, जहां वेंटिलेशन (हवा आने-जाने) की पर्याप्त व्यवस्था हो। इसके साथ ही खानपान व दिनचर्या को संयमित करने की जरूरत है। कम तेल-मसालों का सुपाच्य भोजन शरीर को बेहतर बनाता है।

न हो कोई बंधन: प्रशिक्षित गुरु के निर्देशन में योगासन करना लाभकारी होता है। टीवी, वीडियो आदि देखकर इन्हें करने से उचित लाभ नहीं मिल पाता है। सामान्य रूप से सुबह शौच क्रिया से निपटने के उपरांत ही योग का अभ्यास करना चाहिए। योगासन करने के लिए ढीले वस्त्र पहनने चाहिए। शरीर पर कोई बंधन नहीं होना चाहिए। अंगूठी, माला, घड़ी, चश्मा आदि उतार देना चाहिए। आंखें बंदकर सांस की गति के साथ लय मिलाकर योगासन करने से बेहतर लाभ प्राप्त होता है।

कोरोना काल में ये आसन हैं असरदार: सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, कटि चक्रासन व वायु निष्कासन जैसे आसन कोरोनाकाल में बहुत असरदार हैं। फेफड़ों की मजबूती के लिए जल नेति, कुंजल क्रिया व प्राणायाम से लाभ मिलता है। कुंजल क्रिया सुबह के समय गुनगुने पानी में एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर की जाती है। ठंडे पानी से यह क्रिया करने पर सिरदर्द, सर्दी आदि की समस्या हो सकती है। शरीर और पानी का तापमान एक जैसा हो, इस कारण यह क्रिया गुनगुने पानी से ही की जानी चाहिए। प्राणायाम में नाड़ी शोधन, कपालभाति और शीतली बहुत लाभकारी हैं, जो लोग कोरोना से ठीक होकर आए हैं और जो इससे पीड़ित हैं, दोनों जल नेति, कुंजल क्रिया व प्राणायाम कर सकते हैं। इन क्रियाओं से शरीर में नई कोशिकाओं का निर्माण होता है।

ब्लैक, व्हाइट व यलो फंगस में भी जल नेति व प्राणायाम लाभकारी: ब्लैक, व्हाइट व यलो फंगस से बचाव में भी जल नेति फायदेमंद है। इसके उपयुक्त अभ्यास व प्राणायाम से आंख संबंधी बीमारियों में भी काफी फायदा पहुंचता है।

शुरुआत में करें ये आसन: शुरुआत में लोगों को पवन मुक्तासन करना चाहिए। पवन मुक्तासन के भाग एक के अंतर्गत 18 आसन हैं। इसके बाद पवन मुक्तासन भाग दो और शक्तिबंध आसन का प्रयोग करना चाहिए। सामान्य लोगों के लिए शक्तिबंध आसन भी दो भागों में विभक्त हैं। पवन मुक्तासन भाग एक के आसनों में पैर की अंगुलियों से लेकर गले के जोड़ तक का अभ्यास है। ये शरीर के जोड़ों में जमे हानिकारक तत्वों को समाप्त करते हैं। धीरे-धीरे इन आसनों के अभ्यास से शरीर लचीला होता है और आगे के आसनों के लिए तैयार भी। पवन मुक्तासन भाग दो पेट व वायु विकार के लिए लाभदायक हैं। शक्तिबंध आसन से पाचन क्रिया को मजबूती मिलती है।

नकारात्मकता दूर करे ध्यान: कोरोनाकाल में विभिन्न कारणों से लोग नकारात्मक विचारों से घिर रहे हैं। अवसाद, उदासी, निराशा, हताशा, तनाव आदि धीरे-धीरे व्यक्ति को मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर करता है। इनसे बचने के लिए प्राणायाम, ध्यान व योगनिद्रा का सहारा लेना चाहिए। रात में सोने से पहले 12 बार ऊँ मंत्र का जप करना चाहिए। यह जप मानसिक रूप से शांति प्रदान करता है। इसके साथ ही शीतली मुद्रा में भ्रामरी प्राणायाम का प्रयोग भी लाभकारी है। योगनिद्रा शारीरिक और मानसिक थकान दोनों को दूर कर मन को स्वस्थ बनाता है। इससे मन सकारात्मक चीजों में लगा रहता है।

संयम के सद्गुण: स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा है कि अपने जीवन रूपी खेत में विचार बोने से एक कर्म पैदा होता है, कर्म बोने से आदत, आदत बोने से चरित्र और चरित्र बोने से नियति पैदा होती है। उनके इस सिद्धांत को चरितार्थ करने का यह सर्वोत्तम समय है। इस लक्ष्य को पाने के लिए हमें अपने जीवन में संयम के सद्गुण को विकसित करना होगा। संयम का शाब्दिक अर्थ निग्रह करना या अंकुश लगाना है, लेकिन साथ ही यह एक ऐसी प्रक्रिया को दर्शाता है जिससे मानव व्यक्तित्व और जीवन के सभी आयाम संतुलित तथा सुंदर बनते हैं। यौगिक जीवनशैली का आधार संयम ही है, जिसके साथ स्वयं को सुधारने का निरंतर प्रयास भी चलता रहता है।


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