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    Yashwant Sinha: बिहार के सीएम महामाया प्रसाद को दिया था दो-टूक जवाब, मोदी सरकार पर मुकदमा करने गए थे सुप्रीम कोर्ट

    By Jagran News PatnaEdited By:
    Updated: Wed, 22 Jun 2022 05:08 PM (IST)

    President Election 2022 कभी बीजेपी की अटल सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा विपक्ष के राष्‍ट्रपति उम्‍मीदवार बनाए गए हैं। नौकरशाह से राजनेता बने यशवंत सिन्हा का बेबाक अंदाज हमेशा चर्चा में रहा है। आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें।

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    राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा। फाइल तस्‍वीरें।

    पटना। President Election 2022: बिहार में जन्‍मे व पले-बढ़े तथा केंद्र की अटल सरकार (Atal Government) में कैबिनेट मंत्री व पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के तृणमूल कांग्रेस (TMC) के उपाध्‍यक्ष रहे यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को विपक्ष ने अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार (Opposition Presidential Candidate) बनाया है। उनका मुकाबला राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की उम्मीदवार व झारखंड की पूर्व राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू (Dropadi Murmu) से है। ये वही यशवंत हैं, जाे आइएएस अधिकारी रहते हुए बिहार के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री महामाया प्रसाद (Mahamaya Prasad) से भिड़ गए थे। राजनीति में चंद्रशेखर, वीपी सिंह व अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी रहे। कालक्रम में बीजेपी से मोहभंग होने के बाद वे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गए थे। आइए जानते हैं यशवंत सिन्‍हा के संबंध में कुछ रोचक बातें...

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    • यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर 1937 को पटना में हुआ। उनका पैतृक गांव बिहार के बक्‍सर में पांडयपट्टी है। उनकी शिक्षा-दीक्षा पटना कॉलेजिएट स्कूल और पटना यूनिवर्सिटी से हुई। आगे साल 1958 में वे पटना यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बने।
    • साल 1960 में यशवंत सिन्‍हा ने भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा पास की। उन्‍हें पूरे देश में 12वीं रैंक मिली थी। अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहते हुए 24 साल तक आईएएस अधिकारी रहे। वे केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव और जर्मनी में भारतीय वाणिज्य दूतावास में प्रथम सचिव भी रहे थे।
    • प्रशिक्षण के बाद उन्‍हें अविभाजित बिहार के संथाल परगना में डीसी (Deputy Commissionar) बनाया गया। वहां 1964 में जब तत्कालीन मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा दौरे पर गए थे, तब कुछ लोगों ने अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की। इसपर मुख्यमंत्री भीड़ के सामने ही यशवंत सिन्हा से सवाल करने लगे। इस दौरान सिंचाई मंत्री भी तेवर दिखाने लगे। तब यशवंत सिन्हा ने मुख्यमंत्री की तरफ देख कर कहा कि वे ऐसे व्यवहार के आदी नहीं हैं। घटना के बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें एक कमरे में ले गए। वहां भी यशवंत के तेवर देख महामाया प्रसाद ने गुस्से में कहा कि वे दूसरी नौकरी खोज लें। इसपर यशवंत सिन्हा ने कहा, 'सर, आप एक आइएएस नहीं बन सकते, लेकिन मैं एक दिन मुख्यमंत्री जरूर बन सकता हूं।'
    • यशवंत सिन्‍हा ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण से प्रभावित होकर रिटायरमेंट से 12 साल पहले 1984 में ही नौकरी छोड़ दी और जनता पार्टी (Janata Party) में शामिल हो गए। राजनीति में वे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के करीबी हो गए।
    • कांग्रेस के खिलाफ बोफोर्स घोटाले की खबर फैली तो इसपर राजनीतिक घमासान मचना ही था। बोफोर्स घोटाला के खिलाफ आवाज उठाकर वीपी सिंह की राजनीति परवान चढ़ी। जब 1989 में वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने यशवंत सिन्‍हा को राज्यमंत्री बनाने का फैसला किया। तत्‍कालीन कैबिनेट सचिव टीएन शेषन ने यशवंत सिन्‍हा को मंत्री बनाए जाने का पत्र सौंपा तो अपनी वरीयता का हवाला देते हुए राज्‍य मंत्री के पद काे 10 सेकेंड के अंदर ही ठुकरा दिया।
    • वीपी सिंह के बाद नवंबर 1990 में चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने। उन्होंने यशवंत सिन्हा को वित्त मंत्री बनाया। हालांकि, उनकी सरकार केवल 223 दिनों में ही गिर गई।
    • चंद्रशेखर की सरकार गिरने के बाद यशवंत सिन्हा बीजेपी में चले गए। 1996 में वे बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने।बीजेपी में वे अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी हो गए। अटल सरकार में 1998 में वे वित्त मंत्री और आगे विदेश मंत्री भी बनाए गए।
    • 2004 में यशवंत सिन्हा हजारीबाग निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव हार गए। 2009 में यशवंत सिन्हा बीजेपी के टिकट पर हजारीबाग से सांसद चुने गए।
    • 2014 में यशवंत सिन्हा ने चुनावी राजनीति से दूर रहने की इच्छा जताई। अब उनके बड़े बेटे जयंत सिन्हा को पार्टी ने टिकट दिया और उन्होंने अपनी पहली जीत दर्ज की।
    • कालक्रम में यशवंत सिन्हा का बीजेपी नेतृत्‍व व पीएम मोदी से मतभेद हो गया। इसके बाद उन्‍होंने 21 अप्रैल 2018 को पार्टी छोड़ दिया।
    • बीजेपी से इस्‍तीफा देने के बाद 24 अक्टूबर 2018 को यशवंत सिन्हा ने बड़ा कदम उठाया। वे अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण के साथ राफेल सौदे में भ्रष्‍टाचार के आरोप में प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। उन्‍होंने कोर्ट में याचिका मोदी सरकार के दौरान राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार के आरोप में कोर्ट में याचिका दायर की। इसकी सीबीआइ जांच कराने की मांग भी रखी।
    • यशवंत सिन्हा 2021 में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। ममता ने उन्‍हें पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी।
    • 21 जून 2022 को उन्‍हें राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का साझा उम्मीदवार घोषित किया गया।

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