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    बिहार में जीविका के जरिए सवा करोड़ परिवारों को मिल रही रोजी, 2006 में छह प्रखंडों से हुई थी शुरुआत

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Mon, 11 Jul 2022 09:52 AM (IST)

    विश्व जनसंख्या दिवस बिहार में आबादी के नियोजन में मददगार बनी जीविका योजना सवा करोड़ परिवारों को मिल रहा इसका फायदा 10.30 लाख से अधिक महिलाओं की एसएचजी कर रहा काम समूहों द्वारा अभी 16537 करोड़ रुपये का हो रहा है लेनदेन

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    बिहार में जीविका योजना से बड़ी आबादी को मिला रोजगार। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    रमण शुक्ला, पटना। जीविका के जरिए बिहार के सवा करोड़ परिवारों को विभिन्न माध्यम से रोजगार दिया जा रहा है। यह उपलब्धि पिछले डेढ़ दशक में प्राप्त हुई है। ग्रामीण स्तर पर लोगों को स्वरोजगार देने, विशेषकर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से 2006 में पांच प्रखंडों से इस व्यवस्था की शुरुआत हुई थी। वर्तमान में 1.27 करोड़ परिवारों तक जीविका की पहुंच है। इसके तहत टोला स्तर पर एसएचजी (स्वयं सहायता समूह), गांव स्तर पर वीओ (ग्राम संगठन) और संकुल स्तर पर सीएलएफ (संकुल स्तरीय संघ) का गठन हुआ है।

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    इन इकाइयों द्वारा 12.72 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों का बड़ा नेटवर्क तैयार किया गया है। इन समूहों द्वारा अभी 16,537 करोड़ रुपये का लेनदेन हो रहा है। जीविका बिहार ग्रामीण आजीविका प्रोत्साहन सोसायटी (बीआरएलपी) की निबंधित संस्था है, जो बिहार के ग्रामीण विकास में मुख्य भूमिका निभा रही है।

    बिहार की 90 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। इसके लिए रोजगार की सतत व्यवस्था के उद्देश्य से एसएचजी में 12 से 15 व्यक्तियों, वीओ में भी 12 से 15 और सीएलएफ में 25 से 45 वीओ को शामिल किया है। वर्तमान में 10.30 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। यह एसएचजी 66,270 ग्राम संगठनों और 1296 संकुल स्तरीय संघों से संबद्ध है। 

    आजीविका को ऐसे दे रहीं बढ़ावा

    जीविका की दीदियां अनेक आजीविका पर काम कर रही हैं। इसमें फसल सघनीकरण प्रणाली सबसे अहम है। मधुमक्खी पालन, समग्र परियोजना के तहत (श्री विधि) धान और गेहूं के अलावा दलहन एवं सब्जियों की खेती है। इसके अलावा जीविका दीदियां मुर्गी पालन, बकरी पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, दूध उत्पादन और पौधशालाएं समूह में चला रही हैं।

    सरकार की ओर से अब सबसे अहम जिम्मेदारी सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों का पोशाक सिलने का काम जीविका दीदियों के स्वयं सहायता समूहों को देने की तैयारी है। मधुमक्खी पालन में 5196 समूह कार्यरत हैं। इसके साथ ही 2740 जीविका दीदियों की समूह मेलों, खादी माल, वेलनेस माल, बिजनस-टू बिजनस, बिजनस-टू-कस्टमर आदि के माध्यम से आफलाइन और जेम पोर्टल, अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि आनलाइन पोर्टलों के जरिए भी अपने उत्पाद बेच रही हैं।

    • टोला स्तर पर स्वयं सहायता समूह- 10,30084
    • गांव स्तर पर ग्राम संगठन- 66270
    • संकुल स्तर पर संकुल स्तरीय संघ- 1296