Bihar News: भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ पर बिहार राजभवन में कार्यशाला का हुआ आयोजन, राज्यपाल रहे उपस्थित
पटना के राजभवन में भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ पर महात्मा गांधी जी की प्रासंगिकता विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गांधीजी के सिद्धांतों को आज के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में अनिवार्य बताया। पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने भी गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता पर विचार साझा किए।

जागरण संवाददाता, पटना। 9 अगस्त 2025 को ऐतिहासिक भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ के अवसर पर बिहार के राजभवन के दरबार हॉल में 'महात्मा गांधी जी की प्रासंगिकता' विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस आयोजन का उद्देश्य गांधीजी के विचारों और सिद्धांतों की समकालीन संदर्भ में उपयोगिता पर विमर्श करना था।
कार्यशाला का शुभारंभ माननीय आरिफ मोहम्मद खान, राज्यपाल बिहार के करकमलों से दीप प्रज्ज्वलन एवं उद्बोधन के साथ हुआ। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने गांधीजी के सत्य, अहिंसा, आत्मनिर्भरता और ग्राम स्वराज के सिद्धांतों को आज के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में अनिवार्य बताया।
उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति सदैव शांति और अहिंसा की रही हैं जिसे बापू ने अपने जीवनपर्यंत न केवल फैलाया बल्कि उसे व्यावहारिक रुप में लागू भी किया।
गांधी जी का नैतिक बल आज भी प्रेरणा देता है। यह नैतिक बल ही है, जिसके कारण आज की विश्व के महाशक्ति के भारत मुखर होकर खड़ा है।
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राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार।
मुख्य अतिथि आरिफ मोहम्मद खान ने प्रो. (डॉ.) रेखा कुमारी, प्रो. पारस राय, डॉ. शुभलक्ष्मी, डॉ. कुमारी रेखा, प्रो. परमानन्द सिंह और वसीम अहमद खान प्रशस्ति चिन्ह देकर विशेष सम्मान प्रदान किया।
सत्र की अध्यक्षता माननीय निखिल कुमार, पूर्व राज्यपाल केरल एवं नागालैंड ने की। अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने गांधी जी के विचारों की वर्तमान सामाजिक संदर्भों में प्रासंगिकता पर अपना विचार साझा किया और कहा कि महात्मा गांधी की प्रासंगिकता को प्रसारित करने हेतु आरंभ किये गये इस अभियान में उनका पूर्ण सहयोग रहेगा।
स्वागत भाषण प्रो.(डॉ.) देवेन्द्र प्रसाद सिंह, संयोजक, गांधी प्रासंगिकता स्थापनार्थ अभियान समिति ने प्रस्तुत किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. सूरज मंडल, पूर्व सांसद एवं उपाध्यक्ष, झारखंड स्वायतशासी परिषद उपस्थित रहे।
इस अवसर पर प्रो.(डॉ.) दिनेश चंद्र राय (कुलपति, बी.आर.ए.बी. विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर), प्रो.(डॉ.) तपन कुमार शांडिल्य (प्राचार्य, टी.पी.एस. कॉलेज, पटना एवं पूर्व कुलपति, डी.एस.पी.एम.यू, रांची) तथा श्री संजय राय (सचिव, हरिजन सेवक संघ, नई दिल्ली) ने भी विचार रखे।
सत्र का संचालन प्रो.(डॉ.) अखिलेश कुमार, प्राचार्य, एम.डी. कॉलेज, नौबतपुर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. देव प्रकाश, सहायक प्राध्यापक, दाउदनगर कॉलेज, दाउदनगर ने दिया।
उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रो.(डॉ.) दिनेश चंद्र राय ने की। मुख्य वक्ता प्रो.(डॉ.) तपन कुमार शांडिल्य ने गांधीजी के विचारों की आज की चुनौतियों जलवायु परिवर्तन, असमानता, बेरोजगारी और सामाजिक विघटन के संदर्भ में गहन व्याख्या की।
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राज्यपाल ने किया संबोधित।
आसिफ वसी (संयुक्त सचिव, गांधी संग्रहालय, पटना) ने गांधीजी के जीवन प्रसंगों के माध्यम से उनके सतत विकास और शांति निर्माण के संदेश को रेखांकित किया। सत्र का संचालन डॉ. शशि भूषण एवं डॉ देव प्रकाश ने किया। धन्यवाद ज्ञापन वेंकटेश कुमार ने किया। समापन सत्र की अध्यक्षता विनय कुमार, निदेशक, बापू टावर, पटना ने की। मुख्य अतिथि सुरेंद्र कुमार, पूर्व सचिव, गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली रहे।
मुख्य वक्ता संजय राय (सचिव, हरिजन सेवक संघ, नई दिल्ली) ने गांधीजी की नीतियों को सामाजिक सद्भाव और न्याय के मूलाधार के रूप में प्रस्तुत किया और गांधीवादी दृष्टिकोण को लोकतांत्रिक मूल्यों के पुनर्जीवन से जोड़ा।
समापन भाषण डॉ. सूरज मंडल ने दिया, जिसमें उन्होंने गांधीजी की विरासत को भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बताया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शशि भूषण, पर्यावरण शोध एवं ग्रामीण विकास संस्थान, पटना ने किया।
कार्यशाला का सार
पूरे दिन चले इस कार्यक्रम में गांधी जी के विचारों को शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण और अंतर्राष्ट्रीय शांति में लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। प्रतिभागियों ने सामूहिक रूप से यह संदेश दिया कि गांधीवादी सिद्धांत न केवल अतीत की धरोहर हैं बल्कि वर्तमान और भविष्य के सामाजिक-आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए भी दिशा-दर्शक हैं।

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