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    'महिला सशक्तिकरण के बिना देश का विकास संभव नहीं', ललन सिंह ने सचिवालय में कार्यक्रम को किया संबोधित

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 08:25 PM (IST)

    केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के बिना विकास संभव नहीं है। बिहार की विकास दर 9.2% है जिसमें महिला सशक्तिकरण का बड़ा योगदान है। नीतीश कुमार ने 2005 में मुख्यमंत्री बनते ही महिलाओं को सशक्त बनाने की शुरुआत की। उन्होंने पंचायती राज में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत किया।

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    बिहार में महिला सशक्तिकरण विकास की राह पर अग्रसर

    डिजिटल डेस्क, पटना। केन्द्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के बिना किसी भी परिवार, समाज, राज्य या देश के विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती। बिहार आज विकास के रास्ते पर इसलिए अग्रसर है कि जब नीतीश कुमार ने वर्ष 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला तो उन्होंने सबसे पहले राज्य में महिला सशक्तिकरण की नींव रखी थी।

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    पंचायती राज मंत्री ललन सिंह शनिवार को सचिवालय स्थित अधिवेशन भवन में “महिला सहभागिता से विकसित बिहार की परिकल्पना” विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का आयोजन भारतीय लोक प्रशासन संस्थान और जीविका ने संयुक्त रूप से किया।

    इस मौके पर केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह, केन्द्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह और बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर बिहार सरकार के विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक एसएन त्रिपाठी, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह समेत राज्य व केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी और राज्यभर से आयीं जीविका समूह की दीदियां मौजूद थीं।

    केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि आज देशभर में 9.2 प्रतिशत की विकास दर के साथ बिहार तीसरे स्थान पर है। इसका मुख्य कारण है महिला सशक्तिकरण। उन्होंने कहा कि महिलाओं की आबादी 50 प्रतिशत है। महिलाओं की शक्ति को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले पहचाना और उन्हे न केवल समाज की मुख्यधारा में लाने के प्रयास तेज किए बल्कि उनमें नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए उन्हें आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाने का बीड़ा भी उठाया।

    उन्होंने सबसे पहले पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। बाद के दिनों में नीतीश कुमार ने स्वयं सहायता समूहों के जरीये महिलाओं को सशक्त करने की रणनीति बनाई। आज बिहार में 11 लाख स्वयं सहायता समूह हैं और इन समूहों से राज्य की 1.40 करोड़ से भी अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। ललन सिंह ने कहा कि बिहार की लड़कियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उन्होंने स्कूली छात्राओं के लिए साइकिल और पोशाक योजना की शुरुआत की।

    उन्होंने कहा कि महिलाओं की मांग पर ही मुख्यमंत्री ने वर्ष 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी का फैसला लिया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बिहार में महिला सशक्तिकरण एक सक्सेस स्टोरी के रूप में देश के सामने है। उन्होंने महिला सशक्तिकरण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि महिला उत्थान योजना के तहत देशभर की महिलाओं के लिए उज्ज्वला और मुद्रा जैसी योजनाओं की शुरुआत की। आज बिहार में तीन करोड़ दीदियां लखपति हो चुकी हैं।

    सम्मेलन को संबोधित करते हुए केन्द्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यदि वर्ष 2047 तक देश की महिलाओं को सशक्त नहीं किया गया तो भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना पूरा नहीं हो सकेगा। बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि महिला सशक्तिकरण का जो काम बिहार में किया गया है, वह देश के लिए एक उदाहरण है।

    उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में मरीजों और उनके परिजनों के लिए सस्ते दर पर भोजन उपलब्ध करने का काम अब जीविका दीदियां करेंगी। इतना ही नहीं, जीविका दीदियों के द्वारा जिला अस्पतालों और राज्य के सभी प्रखंड कार्यालयों में भी कैंटीन का संचालन जीविका दीदियों द्वारा किया अब आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों की पोशाक भी जीविका दीदियों द्वारा सिला जाएगा। साथ ही, आवासीय विद्यालयों की रसोई भी जीविका दीदियां ही संभालने वाली हैं। इसके लिए उन्हे विशेष प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है।