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    बिहार में साइनस की सर्जरी के बाद महिला को नहीं आया होश, 23 साल बाद 11.50 लाख हर्जाना देंगे डॉक्टर

    Updated: Thu, 29 May 2025 07:29 PM (IST)

    साइनस की सर्जरी के बाद खगौल की महिला को होश ही नहीं आया। पति भरत प्रसाद गुप्ता इसके लिए डा. अवधेश को दोषी ठहराते हुए मामला जिला उपभोक्ता आयोग में लाए। ...और पढ़ें

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    आपरेशन में कोताही पर डाक्टर को देना है हर्जाना। सांकेतिक तस्वीर।

    राज्य ब्यूरो, पटना। दिसंबर 2002 में साइनस की सर्जरी के बाद खगौल की महिला को होश ही नहीं आया। आपरेशन करने वाले ईएनटी विशेषज्ञ डा. अवधेश प्रसाद गुप्ता ने अगले दिन उन्हें न्यूरो सर्जन डा. प्रदीप कुमार के पास रेफर किया। न्यूरो सर्जन ने मगध अस्पताल में भर्ती करा दिया। वहां 15 दिनों बाद उसने दम तोड़ दिया।

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    बिना आवश्यक उपकरण ऑपरेशन किया

    पति भरत प्रसाद गुप्ता इसके लिए डा. अवधेश को दोषी ठहराते हुए मामला जिला उपभोक्ता आयोग में लाए। उन्होंने बताया कि बिना आवश्यक उपकरण व विशेषज्ञ एनेस्थेटिस्ट के आपरेशन किया गया। वहां आईसीयू तक नहीं था। मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम भी नहीं हुआ। मामला काफी जटिल था।

    10 लाख रुपये क्षतिपूर्ति का निर्देश

    आयोग के अध्यक्ष प्रेम रंजन मिश्रा व सदस्य रजनीश कुमार ने तर्कों के साथ साक्ष्यों का अवलोकन किया और डा. अवधेश को दोषी पाया। ऐसे मामलों में न्यायालयों व उपभोक्ता आयोग द्वारा पूर्व में दिए गए निर्णयों ने भी राह सुझाई। आयोग ने डा. अवधेश को 10 लाख रुपये क्षतिपूर्ति का निर्देश दिया। एक लाख रुपये मानसिक-शारीरिक पीड़ा और 50 हजार रुपये कानूनी व्यय के एवज में देने होंगे।

    जिला उपभोक्ता आयोग ने सभी पक्षों को तलब किया

    यह मामला राज्य उपभोक्ता आयोग से होकर जिला उपभोक्ता आयोग में आया था। सुनवाई के क्रम में जिला उपभोक्ता आयोग ने सभी पक्षों को तलब किया। डा. अवधेश ने अपनी दक्षता और लंबे अनुभव का हवाला दिया। कहा कि आपरेशन के दौरान एनेस्थेटिस्ट उपस्थित रहे। बताया कि भरत के पुत्र के साइनस का सफल आपरेशन भी उन्होंने ही किया था।

    विशेषज्ञ चिकित्सक और आइसीयू तक नहीं

    भरत का कहना था कि उनके निजी क्लिनिक में बुनियादी ढांचे की कमी तो है ही, दूसरे विशेषज्ञ चिकित्सक और आइसीयू तक नहीं। बिना आइसीयू के आपरेशन कैसे हो सकता है। चिकित्सकीय लापरवाही और सेवा में कमी के कारण मरीज की मृत्यु हुई है। डा. प्रदीप ने बताया कि उनके समक्ष मामला विलंब से आया। मस्तिष्क को गंभीर क्षति पहुंची थी और स्वजनों की सहमति से मरीज को मगध अस्पताल भेजा गया।

    मरीज एमोफिस एन्सेफैलोपैथी से पीड़ित

    जांच में पता चला कि मरीज एमोफिस एन्सेफैलोपैथी से पीड़ित है, जिसमें न्यूरो सिस्टम सेरिबैलम को चोट लगी है, जिससे मस्तिष्क पर असर पड़ रहा है। मगध अस्पताल की ओर से बताया गया कि उसे आपरेशन के विवरण की कोई जानकारी नहीं, क्योंकि वह अस्पताल में नहीं हुआ। मरीज को सर्वोत्तम चिकित्सा और नर्सिंग सेवाएं प्रदान की गईं और उनकी ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई।

    आपरेशन में घोर लापरवाही 

    अपने निर्णय में आयोग ने लिखा है कि आपरेशन में घोर लापरवाही बरती गई। दवा के माध्यम से मरीज को बेहोश कर दिया गया। चोट के कारण रोगी की हालत कभी भी होश में आने लायक नहीं हुई, बल्कि चिकित्सकीय लापरवाही और सेवा में कमी के कारण उसकी मृत्यु तक हर दिन स्थिति बिगड़ती ही गई।