ट्रंप के टैरिफ से क्या बिहार बच जाएगा? टेंशन में Export कारोबारी, अब पिटारे से निकाल रहे 'Plan B'
ट्रंप ने अपने एलान के कुछ ही घंटों बाद ही नई दिल्ली और उसके व्यापारिक साझेदार मास्को पर निशाना साधा है। ट्रंप ने यह भी कहा है कि उन्हें रूस के साथ भारत के व्यापारिक लेन-देन की कोई परवाह नहीं है और दोनों मिलकर अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को नीचे गिरा सकते हैं।

डिजिटल डेस्क, पटना। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा ने बिहार के एक्सपोर्ट कारोबारियों की टेंशन भी बढ़ा दी है। हालांकि, अभी टैरिफ पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन राज्य के कारोबारियों ने अपने 'प्लान बी' पर काम शुरू कर दिया है।
बिहार में भी ट्रंप के टैरिफ का असर दिखने को मिल सकता है, ऐसे में राज्य के निर्यात कारोबारियों की चिंता बढ़ गई है। बता दें कि मखाना, लीची, आम और हल्दी जैसे कृषि उत्पादों के निर्यात पर इसका खासा असर देखने को मिल सकता है।
इधर, ट्रंप ने अपने एलान के कुछ ही घंटों बाद ही नई दिल्ली और उसके व्यापारिक साझेदार मास्को पर निशाना साधा है। ट्रंप ने यह भी कहा है कि उन्हें रूस के साथ भारत के व्यापारिक लेन-देन की कोई परवाह नहीं है और दोनों मिलकर अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को नीचे गिरा सकते हैं।
ट्रंप के इस बयान ने भी बिहार ही नहीं; देशभर के कारोबारियों की चिंता बढ़ाई है। आइए यहां जानते हैं कि ट्रंप के टैरिफ का बिहार पर क्या कुछ असर पड़ेगा?
कैसे प्रभावित होंगे बिहार के किसान और व्यापारी?
मखाना और लीची का निर्यात गिरने का खतरा: ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका में इनकी कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे मांग घट सकती है और निर्यात में गिरावट आ सकती है।
कीमतों में वृद्धि: टैरिफ के कारण अमेरिका में मखाना और लीची की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे ये उत्पाद अमेरिकी बाजार में कम प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं।
निर्यात में गिरावट: यदि अमेरिका में मांग कम होती है, तो निर्यात में गिरावट आ सकती है, जिससे बिहार के किसानों और व्यापारियों को नुकसान हो सकता है।
किन क्षेत्रों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
कपड़ा उद्योग: ट्रंप के टैरिफ से भारतीय कपड़ा उद्योग पर खासा असर पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिका भारत से कपड़ों का बड़ा आयातक है।
ज्वेलरी और फार्मा: इन क्षेत्रों पर भी टैरिफ का असर पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिका में इन उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
कृषि उत्पाद: मखाना, लीची, आम और हल्दी जैसे कृषि उत्पादों के निर्यात पर भी टैरिफ का असर पड़ सकता है।
क्या होगा समाधान?
वैकल्पिक बाजारों की तलाश: बिहार के निर्यातक वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर सकते हैं जहां टैरिफ नहीं है या कम है।
उत्पादों में विविधता: उत्पादों में विविधता लाकर और नए उत्पादों को विकसित करके निर्यातक टैरिफ के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
सरकारी सहायता: सरकार निर्यातकों को सहायता प्रदान कर सकती है, जैसे कि टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए सब्सिडी या अन्य सहायता प्रदान करना।
ज्यादा असर नहीं पड़ेगा
ये हमारा जो निर्यात होता है वो आयात से बहुत कम है। इसके कारण बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। लीची उत्पादक बहुत ज्यादा निर्भर नहीं है दूसरे देशों में भी इसका निर्यात होता है। टैरिफ के प्रभाव पड़ने पर कम करने के लिए सब्सिडी या अन्य सहायता प्रदान किया जाएगा।
सत्यदेव प्रसाद, चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष, बक्सर
फूड आइटम पर इतना टैक्स नहीं रहना चाहिए
हमलोग का कहना है कि फूड आइटम पर इतना टैक्स रहेगा तो हमलोग की कारोबार कैसे करेंगे। इसके लिए अगर बोर्ड बन जाएं और फिक्स रेट हो जाए जिससे हमलोगों को राहत मिलेगा। इसलिए सरकार को चाहिए ही हमलोगों को यहीं पर मार्केट सुविधा दी जाएं साथ ही और देशों से भी निर्यात पर बात की जाए ताकि हमलोगों का मार्केट बना रहे।
रीतेश चौधरी, मखाना कारोबारी, कटिहार
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