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    Bihar Politics : बिहार के नेता प्रशांत किशोर के नाम पर क्यों हो जाते हैं चुप? हाथ जोड़कर टाल देते हैं जवाब

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 06:23 PM (IST)

    बिहार में प्रशांत किशोर (पीके) के नाम से कई नेता असहज महसूस कर रहे हैं। जिन नेताओं से पीके के बारे में सवाल पूछे जा रहे हैं वे या तो चुप्पी साध लेते हैं या फिर हाथ जोड़कर किनारा कर लेते हैं। पीके के प्रति नेताओं की यह प्रतिक्रिया डर और उम्मीद का मिश्रण है।

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    पीके का नाम सुनते ही जुड़ जाते हैं दोनों हाथ

    राज्य ब्यूरो, पटना। जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर इन दिनों राज्य सरकार के मंत्रियों की पोल खोलने के लिए चर्चा में हैं। प्रभावित मंत्री आरोपों का उत्तर देने की औपचारिकता निभा रहे हैं। लेकिन, उन मंत्रियों और नेताओं की संख्या अधिक है, जो पीके का नाम सुनते ही कैमरा के सामने दोनों हाथ जोड़ लेते हैं। ऐसे नेताओं में केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी, पूर्व सांसद आनंद मोहन और पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद भी शामिल हैं।

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    आम तौर पर दुनिया के सभी प्रश्नों के उत्तर देने के लिए प्रस्तुत रहने वाले राजनेता प्रशांत किशोर का नाम सुनकर क्यों चुप हो जाते हैं? यह रहस्य बना हुआ है। पूर्व सांसद आनंद मोहन कभी मंत्री नहीं रहे हैं। भ्रष्टाचार से जुड़ा आरोप भी नहीं है। लेकिन, जब उनसे पीके के बारे में पूछा गया, उनके दोनों हाथ जुड़ गए। सिर्फ इतना बोल पाए-25 (इस साल के विधानसभा चुनाव ) के बाद मिलेंगे। मेरी शुभकामना है।

    भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद तो इलेक्ट्रानिक मीडिया के एक कार्यक्रम में पीके पर इतना भी नहीं बोल पाए। एंकर ने प्रश्न किया-पीके पर कुछ बोलेंगे? तारकिशोर उठ खड़े हुए। उन्होंने एंकर को माइक लौटाने का प्रयास किया। एंकर से देरी हुई तो माइक कुर्सी पर पटक कर वे मंच से उतर गए।

    ग्रामीण कार्य मंत्री डा. अशाेक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी लोजपा (रा.) की सांसद हैं। पीके ने शांभवी पर बड़े पैमाने पर जमीन खरीद का आरोप लगाया। लोजपा (रा.) के सांसद राजेश वर्मा से जब पीके के आरोप के संदर्भ में टिप्पणी की अपेक्षा की गई, प्रणाम की मुद्रा में उनके हाथ जुड़ गए।

    केंद्रीय मंत्री जीतनराम का उत्तर कुछ इस तरह था, प्रशांत किशोर महान आदमी हैं भाई। उनके बारे में मैं कुछ नहीं बोल सकता हूं। यह सब बोलते हुए मांझी के दोनों हाथ जुड़े हुए थे।

    स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पर पीके ने कई आरोप लगाए। लेकिन, पांडेय ने कहा कि प्रशांत किशोर पढ़े-लिखे आदमी हैं। मैं उनके बारे में क्यों कोई टिप्पणी करूं। मंगल पांडेय की तरह पीके के आरोपों को झेल रहे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा-मैं अपना काम करता हूं। किसी दूसरे के काम पर नो कमेंट।

    पीके हैं ईमानदार

    पीके से जुड़े प्रश्न पर पूर्व मंत्री और जदयू के विधान परिषद सदस्य श्रीभगवान सिंह का रूख एकदम से अलग था। उनके हाथ नहीं जुड़े। पीके के लिए प्रशंसा के बोल निकले-प्रशांत किशोर ईमानदार व्यक्ति हैं।उन्हें मैंने मुख्यमंत्री निवास में भी देखा है। वे चाहते तो अरबों की कमाई कर सकते थे। लेकिन, उन पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। वह कुछ अच्छा करना चाहते हैं।

    सिर्फ डर नहीं

    पीके के प्रति बिहार के नेताओं की यह सहृदयता केवल डर की ऊपज नहीं है। एक उम्मीद भी है। प्राय: सभी बड़े राजनेताओं के एक या अधिक स्वजन विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। अपने दल से टिकट न मिलने की हालत में स्वजनों के लिए जनसुराज एक विकल्प हो सकता है। साे, यह भी एक कारण है। कुछ बोल कर संबंध खराब कर लें तो किस मुंह से टिकट मांगेंगे।