JDU President: क्या कर्पूरी ठाकुर के बेटे को मिलेगी जदयू की कमान? पढ़ें कौन हैं रामनाथ ठाकुर जिन्हें नीतीश दे सकते हैं जिम्मेदारी
Bihar News बिहार की सियासत में जेडीयू की बैठक की खूब चर्चा हो रही है। इससे भी ज्यादा ललन सिंह के इस्तीफे की अटकलें लग रही हैं। हालांकि ललन सिंह ने कल मीडिया के सामने इस बात पर गुस्सा भी जाहिर किया था। आज यानी 29 दिसंबर को एक बार फिरे से जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होने जा रही है।
डिजिटल डेस्क, पटना। Who is Ramnath Thakur: बिहार में जेडीयू की बैठक के बीच सबसे ज्यादा चर्चा JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की हो रही है। बताया जा रहा है कि आज यानी 29 दिसंबर की मीटिंग में वह इस्तीफा दे सकते हैं। इसके बाद उनकी जगह किसी और दिग्गज नेता को जदयू की कमान दी जा सकती है।
इन नेताओं में सबसे अधिक चर्चा कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर (Ramnath Thakur) की हो रही है। बहुत लोग रामनाथ ठाकुर के नाम से वाकीफ नहीं होंगे। लेकिन आज हम आपलोगों को बताएंगे कि कौन हैं रामनाथ ठाकुर?
कौन हैं रामनाथ ठाकुर?
बता दें कि रामनाथ ठाकुर (Ramnath Thakur) बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते हैं। जेडीयू में अच्छी पैठ रखते हैं। रामनाथ ठाकुर वर्तमान में जेडीयू से राज्यसभा सांसद भी हैं। रामनाथ ठाकुर का जन्म समस्तीपुर जिले के कर्पूरी गांव में हुआ है।
रामनाथ ठाकुर बिहार विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। लालू प्रसाद की पहली कैबिनेट में गन्ना उद्योग मंत्री भी बने थे। नवंबर 2005 से 2010 तक नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में राजस्व और भूमि सुधार,कानून, सूचना और जनसंपर्क मंत्री थे।
इस वोट बैंक पर खासा असर
बता दें कि रामनाथ ठाकुर की पहचान अपने पिता की तरह ही अति पिछड़ा वर्ग ( EBC) के बड़े नेता के रूप में बनी हुई है। वह नाई जाति से ताल्लुकात रखते हैं।
बिहार में इसकी आबादी लगभग 2 फीसदी है लेकिन कर्पूरी ठाकुर इससे हटकर थे उनका प्रभाव अन्य पिछड़ी जातियों में भी था। इसलिए रामनाथ ठाकुर भी अन्य पिछड़ी जातियों पर खासा असर रखते हैं।
कर्पूरी ठाकुर कौन थे?
जन नायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर जिले में हुआ था। वह नाई जाति से ताल्लुकात रखते थे। कर्पूरी ठाकुर को लोकप्रिय रूप से जन नायक के नाम से जाना जाता है। उन्होंने दिसंबर 1970 से जून 1971 तक (सोशलिस्ट पार्टी/भारतीय क्रांति दल) और दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक (जनता पार्टी) बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
मुख्यमंत्री बने तो बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए मुंगेरी लाल आयोग की अनुशंसा लागू कर आरक्षण का रास्ता खोल दिया। कर्पूरी ठाकुर ने ही बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी पास करने की अनिवार्यता को खत्म किया। उन्होंने ही सबसे पहले बिहार में शराबबंदी भी लागू की थी। सरकार गिरने पर राज्य में फिर से शराब के व्यवसाय को मान्यता मिल गई।
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