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    Bihar Politics: कौन हैं नीतीश कुमार के 'संकटमोचक' नरेंद्र नारायण यादव, जिन्होंने विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए भरा नामांकन

    Updated: Fri, 23 Feb 2024 09:59 AM (IST)

    Bihar News बिहार विधानसभा के डिप्टी स्पीकर पद के लिए नामांकन भरने वाले नरेंद्र नारायण यादव की खास चर्चा हो रही है। नरेंद्र नारायण यादव का नाम बहुत लोगों के लिए नया जरूर है लेकिन नीतीश कुमार के लिए संकटमोचक से कम नहीं हैं। नरेंद्र नारायण यादव 2014 में उस समय संकटमोचक बनकर उभरे थे जब नीतीश कुमार 2014 में बुरी तरह से लोकसभा चुनाव हार गए थे।

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    नीतीश कुमार के खास नरेंद्र नारायण यादव (जागरण)

    डिजिटल डेस्क, पटना। Bihar Political News Hindi: बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने वाले नरेंद्र नारायण यादव की सियासी जगत में काफी चर्चा हो रही है। नरेंद्र नारायण यादव का नाम बहुत लोगों के लिए नया जरूर है लेकिन नीतीश कुमार के लिए संकटमोचक से कम नहीं हैं।

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    तो चलिए आपलोगों को बताते हैं आखिर नरेंद्र नारायण यादव कौन हैं जिनपर नीतीश कुमार ने भरोसा जताया और विधानसभा के उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देने का फैसला लिया है।

    कौन हैं नरेंद्र नारायण यादव? (Who is Narendra Narayan Yadav)

    बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष पद से महेश्वर हजारी के अचानक त्यागपत्र देने के बाद नरेंद्र नारायण यादव का नाम चर्चा में आया। 73 वर्षीय नरेंद्र नारायण यादव मधेपुरा जिला के आलमनगर विधानसभा क्षेत्र 1995 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। विधानसभा में उनका यह सातवां टर्म है। ईमानदार और साफ छवि के नरेंद्र राज्य कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं।

    जेपी आंदोलन से चर्चा में आए नरेंद्र नारायण यादव

    नरेंद्र नारायण यादव मधेपुरा जिला के पुरैनी प्रखंड अन्तर्गत बालाटोल के रहने वाले हैं। इनकी राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1968 में हुई। जेपी आंदोलन के दौरान वे चर्चा में आए। जेपी आंदोलन में इन्होंने बढ़ चढ़कर भाग लिया था।

    पहली बार 2005 में मंत्री बनने का मौका मिला

    नरेंद्र नारायण यादव (Narendra Narayan Yadav) को पहली बार 2005 में नीतीश सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला और ग्रामीण कार्य मंत्री बनाए गए। इसके बाद 2010-2014 तक वे प्रदेश में राजस्व एवं भूमि सुधार के साथ ही विधि विभाग के मंत्री रहे।

    2014 में लोकसभा में हार के बाद संकटमोचक बनकर उभरे थे नरेंद्र नारायण यादव

    नरेंद्र नारायण यादव 2014 में उस समय संकटमोचक बनकर उभरे थे जब नीतीश कुमार 2014 में बुरी तरह से लोकसभा चुनाव हार गए थे। उस संकट के दौरान नरेंद्र नारायण यादव को नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी बनाने की भी बात हो रही थी। उन्होंने 2014 के बाद पार्टी को ऊपर उठाने में अहम भूमिका निभाई।