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    बिहार में कहां खर्च हुए 70000 करोड़? सरकार नहीं दे पाई उपयोगिता प्रमाण पत्र; CAG रिपोर्ट में खुलासे से मचा हड़कंप

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 10:09 AM (IST)

    कैग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार की विकास दर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 14.47% रही जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। रिपोर्ट में राज्य की देनदारियों में वृद्धि और बजट उपयोग की स्थिति का भी उल्लेख है। विकास में तृतीयक क्षेत्र का योगदान सबसे अधिक रहा लेकिन बड़ी मात्रा में उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी भी प्राप्त नहीं हुए हैं।

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    विधानसभा में सम्राट चौधरी ने रखी कैग की रिपोर्ट। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, पटना। विकास की पटरी पर तेज गति से दौड़ रहे बिहार की विकास दर कोरोना काल के अपवाद को छोड़कर निरंतर दोहरे अंक में बनी हुई है।

    वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह 14.47 प्रतिशत रही, जो राष्ट्रीय औसत से 4.87 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, 2022-23 में बिहार की विकास-दर 15.30 प्रतिशत रही थी। गुरुवार को विधानसभा में प्रस्तुत नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से इसकी जानकारी मिली।

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    यह रिपोर्ट बता रही कि विकास दर के समानुपातिक ही राज्य की देनदारियों में भी वृद्धि हुई है। 2023-24 में राज्य की कुल देनदारी 398560.98 करोड़ रुपये थी। यह पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना 12.34 प्रतिशत अधिक रही।

    यद्यपि कुल देनदारी निर्धारित अधिसीमा के भीतर रही, लेकिन 2023-24 में बिहार 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सका।

    कैग की इस रिपोर्ट में बिहार की वित्तीय व्यवस्था का पूरा कच्चा-चिट्ठा है। रिपोर्ट बता रही कि विकास में सर्वाधिक 57.06 प्रतिशत का योगदान तृतीयक क्षेत्र का रहा। इस क्षेत्र में सेवा से संंबंधित सभी कार्यकलाप आते हैं।

    प्राथमिक क्षेत्र का योगदान 24.23 प्रतिशत, जबकि निर्माण और बुनियादी ढांचा से संबंधित द्वितीयक क्षेत्र का योगदान 18.16 प्रतिशत रहा। प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन, वानिकी और खनन आदि आते हैं। जनसंख्या की सर्वाधिक निर्भरता आज भी प्राथमिक क्षेत्र पर ही है।

    बिहार का प्रतिबद्ध व्यय औसतन 8.86 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा। यह 2019-20 के 48477.72 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 70282.32 करोड़ रुपये हो गया। प्रतिबद्ध व्यय के अंतर्गत वेतन-पेंशन और ब्याज भुगतान होता है। इस बढ़ते व्यय के साथ संतोषजनक स्थिति राजस्व को लेकर है।

    2023-24 में राजस्व प्राप्तियों में पिछले वर्ष की तुलना में 11.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह वृद्धि कुल 20659 करोड़ रुपये की रही। केंद्रीय करों व शुल्कों में हिस्सेदारी के साथ बिहार के स्व-कर राजस्व और गैर-कर राजस्व में क्रमश: 9.87 और 25.14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

    बजट को खर्च करने में पड़े ढीले 

    2023-24 में बिहार का कुल बजट 326230.12 करोड़ रुपये था। सरकार इसका मात्र 79.92 प्रतिशत राशि (260718.07 करोड़ रुपये) ही खर्च कर पाई। इस तरह बचत में 65512.05 करोड़ रुपये बनते हैं, जबकि सरकार ने मात्र 23875.55 करोड़ रुपये ही प्रत्यर्पित किया। इस तरह कुल बचत की मात्र 36.44 प्रतिशत राशि ही प्रत्यर्पित की गई।

    समय पर नहीं सौंपे गए विपत्र

    बिहार के महालेखाकार (लेखा और हकदारी) को 31 मार्च, 2024 तक 70877.61 करोड़ के उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यूसी) नहीं मिले।

    स्मरण कराने के बावजूद इस अवधि तक 9205.76 करोड़ का सार आकस्मिक विपत्र (डीसी बिल) भी उपलब्ध नहीं कराया गया। इसमें 7120.02 करोड़ के बिल वित्तीय वर्ष 2022-23 से संबंधित हैं।