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    अठावले, अनुप्रिया, सुशील मोदी व पंकजा जब समर्थन में तो केंद्र ने क्यों नहीं किया विमर्श? बिहार में जदयू हैरान

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 25 Sep 2021 07:56 PM (IST)

    बगैर विमर्श के तय कर लिया गया कि जातिगत जनगणना नहीं होगी। जदयू इस बात को लेकर केंद्र सरकार से हैरान है। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि स्थिति है कि राजग के कई घटक दल जातिगत जनगणना के समर्थन में हैं।

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    पीएम नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, बिहार सीएम नीतीश कुमार, पंकजा मुंडे, रामदास अठावले और बीजेपी सांसद सुशील मोदी।

    राज्य ब्यूरो, पटना : जदयू इस बात को लेकर हैरान है कि जातिगत जनगणना पर केंद्र सरकार ने अपने घटक दलों से विमर्श ही नहीं किया। बगैर विमर्श के तय कर लिया गया कि जातिगत जनगणना नहीं होगी। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि स्थिति है कि राजग के कई घटक दल जातिगत जनगणना के समर्थन में हैं। जदयू तो आरंभ से इस मुद्दे पर मुखर रहा है। यूपी में अपना दल भी इसके समर्थन में है। कोई निर्णय लेने के पहले से इनसे विमर्श आवश्यक हो जाता है। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी व पंकजा मुंडे पहले ही जातीय जनगणना का समर्थन कर चुके हैं। 

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    त्यागी ने कहा कि एक ओर सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय ने हलफनामा दिया है कि जातिगत जनगणना पर आगे नहीं बढ़ा जाए। वहीं केंद्र में सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने इसी महीने कहा है कि उनकी पार्टी जातिगत जनगणना की मांग का उनकी पार्टी समर्थन करती है। अब प्रधानमंत्री को निर्णय लेना है। 

    केंद्र के फैसले से जदयू निराश

    जातिगत जनगणना के समर्थन में जो दल हैं व कहने लगे हैं कि ओबीसी को उसका अधिकार दिए जाने से केंद्र सरकार पीछे हट रही है। केसी त्यागी ने कहा कि केंद्र सरकार के स्तर पर जातिगत जनगणना पर न्यायालय में जो हलफनामा दिया गया है, उससे उनका दल निराश है। स्मरण किया जाना चाहिए कि ओबीसी कल्याण को लेकर भाजपा सांसद गणेश सिंह के नेतृत्व वाली संसदीय कमेटी ने जातिगत जनगणना पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया हुआ है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों ने भी कहा है कि पिछड़े वर्ग के सही आंकड़े की जानकारी के लिए जातिगत जनगणना क्यों नहीं की जाती है। भाजपा के कई नेताओं जैसे सुशील मोदी, संघमित्रा मौर्य और पंकजा मुंडे ने जातिगत जनगणना की वकालत की है। 

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