Kharmas: खरमास के बाद फरवरी से बजेगी शहनाई, शादी-विवाह के कुल 59 शुभ मुहूर्त; नोट करें डेट
15 जनवरी को खरमास समाप्त होने के बाद, नए साल में 5 फरवरी से शादियों की शुरुआत होगी। ज्योतिष आचार्यों के अनुसार, शादी के लिए गुरु और शुक्र का उदित होना ...और पढ़ें

खरमास के बाद फरवरी से बजेगी शहनाई
जागरण संवाददाता, पटना। 15 जनवरी को खरमास समाप्त हो जाएगा। शादी की शहनाई नव वर्ष में पांच फरवरी से गूंजेगी। पांच फरवरी से 12 दिसंबर तक शादी-विवाह के कुल 59 शुभ मुहूर्त होंगे। शुक्र ग्रह एक फरवरी से उदय हो रहा है। ऐसे में शादी ब्याह के शुभ संयोग बना रहेगा।
ज्योतिष आचार्य के अनुसार, शादी-विवाह के लिए गुरु और शुक्र का उदित होना जरूरी है। फरवरी में सबसे अधिक 12 मुहूर्त हैं। इसके बाद मार्च, अप्रैल, मई और जून में शादी के लिए आठ एवं जुलाई में चार और नवंबर में चार और दिसंबर में सात दिन शुभ होगा। 16 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच खरमास के कारण शादी विवाह आदि मांगलिक कार्य वर्जिंत रहेंगे।
जून में अधिकमास और जुलाई-नवंबर के दौरान चातुर्मास के कारण शादी विवाह वर्जित होंगे। इस बार ज्येष्ठ माह दो माह का होगा। इस दौरान शादी विवाह नहीं होंगे। 17 मई से 15 जून और 16 जून से 14 जुलाई के बीच ज्येष्ठ माह रहेगा। इसके बाद 25 जलाई से 20 नवंबर के बीच चातुर्मास में भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे।
शादी में ग्रहों की शुभता जरूरी
शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होते हैं । इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।
ऐसे तय होते हैं शुभ लग्न-मुहूर्त
शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है।वहीं नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक जा रहना जरूरी है।
अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है।
पटना के प्रमुख ज्योतिष विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा। तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेद्ध है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।
वैवाहिक शुभ मुहूर्त
बनारसी पंचाग के अनुसार
- दिसंबर: 5,6
- फरवरी: 4,5,6,7,8,10,11,12,13,14,15,19,20,21,24,25,26
- मार्च: 2,4,5,7,8,9,10,11,12,13,14
मिथिला पंचाग के मुताबिक
- जनवरी: 29
- फरवरी: 5,6,8,15,19,20,22, 25, 26
- मार्च: 4, 9,11,13

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