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    Bihar News: प्लास्टिक को मात देगा जलकुंभी उत्पाद, महिलाओं को मिलेगा रोजगार

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 06:57 PM (IST)

    अब जलकुंभी से पर्स और बैग जैसे उत्पाद बनाए जाएंगे। केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने वैशाली जिले के सतपुरा गांव में 50 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। यह नवाचार प्लास्टिक के उपयोग को कम करेगा और पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगा। जलकुंभी से बने उत्पाद स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्रदान करेंगे। इससे महिलाओं में उत्साह है और राज्य को एक नई पहचान मिलेगी।

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    प्लास्टिक को मात देगा जलकुंभी उत्पाद। (फोटो जागरण)

    नलिनी रंजन, पटना। बाढ़ का पानी हो या पोखर-तालाब में यूं ही हरियाली बिखड़ने वाली जलकुंभी से नवाचार कर अब उत्पाद को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने की कवायद पूरी हो गई है। इस नवाचार से जहां प्लास्टिक की उपयोगिता कम होगी, वहीं बिहार की वैश्विक स्तर पर नया पहचान बनेगी।

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    केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की पहल पर कार्यालय विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), पटना ने वैशाली जिले के भगवानपुर प्रखंड स्थित सतपुरा गांव में 50 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है। जो जलकुंभी से जलकुम्भी के पर्स, बैग, कुशन कवर, प्लांटर, बास्केट, दरी, चटाई, डायनिंग मैट, लांड्री बास्केट आदि तैयार किए है।

    अब तक इन क्षेत्रों में प्लास्टिक व अन्य चीजों का बादशाहत थी। अब जलकुंभी से तैयार उत्पादों के उपयोग होने से पर्यावरण संरक्षण के दिशा में ठोस पहल साबित होगा। केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के कार्यालय विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) मुकेश कुमार ने बताया कि हस्तशिल्प सेवा केंद्र के माध्यम से यह प्रशिक्षण सफलता पूर्वक आयोजित हुआ।

    गुवाहाटी में होता है इस क्षेत्र में कार्य

    वस्त्र मंत्रालय के अनुसार गुवाहाटी में जलकुंभी से बने उत्पादों का कार्य होता है। बिहार में खासकर उत्तर बिहार में बाढ़ के कारण पर्याप्त मात्रा में जलकुंभी हो जाते है। इससे खेतों के साथ-साथ तलाब व पोखरों में जलकुंभी भरा रहता है। अब इसका सही से निस्तार करने से जहां स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।

    सहायक निदेशक मुकेश कुमार बताते है कि जलकुंभी को सूखाकर सही तरह से रखने पर प्रति किलो 100 रुपये यह बिकता भी है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। साथ ही महिलाएं आसानी से उत्पाद बनाकर स्वरोजगार कर सकती है।

    आकर्षक उत्पाद से महिलाओं में उत्साह

    आकर्षक उत्पाद तैयार होने से महिलाओं में उत्साह भी देखा जा रहा है। इससे मछली पालन एवं अन्य जलीय जीवों को भी जलकुंभी के दुष्परिणाम से छुटकारा मिलेगा। यह प्लास्टिक को रिप्लेस करने का यह अनोखा प्रयास है।

    जलकुम्भी से बने उत्पाद हमारे घरों, कार्यालयों आदी में प्लास्टिक की जगह ले सकते है। इसके अतिरिक्त इसके बेहतर उत्पादन होने से कलाकारों में राज्य स्तरीय के साथ-साथ देश स्तरीय प्रतियोगिता में भी अवॉर्ड जीतने का मौका प्राप्त होगा।