पटना सहित इन 13 शहरों में सड़कों पर नहीं दिखेगा कचरा, नीतीश सरकार ने बना लिया है प्लान
पटना समेत 13 शहरों का कचरा अब वरदान साबित होगा। राज्य सरकार 514.59 करोड़ रुपये की लागत से कचरा प्रबंधन परियोजना शुरू करेगी। रामचक बैरिया में 1600 टन कचरे की प्रोसेसिंग से 15 मेगावाट बिजली बनेगी और बायो गैस का उत्पादन होगा। खेतों के लिए खाद भी तैयार होगा। केंद्र सरकार 154.38 करोड़ रुपये का अनुदान देगी जिससे शहरों की स्वच्छता रैंकिंग सुधरेगी।

जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी समेत राज्य के 13 शहरों का कचरा अब वरदान साबित होने वाला है। पटना सहित आसपास के 13 नगर निकायों में फैले कचरे की सफाई का प्रबंधन कर जल्द ही स्वच्छ और साफ सुथरा सड़कें व गलियों के साथ-साथ बिजली और गैस का उप्तादन भी प्रारंभ होगा।
राज्य सरकार के कचरा प्रबंधन से अब गंदगी और दुर्गंध फैलाने वाली गंदगी उपयोगी होगी। इससे न सिर्फ बिजली बनेगी और घरों में चूल्हा भी जलेगा।
कैबिनेट के फैसले में लोक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में 514.59 करोड़ रुपये की लागत से ठोस कचरा प्रबंधन परियोजना को मंजूरी दे दी है।
पटना, दानापुर, फतुहा, खगौल, फुलवारीशरीफ, संपतचक, मनेर, मसौढ़ी, बिहटा, बख्तियारपुर, नौबतपुर, पुनपुन और खुसरूपुर का कचरा एक जगह इकट्ठा कर रामचक बैरिया में वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित किया जाएगा।
यहां हर दिन 1600 टन कचरे की प्रोसेसिंग की जाएगी। यह संयत्र न सिर्फ कचरे का निस्तारण करेगा, बल्कि 15 मेगावाट बिजली भी तैयार करेगा। इससे राजधानी पटना की जरूरतों को पूरा किया जाएगा। यह संयंत्र 100 टन प्रतिदिन बायो मिथेनेशन करेगा।
इससे बनी बायो गैस को घरों तक पहुंचाया जाएगा। इसके अलावा खेतों के लिए खाद भी तैयार होगा। जिससे खेती के लिए उपयोगी होगा। सरकार का मानना है कि यह प्रोजेक्ट पटना और उसके आसपास के इलाकों को साफ-सुथरा रखने के साथ-साथ, कचरे से कमाई का रास्ता भी खोलेगा।
पहली बार ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए वीजीएफ फंडिंग
पहली बार केंद्र सरकार ने किसी राज्य को सामाजिक आधारभूत परियोजना के तहत ठोस कचरा प्रबंधन के लिए वीएबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) देने का फैसला किया है।
इसके तहत बिहार को 154.38 करोड़ रुपये का अनुदान भी दिया जाएगा। परियोजना में 30 प्रतिशत से अधिक वीजीएफ की जरूरत पड़ी, तो अंतर की राशि राज्य सरकार अपने खाते से देगी।
फायदे ही फायदे
- इस संयंत्र से खाद भी तैयार होगी, जिससे खेतों में डाला जाएगा।
- शहरों में सड़कों और गलियों में फैला कचरा खत्म होगा।
- शहरवासियों को गंदगी और दुर्गंध से मिलेगी राहत।
- बिजली और बायोगैस उत्पादन से ऊर्जा की अतिरिक्त आपूर्ति होगी।
- पटना और आसपास के शहरों की स्वच्छता रैंकिंग में सुधार होगा।
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