'भाषाओं के संगम में धर्म ने हमें कर रखा है एक', उपराष्ट्रपति बोले- विश्व को अहिंसा की जरूरत
पटना में उन्मेष कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि भारत की सभ्यता एक है और विश्व को अहिंसा की आवश्यकता है। उन्होंने बिहार की ऐतिहासिक धरोहर शिक्षा और संस्कृति की प्रशंसा की। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की पांच भाषाएं साहित्य को शक्ति देती हैं। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष ने इसे साहित्य का महाकुंभ बताया।

जागरण संवाददादा, पटना। अभिव्यक्ति के उत्सव 'उन्मेष' में रविवार को उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि विभिन्न भाषाओं के संगम के बीच एक धर्म ही है, जो हम सबको एक रखता है।
पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक, हम सभी एक ही सभ्यता को जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्व को अंहिसा की जरूरत है।
इसके पहले ज्ञान भवन में कार्यक्रम के समापन समारोह का उद्घाटन उपराष्ट्रपति, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह, साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक, उपराष्ट्रपति के सचिव अमित खरे एवं भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम में तमिलनाडु की रैली में हुई भगदड़ में मृत लोगों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
उपराष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद पहली बार बिहार आए सीपी राधाकृष्णन ने विक्रमशिला और नालंदा विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा के ये मंदिर बताते हैं कि बिहार शुरू से ज्ञान की जननी रहा है। विश्व तक इस विश्वविद्यालय की ख्याति फैली है।
मिथिला पेंटिंग दुनिया में बिहार का परचम लहरा रही है। बिहार में प्रचलित छठ पूजा का संदेश है कि प्रदेशवासी केवल सफल की नहीं, अवसान की ओर जाने वालों की भी आराधना करते हैं।
बिहार की धरती ऐतिहासिक रूप से महान
उपराष्ट्रपति ने कहा कि बिहार की धरती ऐतिहासिक रूप से महान होने के साथ विश्व में लोगों को प्रेरित कर रही है। इस राज्य में बुद्धिस्म एवं जैनिज्म का समावेश है। यह माता सीता और 24वें तीर्थंकर महावीर की जन्मस्थली है।
इसी राज्य में सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बिहार से ही भगवान महावीर और बापू का अहिंसा का संदेश पूरे विश्व में गया। उन्होंने कहा कि महावीर का संदेश अध्यात्म और नैतिक मूल्यों की बात करता है।
'उन्मेष' से होगा नया जागरण
पुराने दिनों को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि 19 वर्ष की उम्र में मैंने जेपी आंदोलन में भाग लिया था। महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह और जेपी ने इसी राज्य से संपूर्ण क्रांति के नारा दिया था। 2500 हजार साल पहले वैशाली में जनतंत्र का जन्म हो गया था।
बिहार में आईएएस-पीसीएस के साथ आईआईटीयंस भी पैदा हो रहे हैं। साहित्य आयोजन 'उन्मेष' की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से नया जागरण होगा। संस्कृति मंत्रालय इसके लिए बधाई का हकदार है, जिन्होंने इतनी भाषाओं, अन्य देशों के लोगों को एक मंच पर लाया।
प्रदेश में भाषाओं का पंचामृत
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार में पांच भाषाओं की अभिव्यक्ति का पंचामृत साहित्य को शक्ति प्रदान करता है। यह प्रदेश कई परिवर्तनों का सूत्रधार रहा है।
उपराष्ट्रपति का आगमन बिहार की सांस्कृतिक विरासत को शक्ति प्रदान करेगा। पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह ने कहा कि साहित्य के बिना जीवन अधूरा है। साहित्य की आगे बढ़ने की शक्ति देता है।
बिहार की सभ्यता से देश प्रकाशवान
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि 550 लेखकों की मौजूदगी में संपन्न हुआ ये आयोजन इस बात की अनुभूति करा रहा है जैसे मैं तीर्थयात्रा पर आया हूं। यहां कलम से कैनवास और रंगमंच से फिल्म तक के बड़े रचनाकारों को स्थान मिला। यह साहित्य का महाकुंभ है।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा कि बिहार साहित्य की भूमि है। इस प्रदेश की सभ्यता का प्रकाश देशभर में गया।
आयोजन में भारत की परंपरा की चर्चा हुई। कई संस्थाओं ने मिलकर इस आयोजन को सफल बनाया। संस्कृति मंत्रालय इस प्रयास में जुटा है कि युवा पीढ़ी साहित्य के और करीब आए।
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