Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भाजपा की सख्ती के आगे वीआइपी के मुकेश सहनी का यू-टर्न, आज करेंगे विधान परिषद के लिए नामांकन

    By Sumita JaiswalEdited By:
    Updated: Mon, 18 Jan 2021 10:17 AM (IST)

    मुकेश सहनी को विधान परिषद के डेढ़ वर्ष के कार्यकाल वाली सीट दी जा रही है। सहनी को इससे एतराज था। छोटे कार्यकाल को लेकर नामांकन से बचना चाह रहे थे। देर ...और पढ़ें

    Hero Image
    वीआइपी अध्यक्ष मुकेश सहनी की फाइल फोटो।

    पटना, राज्य ब्यूरो । राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक दलों में विधान परिषद (Legislative Council) की सीट को लेकर सियासी दांव-पेंच का दौर समाप्त हो गया है। डेढ़ वर्ष के छोटे कार्यकाल का मसला बनाकर विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) नामांकन से बच रहे थे। उन्हें अमित शाह (Amit Shah) के एक फोन कॉल के बाद भाजपा (BJP) के आगे समर्पण कर देना पड़ा है। सहनी सोमवार (18 January)  को विधान परिषद चुनाव के लिए नामांकन करेंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अमित शाह का आभार जताया

    बिहार विधान परिषद की दो सीटें हाल ही में रिक्त हुई थी। भाजपा ने इन सीटों के लिए राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन और वीआइपी अध्यक्ष मुकेश सहनी के नाम का एलान किया था। सहनी को डेढ़ वर्ष के कार्यकाल वाली सीट दी जा रही है। सहनी को इससे एतराज था। रविवार की दोपहर तक सहनी इस मसले पर कुछ भी बोलने से बच रहे थे। लेकिन देर शाम सहनी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा कि गृह मंत्री अमित शाह के भरोसे के लिए धन्यवाद। उन्होंने अभी उन्हें फोन कर विधान परिषद के लिए एनडीए की ओर से प्रत्याशी बनाए जाने की सूचना दी। उन्होंने अमित शाह को धन्यवाद देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं एनडीए के सभी नेताओं के प्रति वे कृतज्ञता प्रकट करते हैं। उन्होंने जागरण को बताया कि वे सोमवार को सुबह नामांकन करेंगे।

    बता दें कि मुकेश सहनी ने बीते वर्ष विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद महागठबंधन से संबंध खराब होने पर भाजपा के साथ गठबंधन किया था। सहनी को विधानसभा की 11 सीटों पर चुनाव लडऩे का मौका दिया। भाजपा ने विधान परिषद की एक सीट भी सहनी को देने का वादा किया था। चुनाव में सहनी के 11 में महज चार उम्मीदवार ही चुनाव जीत सके। खुद सहनी, सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव हार गए। जिसके बाद भी नीतीश कुमार कैबिनेट में उन्हें मंत्री पद दिया गया। प्रविधान के तहत उनके लिए छह महीने के भीतर किसी ना किसी सदन का सदस्य बनना जरूरी होगा। पिछले दो महीने से वह मंत्री हैं और किसी सदन के सदस्य नहीं हैं।