Bihar Politics: 'मुसलमानों को आरक्षण देने का वादा करना...', लालू के बयान पर विजय सिन्हा का पलटवार
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने कहा कि लालू यादव को पता होना चाहिए कि हमारे संविधान में धार्मिक आधार पर किसी को आरक्षण देने की बात नहीं की गई है और न ही हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में धार्मिक विभाजन का कोई प्रावधान है। उन्होंने यह भी कहा विजय सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार अपनी योजनाओं को सबका साथ सबका विकास के संकल्प के साथ सभी देशवासियों तक पहुंचा रही।

राज्य ब्यूरो, पटना। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने मंगलवार को कहा कि लालू यादव का मुसलमानों को आरक्षण देने का वादा करना यह बताता है कि राजद-कांग्रेस गठबंधन पूरी तरह से मुस्लिम लीग के रास्ते पर है। ये लोग संविधान और लोकतंत्र की बात करके उसकी आड़ में देश में धार्मिक उन्माद फैलाकर केवल अपनी राजनीति की रोटी सेंकना चाहते हैं ।
उन्होंने आगे कहा, लालू यादव को पता होना चाहिए कि हमारे संविधान में धार्मिक आधार पर किसी को आरक्षण देने की बात नहीं की गई है और न ही हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में धार्मिक विभाजन का कोई प्रावधान है।
विजय सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार अपनी योजनाओं को सबका साथ सबका विकास के संकल्प के साथ सभी 140 करोड़ देशवासियों तक पहुंचा रही है। इसी बौखलाहट में अब लालू जैसे लोग 1990 के दशक का घिसा कैसेट बजाते हुए लोकतंत्र और संविधान की मूल भावनाओं को ताक पर रखकर देश में उन्माद और अराजकता फैलाने में जुट गए हैं।
मुस्लमानों को मिलना चाहिए आरक्षण- लालू
आरक्षण को लेकर लगातार उठ रहे सवालों पर लालू प्रसाद ने कहा कि आरक्षण का आधार धर्म नहीं बल्कि सामाजिक पिछड़ापन होता है प्रधानमंत्री को इतनी भी समझ नहीं। सवालिया लहजे में प्रसाद ने कहा कि मंडल कमीशन हमने लागू कराया था। क्या नरेन्द्र मोदी ने मंडल कमीशन और उसकी सिफारिशें पढ़ी हैं। मंडल कमीशन में सैकड़ों जातियां हैं जिन्हें आरक्षण मिला हुआ है। लेकिन धर्म के आधार पर नहीं।
प्रसाद ने भाजपा पर आरोप लगाए कि ये लोग आरक्षण को समाप्त करना चाहते हैं। मुस्लिम आरक्षण पर लालू प्रसाद ने कहा कि मुस्लमालों को आरक्षण मिलना चाहिए। लालू प्रसाद ने कहा कि ये लोग संविधान खत्म करना चाहते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तो संविधान समीक्षा आयोग तक गठित कर दिया था। ये लोग संविधान मानने वाले लोग नहीं हैं। यदि संविधान मानते तो नफरत फैलाने वाली विभाजनकारी भाषा का प्रयोग नहीं करते।
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