दैनिक जागरण की कृषि निर्यात संगोष्ठी में विजय कुमार सिन्हा ने कहा- कल्चर पर आधारित है एग्रीकल्चर: उपमुख्यमंत्री
दैनिक जागरण द्वारा आयोजित कृषि निर्यात संगोष्ठी में उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि कृषि संस्कृति पर आधारित है। बिहार अपनी कृषि उत्पादों जैसे लीची मखाना और आम के लिए जाना जाता है। विशेषज्ञों ने कृषि को बढ़ावा देने निर्यात के लिए बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने और किसानों को उद्यमी बनाने पर जोर दिया।

जागरण संवाददाता, पटना। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को दैनिक जागरण की कृषि निर्यात संगोष्ठी में कहा कि एग्रीकल्चर पूरी तरह से कल्चर पर आधारित है। 21वीं सदी में गुलामी के प्रतीक को भारत में नहीं स्वीकार किया जा सकता। विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि उन्होंने अरबी-उर्दू शब्दों का हिंदी में बेहतर विकल्प निकालकर अधिसूचना जारी की है कि अब बिहार में खरीफ की जगह शारदीय, रबी के स्थान पर वासंतिक और गरमा की जगह कृष फसल लिखा जाएगा।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दैनिक जागरण का यह मंच नीति-निर्यात को निवेशकों को एक साथ लाकर किसानों की बेहतरी की ओर ले जाएगा। इसके पहले होटल मौर्या में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन उपमुख्यमंत्री, दैनिक जागरण के मुख्य महाप्रबंधक आनंद त्रिपाठी, डिप्टी एडिटर बिहार अश्विनी कुमार सिंह आदि ने किया।
उपमुख्यत्री ने कहा कि बिहार का आत्मा उसकी मिट्टी में बसती है। हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि है। इस मिट्टी को किसान सींच रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि आजीविका का आधार होने के साथ, वैश्विक बाजार में पहचान और समृद्धि का प्रतीक है। हमारी लीची, मखाना, आम, और केले का उत्पादन बिहार की शान है। हमारे उत्पादों का वैश्विक मंच तक पहुंचने का मार्ग चुनौतियों से भरा है।
भारत की कृषि निर्यात की धुरी है बिहार
सरकार की दृष्टि प्रदेश को कृषि निर्यात राज्य बनाना है। उन्होंने कहा कि उद्यमियों को प्रोत्साहित सम्मानित किया जा रहा है। कृषि पद्धति को बढ़ावा देना होगा। बिहार को सिर्फ कच्चे माल की आपूर्ति करने वाला राज्य ना समझें, इसे भारत की कृषि निर्यात की धुरी के रूप में देखें। बिहार के उत्पाद राज्य की ताकत हैं।
उन्होंने प्रबुद्ध समाज के लोगों से अपील की कि वह विकसित बिहार का उपहार युवाओं को दें। उपमुख्यमंत्री ने सुझाव देते हुए कहा कि अधिक उत्पादन के चक्कर में ना पड़े फर्टिलाइजर का उपयोग कर भारत की संतानों को बीमारी से ग्रसित ना करें। प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा दें उत्पादन कैसे बढ़े इस पर ध्यान दें। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि राज्य के हर जिले के उत्पाद को आगे बढ़ाया जाएगा।
हमारी आधारभूत संरचना कृषि पर आधारित
दैनिक जागरण बिहार के डिप्टी एडिटर अश्विनी कुमार सिंह ने कहा कि हमारे समाचार पत्र का उद्देश्य लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना है। हमारी आधारभूत संरचना कृषि आधारित है। गांव-कस्बों में कृषि विकास न हो, तो औद्योगिक विकास नहीं होगा। उन्होंने कहा कि किसानों का जीवनस्तर बेहतर हो, यह हमारे लिए चुनौती है। हाल में हुए प्रयासों से परिवर्तन आया है। कृषि परियोजनाओं को बाजार मिले, यह चुनौती है। किसान की आवश्यकताओं के प्रति वातावरण बनाना होगा। चीजें व्यवस्थित होंगी, तो और बदलाव दिखेगा।
निर्यात के लिए हो बेहतर कनेक्टिविटी
बिहार सरकार के एग्रीकल्चर विभाग के डायरेक्टर अभिषेक कुमार ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन देकर कृषि निर्यात के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया बिहार की लीची, मखाना, मशरूम, आम और केला देश-विदेश में पसंद किया जा रहा है। सब्जी के मामले में बिहार देश में तीसरे स्थान पर है। उनके प्रेजेंटेशन का सार यह रहा कि निर्यात के लिए बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता है।
एग्रीप्रेन्योर बनें कृषिक
सिडबी की क्षेत्रीय प्रमुख अनुभा प्रसाद ने कहा कि बिहार की 76 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधारित है। विकास के लिए कृषि को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि कृषि से क्षेत्र में प्रदेश का क्रेडिट-डिपाजिट रेट बहुत बेहतर नहीं है। अनुभा ने कहा कि केवल कृषक नहीं बनना है। कृषि उद्यमी बनना है। उन्होंने कृषकों से कहा कि एग्रीप्रेन्योर बनें। राज्य के विकास में योगदान करने के लिए जीवनस्तर में सुधार लाएं। केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लें।
कृषि निर्यात नीति लानी होगी
अपेडा के डीजीएम सीबी सिंह ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों के विकास की है। प्रदेश में नए एफपीओ एवं उद्यमी निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार के लिए मनोबल की आवश्यकता है। हमें कृषि निर्यात नीति लानी होगी। खेत से निर्यात तभी होगा, जब उत्पाद गुणवत्ता के साथ हो। कृषि निर्यात का लक्ष्य बड़ा है। निर्यात के लिए चुनौती बड़ी है। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करना होगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश की 40 प्रतिशत लीची फट जाती है। ऐसी तकनीक काम किया जाए कि लीची फटे नहीं। नए सोच, नए विचार के साथ आगे आना होगा। इसके लिए खुद में बदलाव की आवश्यकता है। मखाना को किसान का उत्पाद तक ही नहीं, औद्योगिक विकास समझें। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता के साथ कनेक्टिविटी बेहतर करनी होगी।
निर्यात वही बेहतर, जिससे राज्य मजबूत हो
उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने कहा कि कार्यक्रम का विषय महत्वपूर्ण है। यह ऐसा विषय है, जिसकी आमतौर पर उपेक्षा होती है। उन्होंने कहा कि जल हमारा यूएसपी है। पूरी दुनिया में लोग पानी के लिए संघर्ष करते हैं, बिहार में 30 फीट में पानी मिल जाता है। मिहिर ने कहा कि निर्यात को भूला नहीं जा सकता। निर्यात वही बेहतर है, जिसमें राज्य की मजबूती हो। उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग गांव से जुड़े हैं। गरीबी घटाने के लिए कृषि को बढ़ावा देना होगा। विकसित राज्यों ने खेती को निर्यात से जोड़ा है। उत्पाद को पैदा करने के साथ उसकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग करनी होगी। उत्पाद का मूल्यांकन करना होगा। कृषकों को सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि रीच होने के लिए रिस्क लेने की आवश्यकता है।
हर थाली में हो एक बिहारी व्यंजन
रजनीश कुमार ने कहा कि हम कृषि निर्यात पर काम कर रहे हैं। हमारा नारा हर थाली में एक बिहार व्यंजन का है। लीजी, आम, चावल, मखाना में निर्यात की आपार संभावना है। प्रदेश की दो तिहाई आबादी 30 से 35 वर्ष है। सीधी बात है कि उत्पादन करेंगे तभी निर्यात करेंगे। गुणवत्ता बनाए रखनी होगी। किसानों को बेहतर उत्पादन के लिए प्रशिक्षित करना होगा। प्रदेश का उत्पाद ऐसा हो कि जो प्रदेश और देश दोनों में हाथोंहाथ बिके।
खेती को टिकाऊ बनाना होगा
आइसीआर के निदेशक अनूप दास ने कहा कि हमारा उद्देश्य समेकित तरीके से कार्यकर किसानों की आय बढ़ाना है। हम छोटी कृषि प्रणाली के माडल बना रहे हैं। किसान को यह समझाना होगा कि खेती को कैसे टिकाऊ बनाएं। उत्पादन के साथ व्यवसायिक विचार और मार्केटिंग करनी होगी। उन्होंने कहा कि कृषकों के लिए नया आइडिया दिमाग में आना जरूरी है।
किसान के खेत तक पहुंचे तकनीक
वासुका के निदेशक विनय दाहिया ने कहा कि यह बात सब जान चुके हैं कि प्रदेश में पानी की कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि छोटे किसान को ऐसा दिया जाए कि वे लाभ ले सकें। नई तकनीक किसान तक पहुंचे। पशुपालन के लिए बेहतर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि तकनीक केवल बताने तक सीमित न रहे। तकनीक ऐसी हो जो किसान के खेत तक पहुंचे।
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