बिहार में सब्जी ने कर दिया महंगाई दर में बड़ा परिवर्तन, चौंकाने वाली है एक साल की रिपोर्ट
केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने महंगाई से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं। राष्ट्रीय औसत की तुलना में बिहार की महंगाई दर थोड़ी कम है। अप्रैल में बिहार में महंगाई दर 2.90 प्रतिशत रही है जबकि राष्ट्रीय औसत 3.16 प्रतिशत रही। बता दें कि पिछले वर्ष तक ऐसी स्थिति नहीं थी।

राज्य ब्यूरो, पटना। राष्ट्रीय औसत की तुलना में बिहार की महंगाई दर थोड़ी कम है। यह आकलन इस वर्ष अप्रैल के संदर्भ में है और इसका बड़ा कारण सब्जियों के मूल्य में तुलनात्मक रूप से कमी है। हालांकि, पिछले वर्ष तक ऐसी स्थिति नहीं थी।
इसे कहते हैं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय महंगाई से जुड़े आंकड़े जारी करता है। इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक कहा जाता है। यह सूचकांक दैनिक उपयोग की सामग्री के औसत मूल्य के घटने-बढ़ने का ब्योरा देता है।
अप्रैल में बिहार में महंगाई दर 2.90 प्रतिशत
अप्रैल में बिहार में महंगाई दर 2.90 प्रतिशत रही है, जबकि राष्ट्रीय औसत 3.16 प्रतिशत रही। यानी कि बिहार में रोजमर्रा की वस्तुएं और सेवाओंं के लिए राष्ट्रीय औसत की तुलना मेंं थोड़ा कम भुगतान करना पड़ रहा। उल्लेखनीय है कि 26 अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के आधार पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का निर्धारण होता है।
ये सामग्री सूचकांक में शामिल
इनमें अनाज, मांस-मछली-अंडा, दुग्ध उत्पाद, तेल, फल-सब्जी, दाल, चीनी, मसाला, नान-अल्कोहलिक पेय, फूड एंड वीवरेज, पान-तंबाकू, कपड़ा, फुटवियर, हाऊसिंग, ईंधन, लाइटिंग, घरेलू वस्तु एवं सेवाएं, स्वास्थ्य, परिवहन एवं संचार, मनोरंजन, शिक्षा, पर्सनल केयर आदि सम्मिलित हैं।
188.2 है संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की महंगाई को मिलाकर संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तय होता है। बिहार में यह 188.2 है। इसे सरलता से समझिए। जिन चीजों और सेवाओं के लिए 2012 में 100 रुपये खर्च किए जा रहे थे, वे अब 188.2 रुपये में उपलब्ध हैं। बिहार के लिए संतोषजनक यह कि इस सूचकांक का राष्ट्रीय औसत 192.6 है।
कृषि बाजार प्रांगणों का हो रहा कायाकल्प
उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बुधवार को बताया कि राज्य के 21 कृषि बाजार प्रांगणों का चरणबद्ध तरीके से कायाकल्प हो रहा है। इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा। बाजारों के आधुनिकीकरण से खरीद-बिक्री की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी।
ई-नाम योजना का लें फायदा
इसके अलावा केंद्र सरकार की ई-नाम योजना के माध्यम से किसान अपने कृषि उत्पादों को राज्य और देश के अन्य हिस्सों में ऑनलाइन बेच सकते हैं। उन्होंने बताया कि पहले 12 प्रमुख कृषि उत्पादन बाजार प्रांगणों (पूर्णिया के गुलाबबाग, पटना के मुसल्लहपुर, आरा, हाजीपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, गया, बेतिया, दाउदनगर व मोहनियां) के समुचित विकास और आधुनिकीकरण हेतु 748.46 करोड़ रुपये की योजनाएं स्वीकृत हुई हैं।
540.61 करोड़ की योजनाएं
उसके बाद नौ अन्य बाजार प्रांगण (सासाराम, बेगूसराय, कटिहार, फारबिसगंज, जहानाबाद, दरभंगा, किशनगंज, छपरा व बिहटा) के विकास हेतु 540.61 करोड़ रुपये की लागत से योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। इन बाजार प्रांगणों में वेंडिंग प्लेटफार्म, दुकानों का निर्माण, वे-ब्रिज, जल निकासी प्रणाली, प्रशासनिक भवन, श्रमिक विश्राम गृह, अतिथि गृह, मछली बाजार, केला मंडी, आंतरिक सड़कों का निर्माण, सोलर पैनल, कर्मचारी कैंटीन और अपशिष्ट निपटान संयंत्र (कंपोस्टिंग प्लांट) सम्मिलित हैं।
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