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Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत के दिन शनि जयंती का संयोग, पूजा का तरीका और मुहूर्त जान लें

Vat Savitri Vrat 2022 Puja Vidhi वट सावित्री के दिन शनि जयंती का बना है संयोग ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को कृतिका नक्षत्र व सुकर्मा योग में सुहागिन महिलाएं कर रहीं व्रत यहां जानिए पूजा का तरीका और शुभ मुहूर्त

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sun, 29 May 2022 01:45 PM (IST)Updated: Mon, 30 May 2022 07:44 AM (IST)
Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत के दिन शनि जयंती का संयोग, पूजा का तरीका और मुहूर्त जान लें
Vat Savitri Puja News: वट सावित्री पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त जानिए। जागरण

जागरण संवाददाता, पटना। Vat Savitri Vrat 2022: अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या 30 मई सोमवार को कृतिका नक्षत्र व सुकर्मा योग में व्रत करेंगी। वट सावित्री के दिन ही शनि जयंती का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वट वृक्ष को देव वृक्ष भी माना जाता है। वट सावित्री के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत का उपवास करने के साथ वृक्ष के नीचे सावित्री, सत्यवान एवं यमराज की पूजा अर्चना करने के साथ देवी सावित्री के त्याग, पति प्रेम एवं पति धर्म का स्मरण करती हैं। व्रतियों के लिए यह व्रत सौभाग्य को बढ़ाने के साथ पाप नाशक व धन-धान्य प्रदान करने वाला होता है।

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वट वृक्ष में ब्रह्मा, शिव, विष्णु,एवं स्वयं सावित्री भी विराजमान रहती हैं। अग्नि पुराण के अनुसार, बरगद उत्सर्जन को दर्शाता है। वहीं, वट वृक्ष स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए भी लाभप्रद बताया गया है। ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि वट सावित्री के दिन गंगा स्नान, पितरों की पूजा करने के साथ दान पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शनि की पूजा अर्चना करने से शनिदोष से भी मुक्ति मिलती है।

वट वृक्ष के पूजन करने की मान्यताएं 

वट सावित्री व्रत के दिन बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पतिव्रत से पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। दूसरी कथा के अनुसार, मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा करने की परंपरा बनी हुई है। 

पूजा का शुभ मुहूर्त 

  • गुली काल मुहूर्त : दोपहर 01:29 से शाम 03:11 बजे तक 
  • अभिजित मुहूर्त :  दोपहर 11: 20 से 12:14 बजे तक 

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