बिहार में चौंकाने देने वाली रिसर्च! 6 जिलों की मां के दूध में यूरेनियम, क्या बच्चे को पिलाना जारी रखें?
मां के दूध में यूरेनियम पाए जाने के बाद, यह सवाल उठ रहा है कि बच्चों को दूध पिलाना सुरक्षित है या नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि मां का दूध शिशुओं के लिए सर्वोत्तम है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। दूषित पानी और भोजन से बचने और नियमित जांच कराने की सलाह दी जाती है।

मां का दूध बच्चों के लिए अमृत। सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, पटना। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के प्रोजेक्ट के तहत महावीर कैंसर संस्थान में हुए अध्ययन में राज्य के छह जिलों की 40 धात्री माताओं के दूध में यूरेनियम (यू-238) पाया गया है।
महावीर कैंसर संस्थान के नेतृत्व में सहयोगी के रूप में नाइपर हाजीपुर, एम्स दिल्ली, जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी पंजाब की संयुक्त टीम ने 2021 से 2024 के बीच यह रिसर्च किया।
महावीर कैंसर संस्थान dh चिकित्सा निदेशक डा. मनीषा सिंह एवं चिकित्सा अधीक्षक डा. एलबी सिंह ने रिसर्च की विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि रिसर्च भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा जिलों की दूध पिलाने वाली माताएं (धात्री) माताओं पर किया गया।
सभी 40 सैंपल में यूरेनियम मिला, इसमें कटिहार में अधिकतम 5.25 माइक्रोग्राम प्रति लीटर और न्यूनतम 4.035 माइक्रोग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया।
माताओं के घरों के पानी के नमूने भी जांच में शामिल किए गए हैं। माताओं के बच्चों के ब्लड में भी यूरोनियम मिला है। 70 प्रतिशत बच्चों में यूरेनियम मिला है।
इसमें 4 माइक्रोगाम मिला है। हालांकि, इन बच्चों में किसी तरह के क्लीनिकल सम्टम नहीं मिला है। डा. मनीषा सिंह ने कहा कि माताओं को दूध पिलाने में कोई परेशानी नहीं है।
माताओं के दूध को फीड कराने में कोई परेशानी नहीं है। मां का दूध अमृत है, यह बच्चों को विभिन्न बीमारियों से लड़ने की शक्ति देती है।
सरकार के स्तर पर बड़े प्लानिंग की जरूरत
मुख्य अनुसंधानक डा. अशोक घोष ने कहा कि यह रिसर्च स्टोर दूध से नहीं, अपितु हमारी टीम की ओर से जाकर दूध एकत्र किया जाता था।
इसके लिए हर टीम में महिला सदस्य मौजूद रहती थी। 40 सैंपल सभी में यूरोनियम मिला। इसमें अधिकतम कटिहार में 5.25 माइक्रोग्राम प्रति लीटर, 4.035 न्यूनतम मिला है।
इसमें क्लीनिकल स्टडीज की जरूरत है। जो भी लोगों का कवर किया गया, उसमें क्लीनिकल कोई भी बदलाव नहीं है। कहा कि जिन माताओं के दूध का सर्वे हुआ है, उनके घरों के पानी का भी सैंपल लिया गया है।
उनकी जांच जारी है। इसके अतिरिक्त 40 माताओं के 35 बच्चों में भी यूरेनियम मिला है। यह आंकड़ा नाइपर हाजीपुर के लैब में आइसीपीएमएस मशीन के माध्यम से यूरोनियम की हुई जांच में आया है।
पूरे डाटा के साथ सरकार को जानकारी साझा की जा सकती है। सरकार को मामले में बड़े प्लानिंग की जरूरत है। इसके आधार पर जागरूकता पैदा किया जा सकता है।
आगे भी होगा रिसर्च
डा. मनीषा ने कहा कि आगे इस विषय पर रिसर्च होगा, कि आखिर कहां से ब्रेस्ड फीड में यूरेनियम पहुंच रहे है। कहा कि इसी तरह मिलावट से ही कैंसर की समस्या आ रही है। यह अलार्मिंग रिसर्च आया है। इसे बड़े लेवल पर करेंगे।
दूध में उपयोगी डोज नहीं है निर्धारित
डा. अशोक घोष ने कहा कि दूध में यूरोनियम का मानक निर्धारित नहीं है। ऐसे में वह नहीं बता सकते कि दूध में कितना यूरेनियम परमिसेबुल है।
दो वर्ष पहले पीने के पानी में यूरोनियम मिल चुका है। इसमें 30 माइक्रोग्राम तक यूरेनियम मिलना परमिसेबुल है। मदर्स मिल्क में कोई मानक तय नहीं है। जो भी यूरोनियम मिले है वह मानक है या नहीं यह जांच का विषय है।
क्या हो सकती है परेशानी
डा. एलबी सिंह ने बताया कि यदि यूरोनियम की मानक से अधिक या कम होने पर बीमारी हो सकती है। कम स्थिति में नन कैंसरस बीमारी हो सकती है।
इसमें मेमोरी, ग्रोथ, किडनी आदि पर प्रभाव डालता है। अधिक मात्रा होने पर कैंसर भी हो सकता है।

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