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    उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान, बोले- मेरी पार्टी में जो जितना बड़ा नेता, वो उतना ही भाजपा के संपर्क में

    By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Yogesh Sahu
    Updated: Sun, 22 Jan 2023 08:49 PM (IST)

    उपेंद्र कुशवाहा दिल्ली एम्स में अपना चेकअप कराने के बाद बिहार लौट आए हैं। यहां आते ही उन्होंने कहा कि मैं जदयू को मजबूत करने की बात कर रहा हूं इसके अतिरिक्त कुछ नहीं। ऐसे में उनके भाजपा में जाने की चर्चाओं पर विराम लगता दिख रहा है।

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    उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान, बोले- मेरी पार्टी में जो जितना बड़ा नेता, वो उतना ही भाजपा के संपर्क में

    राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भाजपा के साथ जाने की चर्चाओं के बीच रविवार को दिल्ली से पटना लौटे तो कहा कि मैं तो जदयू को मजबूत करने की बात कर रहा। जमीनी स्तर पर जदयू की ताकत बढ़े, इस पर बात हो रही है। इसके अलावा कोई दूसरी बात ही नहीं है। अभी इस चर्चा का क्या मतलब कि हम कहां जा रहे। भाजपा में हम दो-तीन बार गए।

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    उन्होंने कहा कि पार्टी अपनी रणनीति के हिसाब से काम करती है। दिल्ली से पटना लौटने के बाद हवाई अड्डा परिसर में पत्रकारों से बातचीत के क्रम में उन्होंने यह बात कही। वस्तुत: इन दिनों कुशवाहा के बारे में यह चर्चा तेज है कि वे जदयू को छोड़ सकते हैं।

    हालचाल जानने के बहाने दिल्ली एम्स में उनसे भाजपा नेताओं की भेंट-बात से इस चर्चा को बल मिला। कुशवाह रूटीन चेकअप के लिए एम्स में भर्ती हुए थे और स्वस्थ हैं।  शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कुशवाहा के पार्टी से बाहर जाने की चर्चा के बारे में पूछा गया था।

    मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कहा था कि किसी को भी कहीं भी आने-जाने का अधिकार है। वे (उपेंद्र कुशवाहा) तो दो-तीन बार छोड़कर गए और स्वयं मेरे पास आए। इस बारे में पूछे जाने पर कुशवाहा ने कहा कि मैं तो एम्स में चेकअप करा रहा था। इस बात-बयान से अनभिज्ञ हूं। 

    समर्थक बोले, पार्टी पर कुशवाहा का भी अधिकार

    उधर, कुशवाहा के समर्थकों का कहना है कि कुशवाहा जदयू छोड़कर क्यों जाएंगे! पार्टी पर उनका अधिकार नहीं है क्या? वे समता पार्टी के जमाने से हैं। पार्टी यानी जदयू को सत्ता में लाने के वक्त तक वे साथ थे। जब पार्टी सत्ता में आई तब उसे छोड़कर वे चले गए थे। इसी तरह दो वर्ष पहले जदयू संघर्ष कर रहा था, तब वे आए। 

    कुशवाहा और जदयू नेतृत्व के बीच संवाद की कमी

    हाल के कुछ उदाहरणों को देखा जाए तो यह स्पष्ट है कि कुशवाहा और जदयू नेतृत्व के बीच संवाद नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार के क्रम में जब कुशवाहा के नाम की चर्चा उप मुख्यमंत्री के तौर पर हो रही थी, तब उच्च स्तर से यह वक्तव्य आया था कि दो उप मुख्यमंत्री की कोई गुंजाइश ही नहीं है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान पर कुशवाहा जब मुखर हुए और उनके विरुद्ध कार्रवाई की बात कर रहे थे, तो जदयू के शीर्ष नेता की प्रतिक्रिया आई कि इस प्रकरण में राष्ट्रीय अध्यक्ष (राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह) तो बोल ही चुके हैं।