फीस और स्कॉलरशिप जैसी समस्याओं का अब 20 दिनों में होगा निदान, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दिया निर्देश
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालयों को छात्रों की फीस, छात्रवृत्ति और अन्य समस्याओं को 20 दिनों के भीतर हल करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश निजी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर भी लागू होगा। रैगिंग और भेदभाव के मामलों में 24 घंटे के भीतर मदद प्रदान करने को भी कहा गया है। छात्रों की शिकायतों के लिए एक टोल-फ्री नंबर (1800-180-5522) और ई-समाधान पोर्टल भी शुरू किया गया है, ताकि नए शैक्षणिक सत्र से पहले छात्रों को त्वरित समाधान मिल सके।

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के विश्वविद्यालयों को 20 दिनों के अंदर विद्यार्थियों के फीस और स्कॉलरशिप जैसी समस्याओं का समाधान करना होगा। इस संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी किया है जिसे चालू सत्र से प्रभावी ढंग से पालन करना होगा।
यूजीसी की इस पहल ने विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले या फिर प्रवेश लेने के इच्छुक छात्रों को राहत दी है। यूजीसी की ओर से रैगिंग पर संस्थानों में होने वाले भेदभाव के मामलों में 24 घंटे के अंदर पीड़ित छात्र को मदद मुहैया कराने को भी कहा है।
यूजीसी के इस निर्देश के दायरे में निजी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय भी होंगे। उच्च शिक्षा निदेशालय ने यूजीसी के दिशा-निर्देश का अनुपालन करने हेतु सभी कुलपतियों को आवश्यक कदम उठाने को कहा है।
उच्च शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी का कहना है कि यूजीसी ने छात्रों को बड़ी राहत दी है। विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को 20 दिनों के भीतर छात्रों की समस्याओं का समाधान करना होगा।
इन समस्याओं में फीस, कोर्स, प्रास्पेक्टस, एडमिशन पॉलिसी और छात्रवृत्ति से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं। यूजीसी ने एक टोल-फ्री नंबर 1800-180-5522 भी जारी किया है, जिस पर छात्र अपनी समस्याओं की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इस नंबर पर चौबीसों घंटे मदद उपलब्ध है।
इसके अलावा यूजीसी ने ई-समाधान पोर्टल भी शुरू किया है, जहां छात्र अपनी शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करा सकते हैं। यह पोर्टल सभी छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए खुला है।
शिकायतों को डिजिटल रूप से हल किया जाएगा, जिससे छात्रों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यह पहल उच्च शिक्षण संस्थानों में जल्द ही शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से पहले की गई है, ताकि छात्रों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।

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