हिमाचल प्रदेश से दो तस्कर पटना में साधु के भेष में बेंच रहे थे तेंदुए का खाल, डीआरआइ ने दबोचा
डीआरआई पटना ने तेंदुए की खाल और हाथा जोड़ी के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया। वे हिमाचल से साधु बनकर पटना आए थे जहाँ एक धनी व्यक्ति को यह सामान सौंपने वाले थे। माना जा रहा है कि अंधविश्वास के कारण इसे मंगाया गया था।खाल 20-25 दिन पहले मारी गई तेंदुए की है और सौदा 50 लाख में तय हुआ था।

जागरण संवाददाता, पटना। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ), पटना क्षेत्रीय इकाई ने बुधवार को लुप्त प्राय जानवर तेंदुए की खाल व संरक्षित गोह (मानिटर लिजार्ड) की ‘हाथा जोड़ी (प्रजनन अंग)’ बरामद की है। इसके साथ पहुंचे दो तस्करों को भी डीआरआइ ने दबोच कर पुलिस के हवाले कर दिया। दोनों हिमाचल से तेंदुए की खाल व हाथा जोड़ी लेकर साधु का वेश धर कर बांस घाट इलाके में पहुंचे थे।
राजधानी के एक बड़े सफेदपोश को हैंडओवर किया जाना था। बताया जाता है कि अंधविश्वास में पड़कर किसी बड़े मनोवांच्छितफल की इच्छा में इसे मंगाया गया था। इसी बीच डीआइआर को इसकी जानकारी हुई और दो तस्कर को दबोच लिया और आवश्यक पूछताछ के बाद पुलिस को सौंप दिया। साथ ही तेंदुआ के खाल एवं हाथा जोड़ी को वन विभाग को सौंप दिया है।
पकड़े गए तस्कर गुरुनाम सिंह एवं विक्की सिंह की निशानदेही पर पटना एवं हिमाचल प्रदेश में छापेमारी की जा रही है। इससे एक बड़े एवं संरक्षित जानवरों के तस्करी करने वाले गिरोेह के राजफास होने की उम्मीद है। जब्त किए गए तेंदुआ के खाल से बदबू आ रहा था, इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इसे 20-25 दिन पहले ही मारा गया हो।
डीआरआइ अधिकारियों के अनुसार पटना में एक सावधानीपूर्वक गुप्त अभियान की योजना बनाई, इसका उद्देश्य तेंदुए की खाल और संरक्षित मानिटर छिपकली के प्रजनन अंग "हत्था जोड़ी" के अवैध शिकार और व्यापार में शामिल एक आपराधिक गिरोह को निशाना बनाना था। अभियान के दौरान, साधुओं का वेश धारण किए दो संदिग्धों को रोका गया और गहन तलाशी में एक तेंदुए की खाल बरामद हुई। इसे हाल ही में शिकार की गई थी और इसमें सड़ी हुई गंध थी।
हाथा जोड़ी के प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि यह गिरोह देश के विभिन्न हिस्सों में तेंदुओं और मानिटर लिजार्ड के अवैध शिकार और तस्करी में शामिल है। तेंदुआ और मानिटर लिजार्ड दोनों ही वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 के तहत आते हैं और इनके शिकार, परिवहन या व्यापार पर कड़ी सजा का प्रावधान है। ये प्रजातियां साइट्स (सीआईटीईएस) के अनुच्छेद-1 में भी सूचीबद्ध हैं, जिसके तहत इनका अंतरराष्ट्रीय व्यापार पूरी तरह प्रतिबंधित है।
50 लाख में हुआ था डील
पटना में पकड़े गए तस्करों से हुए पूछताछ के अनुसार बाघ का खाल एवं हाथा जोड़ी का 50 लाख रुपये में डील तय हुआ था। मोबाइल के माध्यम से फोटो शेयर होने तथा डील डन होने के बाद वह पटना पहुंचे थे। बांस घाट इलाके में ही दोनों सामानों का हैंडओवर किया जाना था, इससे पहले ही डीआरआइ की टीम ने धर दबोचा।
पटना में बाबा के कई बड़े भक्त
साधु के वेश में पकड़े गए दोनों बाबा के पटना में कई बड़े भक्त है। उसके पास जब्त मोबाइल से यह बात सामने आइ है कि इससे पहले भी कई दुर्लभ चीजों की आपूर्ति कर चुका है, अब डीआरआइ खरीदार एवं चीजों की जब्ती की कवायद कर रही है। बताया जाता है कि दोनों तस्कर हिमाचल एवं उतरांचल के जंगलों में शिकार करते थे। इसके बाद व्हाट्सएप से बिहार, झारखंड एवं बंगाल में ग्राहकों के बीच डील करते थे।
अंधविश्वास में होता है उपयोग
जानकार बताते है कि तेंदुए की खाल एवं गोह का हाथा जोड़ी का अंधविश्वास में उपयोग होता है। इसका उपयोग तांत्रिक विद्या में वंशीकरण, धन आकर्षण, शत्रु बाधा से मुक्ति और कोर्ट-कचहरी में विजय पाने के लिए अधिक किया जाता है। हत्था जोड़ी को देवी का प्रतिरूप भी माना जाता है। हाथा जोड़ी वंशीकरण की शक्ति रखती है, जो आकर्षण को बढ़ाती है और लोगों को वश में रखने के योग्य बनाती है।
ऐसी मान्यता है कि धन और व्यापार में वृद्धि के साथ-साथ तिजोरी में लाल कपड़े में बांधकर रखने से आय में वृद्धि होती है। इसके साथ ही हाथा जोड़ी शत्रुओं को परास्त करने और कोर्ट-कचहरी या मुकदमों में सफलता दिलाने में मददगार होती है। इसके अतिरिक्त तांत्रिक क्रियाओं के तहत भूत-प्रेत बाधाओं को दूर करने व देवी को प्रसन्न करने के लिए लोग उपयोग करते है।
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