केवल 10 रुपये में रोशन हो रहा कछुआ का बाजार
- गांव के आश नारायण झा ने 2014 में शुरू किया सोलर लाइट का स्टार्टअप - गांव के हाट में हर दुकानदार को केवल 10 रुपये लेकर चार घंटे के लिए देते हैं सोलर लाइट
पिंटू कुमार, पटना
कभी ढिबरी और मोमबत्ती के भरोसे रहने वाला दरभंगा जिला के कछुआ गांव का हाट-बाजार अब सोलर लाइट की रोशनी से चमक रहा है। यह बदलाव इसी गांव के रहने वाले आश नारायण झा ने लाया है। वह दुकानदारों से सिर्फ 10 रुपये लेकर चार घंटे के लिए सोलर लाइट उपलब्ध कराते हैं।
कभी पांच हजार रुपये महीने पर एक सेल्समैन की नौकरी करने वाले आश नारायण अब आठ लाख रुपये के सालाना टर्नओवर का स्टार्टअप चला रहे हैं। उनके स्टार्टअप का नाम ग्रीन ग्राम एनर्जी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड है। उन्होंने वर्ष 1993 में बीएन कॉलेज से स्नातक करने के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू की, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। फिर उन्होंने पांच हजार रुपये महीने पर सेल्स मार्केटिंग का काम शुरू किया। 70 हजार रुपये से शुरू किया स्टार्टअप :
2010 में हैदराबाद की एक सोलर लाइट सिस्टम बनाने वाली कंपनी में उन्होंने सेल्समैन की नौकरी पकड़ी। इस कंपनी में करीब तीन लाख रुपये के पैकेज पर वर्ष 2013 तक काम किये। कंपनी में छह महीने तक सोलर लाइट सिस्टम बनाने की ट्रेनिंग भी दी गई। वर्ष 2014 में कंपनी छोड़कर वह गांव चले आये। इसके बाद 70 हजार रुपये लगाकर सोलर लाइट सिस्टम बनाने के लिए स्टार्टअप की शुरुआत की। हैदराबाद से पार्ट्स मंगवाकर सोलर सिस्टम बनाना शुरू किया। 70 हजार में 50 सोलर लाइट तैयार हुई। उनके गांव में वर्ष 2003 में ट्रांसफॉर्मर जल जाने से 2014 तक बिजली नहीं थी। केवल 50 रुपये किस्त देकर खरीद सकते लाइट : इनकी कंपनी दुकानदारों को चार घंटे के लिए 10 रुपये भाड़े पर लाइट सिस्टम देती है। इसमें बैटरी और बल्ब शामिल रहता है। वे बिना किसी ब्याज के 50 रुपये की मामूली किस्त पर इसे बेच भी रहे हैं। बाजार में चार हजार रुपये में मिलने वाली सोलर लाइट इनकी कंपनी सिर्फ 18 सौ रुपये में बेच रही है। लाइट एसेंबल करने के लिए बॉक्स, डिस्ट्रिब्यूटर का मुनाफा और विज्ञापन का खर्च बचाकर वे कम लागत पर उत्पाद दे पा रहे हैं। इन चीजों के इस्तेमाल से बनाई लाइट : इस लाइट में 10 वाट का सोलर पैनल, पांच वाट का बल्ब और सात एंपीयर की बैटरी लगी है। वे अब तक एक हजार पीस लाइट बेच चुके हैं। वर्ष 2019 में बिहार स्टार्टअप से उन्हें आर्थिक मदद भी मिली। वह कछुआ पंचायत में 200 लोगों को लाइट दे चुके हैं।
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