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    गोलियों की गूंज से फिर दहला पटना: बालू घाट पर वर्चस्व की जंग में फायरिंग, 3 लोगों की मौत की चर्चा; पुलिस बेखबर

    By Ashish ShuklaEdited By: Aditi Choudhary
    Updated: Sun, 26 Feb 2023 07:52 AM (IST)

    पटना में एक बार फिर वर्चस्व की जंग में खूनी संघर्ष की खबर सामने आई है। बिहटा थानांतर्गत अमनाबाद और पथलौटिया दियारा इलाके में बालू घाट पर वर्चस्व को लेकर फायरिंग में गोली लगने से तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं पुलिस घटना से बेखबर है।

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    पटना के बालू घाट पर वर्चस्व की जंग में फायरिंग, 3 लोगों की मौत की चर्चा। प्रतीकात्मक तस्वीर

    बिहटा/मनेर, जागरण संवाददाता। पटना जिले के जेठुली गांव में भड़की हिंसा की आग अभी ठीक से बुझी भी नहीं थी कि अब बिहटा थानांतर्गत अमनाबाद और पथलौटिया दियारा इलाके में बालू घाट पर वर्चस्व को लेकर फायरिंग की बात सामने आई है। कहा जा रहा है कि वारदात में गोली लगने से तीन लोगों की मौत हो गई। इनमें एक मनेर का युवक बताया जा रहा है, जबकि दो भोजपुर के हैं। हालांकि, पटना और भोजपुर दोनों जिलों की पुलिस घटना से अनभिज्ञता जाहिर कर रही है।

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    पटना एसएसपी डा. मानवजीत सिंह ढिल्लों ने बताया कि फायरिंग में किसी की मौत या घायल होने से संबंधित कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। घटना दो-तीन दिन पुरानी बताई जा रही है। अब तक किसी मृतक या घायल के स्वजन ने पटना के किसी थाने में लिखित शिकायत भी नहीं की है। पुलिस अपने स्तर से जांच कर रही है।

    पिता ने कबूला, पुलिस को नहीं दी सूचना

    बालू घाट पर वर्चस्व को लेकर हुई फायरिंग में मनेर के जिस युवक की मौत की बात कही जा रही है, उसकी पहचान अब तक नहीं हो सकी है। मनेर के ही गौरया स्थान नीलकंठ टोला निवासी उमेश कुमार के पुत्र रितेश की भी गोली लगने से मौत हुई थी। उमेश का कहना है कि गुरुवार को उनका बेटा घर से निकला था। शुक्रवार की दोपहर उसे गोली लगने की सूचना मिली और बताया गया कि वह एक निजी अस्पताल में भर्ती है। थोड़ी देर बाद उसकी मौत की खबर मिली। उमेश ने बताया कि उन्होंने पुलिस में इसकी शिकायत नहीं की और शव का दाह-संस्कार कर दिया। गोली किस परिस्थिति में और कहां लगी? इस बारे में उन्होंने स्पष्ट जानकारी नहीं दी।

    बर्थडे में जाने की बात कह घर से निकला था रितेश

    उमेश कुमार बताते हैं कि गुरुवार की रात रितेश बर्थडे पार्टी में जाने के बाद कह कर निकला था। काफी देर तक वह घर नहीं लौटा तो रात 12 बजे उसे फोन किया गया, लेकिन रिसीव नहीं हुआ। दूसरे दिन शुक्रवार की दोपहर 12 बजे में उससे आखिरी बार बात हुई थी। पूछने पर उसने घरवालों से कहा कि आते हैं, एक दोस्त के यहां ठहरे हैं। हालांकि, कुछ देर बाद अनहोनी की सूचना मिल गई।

    पुलिस की कार्यशैली पर उठने लगे सवाल

    उमेश के अनुसार, उनके बेटे के पैर में दो गोलियां लगी थी। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर किस परिस्थिति में पैर में गोली लगने से रितेश की मौत हो गई? गोली से मौत की सूचना स्वजनों ने पुलिस को क्यों नहीं दी। बकौल उमेश, रितेश को जख्मी हालत में निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, फिर अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को जानकारी क्यों नहीं दी अथवा मामला प्रकाश में आने के बाद पुलिस ने डाक्टरों से क्यों नहीं संपर्क किया।

    घटना जिस इलाके में घटित होने की बात कही जा रही है, वहां पिकेट बना कर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है, बावजूद इसके थाने को सूचना नहीं होना समझ से परे है। मृत रितेश भाइयों में तीसरे स्थान पर था। मंझले भाई पप्पू की शादी मनेर के ही सुअरमरवा गांव में होने वाली थी। एक मार्च को तिलक और आठ को बरात निकलने वाली थी।