बिहार: कार्तिक पूर्णिमा स्नान की भगदड़ में 3 मरे, सीएम नीतीश ने जताया शोक
बिहार के बेगूसराय में कार्तिक पूर्णिमा स्नान के दौरान भगदड़ मच गई। इसमें कुचलकर तीन महिलाओं की मौत हो गई। हादसे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक जताया है।
बेगूसराय [जेएनएन]। बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया धाम में शनिवार को कार्तिक पूर्णिमा स्नान के दौरान भगदड़ में तीन लोगों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना पर शोक जताया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख मुआवजा देने की घोषणा की है।
जानकारी के अनुसार, सिमरिया में शनिवार को कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के दौरान बदइंतजामी से मची भगदड़ में तीन महिलाओं की मौत हो गई। जबकि एक दर्जन से अधिक लोग जख्मी हो गए। घायलों में तीन पुलिस कर्मी भी हैं। सभी निजी अस्पताल में इलाज कराकर चले गए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार करंट से की अफवाह से भगदड़ मची, वहीं जिला प्रशासन ने मौतों की वजह अत्यधिक भीड़ के कारण दम घुटना बताया है।
जिला प्रशासन ने राज्य सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख मुआवजे का एलान किया है। कुंभ सेवा समिति ने भी मृतक के परिजन को पचास-पचास हजार रुपया सहायता राशि के रूप में दी जाएगी।
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए लोग शुक्रवार की देर रात से ही पहुंचने लगे थे।
सिमरिया घाट स्थित काली मंदिर और हनुमंत निवास चौक के पास संकरी जगह पर भीड़ अनियंत्रित हो गई। इसी दौरान करंट लगने की अफवाह फैली तो लोग इधर-उधर भागने लगे। इससे भगदड़ मच गई जिसमें कई महिला श्रद्धालु गिर गईं और लोग उनपर चढ़ते हुए भागने लगे। पुलिस के जवानों ने गिरी महिलाओं को उठाया, लेकिन तब तक तीन महिलाएं प्राण पखेरू छोड़ चुकी थीं।
मरने वालों में नालंदा जिला के नूरसराय थाना अंतर्गत सुन्दरबीघा निवासी कृष्ण प्रसाद की 70 वर्षीय पत्नी कंचन देवी, सीतामढ़ी बतनाहा माधोपुर निवासी स्व. योगेन्द्र झा की 75 वर्षीय पत्नी त्रिवेणी देवी और दरभंगा टेगराही निवासी स्व मंटुन मंडल की 80 वर्षीय पत्नी शकुंती देवी हैं।
घटना के वक्त भागने के क्रम में सैकड़ों लोगों के चप्पल-जूते और कपड़े आदि छूट गए। पुलिस ने तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया। इसके बाद परिजनों को सौंप दिया गया।
घटना की सूचना पाते ही जिला प्रभारी मंत्री विजय कुमार सिन्हा, डीएम मो. नौशाद यूसूफ, एसपी आदित्य कुमार ने घटनास्थल का मुआयना किया। प्रशासन ने राज्य सरकार की ओर से मृतक के परिजनों को चार-चार लाख रुपये देने की घोषणा की। जिला प्रशासन ने कहा कि दम घुटने के कारण लोगों की मौत हुई है। मुंगेर डीआइजी विकास वैभव ने घटना की जानकारी स्थानीय पुलिस प्रशासन व मीडिया से ली।
प्रशासन भीड़ का नहीं कर पाया आकलन
सिमरिया गंगा घाट पर काफी दिनों से राजकीय कल्पवास मेला चल रहा है। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने वालों की भीड़ का उमडऩा तय था, लेकिन पुलिस-प्रशासन के लोग इस का अंदाजा नहीं लगा सके। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुख्ता तैयारी ही नहीं की गई थी। यही चूक तीन लोगों की मौत का कारण बनी। हालांकि अधिकारी इससे इन्कार कर रहे हैं।
अधिकारी तो इसे भगदड़ भी नहीं मान रहे, परंतु घटनास्थल पर सैकड़ों श्रद्धालुओं के कपड़े, चप्पल, जल भरने के बर्तन भगदड़ की स्पष्ट गवाही दे रहे हैं। चुगली कर रहा है। कुछ लोगों ने दुकानों में घुसकर जान बचाई, तो कुछ भागकर मंदिर की छत पर चढ़ गए।
बात सुरक्षा व्यवस्था की
स्थानीय लोगों ने कहा कि संकरी सड़क होने के बाद भी एक साथ काफी लोगों का आना-जाना लगा था। पुलिस बल से भीड़ नियंत्रित नहीं हो रही थी। अहम यह कि 15-20 फीट चौड़ी सड़क से आने वाली भीड़ आगे आकर मात्र 4-5 फीट चौड़ी सड़क में प्रवेश करती थी जिस कारण धक्का-मुक्की होनी तय थी।
यदि सड़क को वन वे किया जाता, अर्थात स्नान के लिए जाने वाले एक रास्ते से तथा स्नान कर लौटने वाले दूसरे रास्ते से निकलते तो घटना बच सकती थी। मेला क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को ले सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है, परंतु करीब पांच किलोमीटर के परिक्षेत्र में फैले मेला क्षेत्र पर नजर रखने के लिए जहां 16 कैमरे लगाने का टेंडर किया गया था। वहीं मेला क्षेत्र में महज चार-पांच कैमरे ही नजर आए।

नहीं था स्ट्रेचर
मेला क्षेत्र में घटना के बाद मृत व घायलों को कैंप अस्पताल में पहुंचाने के लिए स्ट्रेचर तक की व्यवस्था नहीं देखी गई। लोग मृत व घायलों को कंधे पर लादकर इलाज के लिए ले गए।

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