Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जैन व प्राच्य विद्या का महत्वपूर्ण केंद्र आरा की यह लाइब्ररी, खतरे में दुर्लभ ताड़पत्र व पांडुलिपियों का अस्तित्व

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Thu, 20 Aug 2020 08:32 PM (IST)

    आरा का जैन सिद्धांत भवन या ओरिएंटल लाइब्रेरी में अनेके दुर्लभ ग्रंथ रखे हैं। यहां प्राचीन ताड़पत्र भी संरक्षित हैं। लेकिन अर्थाभाव के कारण आज इनका अस्तित्व खतरे में है।

    जैन व प्राच्य विद्या का महत्वपूर्ण केंद्र आरा की यह लाइब्ररी, खतरे में दुर्लभ ताड़पत्र व पांडुलिपियों का अस्तित्व

    आरा, शमशाद प्रेम। शहर के जेल रोड में स्थित है जैन सिद्धांत भवन, जिसे ओरिएंटल लाइब्रेरी के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्तर भारत में जैनिज्म व प्राच्य विद्या का सर्वाधिक महत्वपूर्ण केन्द्रों में से एक है। लगभग चार दशक पूर्व इसे मगध विश्वविद्यालय, बोध गया से डीके जैन ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीच्यूट के नाम से जोड़ दिया गया था। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा की स्थापना के बाद यह संस्थान इससे जुड़ गया। इसमें हजारों पुस्तकें, दुर्लभ पांडुलिपियां, ताड़पत्रीय ग्रंथ, प्राचीन सिक्के, दुर्लभ पेंटिंग आदि हैं। बार-बार सरकार और वीकेएसयू को ग्रांट के लिए लिखने के बावजूद आज तक कुछ नहीं मिला। लगभग दो दशक से कोई अनुदान नहीं मिला है। अर्थाभाव के कारण आज इसका अस्तित्व खतरें में है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वर्ष 1903 में इस लाईब्रेरी की स्थापना स्व. देव कुमार जैन ने की थी। बताया जाता है कि स्व. जैन एक दिन किसी व्यक्ति को प्राचीन दुर्लभ ग्रंथों को बेचते हुए देखा। उसी समय उनके मन में दुर्लभ ग्रथों के प्रति मोह जगा और उन्होंने उन दुर्लभ ग्रथों को खरीद लिया। उसके बाद से दुर्लभ ग्रंथों को संग्रह करने का सिलसिला शुरू हुआ। आज यहां पुस्तकों का बड़ा संग्रह है। 

    कई चर्चित व्यक्तियों का हुआ आगमन

    इस लाइब्रेरी में देश-विदेश के कई चर्चित व्यक्तियों को आगमन हुआ। इन लोगों ने इस लाइब्रेरी की काफी प्रशंसा की। प्रमुख व्यक्तियों में प्रसिद्ध विद्वान डॉ. हरमन जैकेबो, सर आशुतोष मुखर्जी, अवनीन्द्र नाथ टैगोर, रवीन्द्र नाथ टैगोर, महात्मा गांधी, पं. मदन मोहन मालवीय, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह, बाबू शिवपूजन सहाय, आर. आर. दिवाकर, रामधारी सिंह "दिनकर', डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा, विनोबा भावे, सर मिर्जा इस्माइल, डॉ. अमरनाथ झा, आचार्य बदरीनाथ वर्मा, मुनि कांति सागर वर्मा, सुचेता कृपलानी आदि थे।

    जैन सिद्धांत भवन प्रशांत के संयुक्त सचिव कुमार जैन कहते हैं कि किसी भी तरह की सरकारी आर्थिक सहायता नहीं मिलने से काफी परेशानी हो रही है। पुस्तकों के रख-रखाव में दिक्कतें आ रही हैं। लाइब्रेरी का विकास नहीं हो रहा है।