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    Bihar Chunav Result 2025: तीसरा फ्रंट इस बार भी नाकामयाब, जनसुराज फैक्टर हवा; आंकड़े देते हैं गवाही

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 09:47 AM (IST)

    बिहार चुनाव 2025 में तीसरा मोर्चा फिर से नाकाम रहा। चुनाव से पहले चर्चित जनसुराज फैक्टर भी कोई कमाल नहीं दिखा पाया। नतीजों के अनुसार, तीसरा मोर्चा और जनसुराज फैक्टर मतदाताओं को लुभाने में असफल रहे, जिससे उनकी चुनावी संभावनाएं धूमिल हो गईं।

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    बिहार चुनाव का तीसरा फ्रंट। फाइल फोटो

    कुमार रजत, पटना। विधानसभा चुनाव-2025 के परिणाम ने एक बार फिर बता दिया कि बिहार के वोटर आमने-सामने की लड़ाई में भरोसा रखते हैं। इस बार के चुनाव में भी मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के प्रत्याशियों के बीच ही रहा।

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    प्रशांत किशोर की नई-नवेली पार्टी जनसुराज ने तीसरा विकल्प होने का माहौल जरूर बनाया मगर आखिर में यह सब हवाबाजी ही साबित हुई। पार्टी को एक अदद सीट तो नहीं ही मिली, दूसरे स्थान के लिए भी तरसना पड़ा।

    मढ़ौरा की एकमात्र सीट ऐसी रही, जहां एनडीए प्रत्याशी की अनुपिस्थति के कारण जनसुराज के प्रत्याशी नवीन कुमार सिंह मुकाबले में रहे और दूसरा स्थान हासिल किया। यहां से लोजपा रामविलास की प्रत्याशी सीमा सिंह का नामांकन रद हो गया था। इसके बाद एनडीए ने निर्दलीय उम्मीदवार अंकित कुमार को समर्थन दिया, मगर वह तीसरा स्थान ही हासिल कर सके।

    जनसुराज के अलावा भी अलग-अलग क्षेत्रों में जिन छोटे और नए दलों ने तीसरा विकल्प बनने की कोशिश की, उन्हें मुंह की खानी पड़ी। तेजप्रताप यादव की नई पार्टी जनशक्ति जनता दल का भी यही हाल रहा।

    तेजप्रताप यादव खुद महुआ से चुनाव हार गए। ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम जरूर सीमांचल की पांच सीटों पर जीत दर्ज कर पाई। वहीं बसपा रामगढ़ सीट पर प्रभावी रही। दरअसल, यह पहली बार नहीं है जब बिहार के विधानसभा चुनाव में तीसरा विकल्प फेल हुआ है।

    बड़बोले प्रशांत किशोर शून्य पर आउट

    प्रशांत किशोर ने चुनाव में परिवारवाद, विकास, रोजगार जैसे जनहित के मुद्दे तो उठाए मगर जनता का दिल नहीं जीत पाए। प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि जदयू को इस चुनाव में 25 सीटें भी नहीं आएंगी। इस तरह के बड़बोले बयान को लेकर प्रशांत किशोर की किरकिरी हो रही।

    चार विधानसभा चुनावों से हर बार स्पष्ट बहुमत

    वर्ष 2020: तीसरे विकल्प को छह सीटें, निर्दलीय-लोजपा को एक-एक सीट वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 और महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आईं। तीसरे विकल्प के रूप में ओवैसी के दल एआइएमआइएम को पांच, जबकि बसपा को एक सीट मिली थी। इसके अलावा लोजपा को एक, जबकि चकाई से सुमित कुमार सिंह निर्दलीय जीते थे।

    वर्ष 2015: तीसरे विकल्प को तीन सीटें, चार निर्दलीय को मिली जीत वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद, जदयू और कांग्रेस के गठबंधन को 178, जबकि भाजपा नीत एनडीए को 58 सीटें आई थीं। वामदलों ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़कर तीसरा विकल्प वोटरों को दिया मगर भाकपा माले तीन सीटें ही जीत पाई। इसके अलावा चार निर्दलीयों ने जीत दर्ज की थी।

    वर्ष 2010: तीसरे विकल्प को चार सीट, निर्दलीय को छह सीट 2010 के विधानसभा चुनाव एनडीए में जदयू-भाजपा के मुकाबले राजद और लोजपा के नए गठबंधन में मुख्य मुकाबला रहा। एनडीए को 206 सीटों का प्रचंड बहुमत मिल। राजद-लोजपा को 25 सीटें आईं। कांग्रेस गठबंधन से अलग सभी 243 सीटों पर लड़ी मगर चार सीट ही जीत सकी। निर्दलीयों को छह जबकि वाम दल-झामुमो को एक-एक सीट मिली।