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    बिहार के 11 विश्वविद्यालयों में होगी बहाली, वित्त अंकेक्षक; वित्त पदाधिकारी और वित्त परामर्शी की नियुक्ति जल्द

    Updated: Mon, 09 Jun 2025 01:59 PM (IST)

    वित्तीय परामर्शी (एफए) रजिस्ट्रार और वित्त पदाधिकारी (एफओ) राज्य के विश्वविद्यालयों में नियुक्त किए जाएंगे। राजभवन सचिवालय को विश्वविद्यालयों द्वारा तीन-तीन नामों का पैनल उपलब्ध करा दिया गया है। राज्यपाल एवं कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खां के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थू ने पत्र भेजकर कुलपतियों से तीनों पदों के लिए तीन-तीन नामों का पैनल मांगा था।

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    विश्वविद्यालयों में की जाएगी बहाली। सांकेतिक तस्वीर।

    राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के विश्वविद्यालयों में नए वित्तीय परामर्शी (एफए), रजिस्ट्रार और वित्त पदाधिकारी (एफओ) नियुक्त होंगे। इसके लिए राजभवन सचिवालय को विश्वविद्यालयों द्वारा तीन-तीन नामों का पैनल उपलब्ध करा दिया गया है। इससे पहले राज्यपाल एवं कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खां के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थू ने पत्र भेजकर कुलपतियों से तीनों पदों के लिए तीन-तीन नामों का पैनल मांगा था। 

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    नियुक्तियां नये रेगुलेशन से होंगी

    राजभवन सचिवालय के एक उच्चपदस्थ अधिकारी ने बताया कि राज्य के विश्वविद्यालयों में वित्तीय परामर्शी, रजिस्ट्रार और वित्त पदाधिकारी की नियुक्तियां नये रेगुलेशन से होंगी, जिसकी अधिसूचना 27 मई को राजभवन सचिवालय द्वारा जारी की गई थी।

    इन विश्वविद्यालयों में नियुक्ति

    जिन विश्वविद्यालयों में संबंधित पदों पर नियुक्तियां होनी हैं उनमें पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, जय प्रकाश विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय और मगध विश्वविद्यालय शामिल हैं।

    विश्वविद्यालयों में संबंधित पदों पर प्रभारी कार्य कर रहे 

    वर्तमान में अधिकांश विश्वविद्यालयों में संबंधित पदों पर प्रभारी कार्य कर रहे हैं। नियमानुसार, वित्त परामर्शी के पद पर भारतीय अंकेक्षण एवं लेखा सेवा अथवा केंद्र सरकार के किसी लेखा सेवा से जुड़े अधिकारी की नियुक्ति होगी, जिनका कार्यकाल तीन साल का होगा।

    कुलपति हर वर्ष उनके कार्यकाल का मूल्यांकन करेंगे

    कुलपति हर वर्ष उनके कार्यकाल का मूल्यांकन करेंगे तथा इसकी रिपोर्ट कुलाधिपति को देंगे। संतोषजनक कार्यकाल नहीं रहने पर कुलाधिपति सचिवालय वित्त परामर्शी को हटा सकेगा। वित्त अधिकारी की नियुक्ति की अर्हता भी वित्तीय परामर्शी के समान होगी। कार्यकाल तीन साल का होगा। वित्त पदाधिकारी के कार्यकाल का भी कुलपति हरेक वर्ष मूल्यांकन कर कुलाधिपति कार्यालय को रिपोर्ट करेंगे।

    कार्यकाल तीन साल का होगा

    इसी प्रकार अब विश्वविद्यालयों में कुलसचिव पद पर प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर पद पर कार्यानुभव वाले प्राध्यापक नियुक्त किए जाएंगे। इनका कार्यकाल तीन साल का होगा। कुलसचिव की नियुक्ति राजभवन सचिवालय नये कुलपति की अनुशंसा पर करेगा। कुलसचिव के कार्य का भी हर वर्ष मूल्यांकन होगा।