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    लालू में नहीं बची सुधार की गुंजाइश, अब भाजपा के लिए खोल दिए सत्ता के दरवाजे; पुराने साथी का लेटर वायरल

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Fri, 03 Jun 2022 04:37 PM (IST)

    फेसबुक पर लालू के कभी न सुधरने का आरोप लगाते हुए आक्रोशित मणि ने दो दिन पहले राजद प्रदेश उपाध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया। साथ ही कहा कि लालू अपने कारनामों से भाजपा को लाभ पहुंचा रहे हैं।

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    राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव। जागरण आर्काइव।

    जागरण टीम, पटना। दिल्ली से पटना आते ही लालू प्रसाद यादव सक्रिय हो गए हैं। उनके फैसले पर सबसे पहले राजद ने राज्यसभा फिर विधान परिषद चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। लालू ने कैंडिडेट के चयन में काफी तेजी दिखाई मगर एकतरफा घोषणा के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस से पहले ही बन नहीं रही थी। एमएलसी चुनाव में तरजीह नहीं देने पर वामदल भी नाराज हैं। इस बीच लालू के पुराने साथी प्रेमकुमार मणि ने उनपर बड़ा हमला किया है। फेसबुक पर लालू के कभी न सुधरने का आरोप लगाते हुए आक्रोशित मणि ने दो दिन पहले राजद प्रदेश उपाध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया। साथ ही कहा कि लालू अपने कारनामों से भाजपा को लाभ पहुंचा रहे हैं।

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    अपने पत्र में मणि ने कहा कि लालू के आग्रह पर 2013 में मैं राजद में शामिल हुआ। उस समय नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ दिया था। कांग्रेस देश भर में कमजोर दिखाई पड़ रही थी। लालू मुकदमों में फंसकर घर और जेल के बीच पेंडुलम की तरह डोल रहे थे। मुझे लगा समय की गंभीरता का दबाव लालू पर अवश्य होगा। लेकिन लालू ने तब भी किसी स्तर पर गंभीरता नहीं दिखाई।

    50 सीटे मांगने वाली कांग्रेस को दे दीं 70 सीटें

    मणि ने कहा कि 2015 में राजद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और महागठबंधन की सरकार बनी। लालू ने सरकार बनने के साथ ही अड़ंगा लगाया। लालू ने दोनों बेटों को सरकार में शामिल करवाकर पूरे राजनीतिक आवेग की एकबारगी हवा निकाल दी। राजद कोटे से जो भी मंत्री बनाए गए उनके बारे में हजार तरह की बातें बाजार में होती रहीं। नतीजा यह हुआ कि 2017 में बीजेपी महागठबंधन को तोड़ने में सफल हो गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक सीट भी नहीं मिली। तेजस्वी ने मुझसे बात की और सहयोग की अपेक्षा की तब मैंने पूरी शक्ति के साथ सहयोग दिया। आप जेल में बैठे-बैठे टिकटों का मोलभाव कर रहे थे। पचास सीटें मांगने वाली कांग्रेस को आपने सत्तर सीटें दे दीं। 

    लालू ने पार्टी का किया नाश

    प्रेमकुमार ने बताया कि मैंने तेजस्वी से कहा कि आप परिवार की छवि से बाहर निकलिए। इस लालू सहित पूरे परिवार की तस्वीर आफिस की होर्डिंग से हटा ली गई। इसका जनता में जोरदार स्वागत हुआ। राजद बदलने लगा। मणि ने कहा कि 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में केवल लालू ने अपने कारनामों से भाजपा-जदयू को सत्तासीन किया। अन्यथा आज बिहार में महागठबंधन की सरकार होती और तेजस्वी मुख्यमंत्री होते। उन्होंने कहा कि लालू ने अपनी पार्टी का नाश कर दिया।

    जहां जाते हैं लालू, पार्टी की होती है हार

    मणि ने कहा कि कुशेश्वरस्थान और तारापुर में उपचुनाव हुए। लालू दोनों जगह गए और पार्टी की हार हुई। नहीं जाते तब तारापुर सीट तो हम अवश्य जीत जाते। मणि ने कहा कि लालू नहीं जानते कि बिहार की जनता उनसे कितनी नफरत करती है। गैर यादव पिछड़े और दलित जिसके कभी लालू दुलारे थे वह राजद सुप्रीमो का चेहरा नहीं देखना चाहते।

    भाजपा खुद मजबूत होने के लिए लालू को करती है रिहा

    प्रेमकुमार ने कहा कि लालू की गैर हाजिरी का दल को बहुत लाभ मिला। पिछले दो वर्षों में पार्टी काफी बदली। लालू के दुलारे बेटे-बेटी की आफिस में एंट्री बंद थी। बोचहां उपचुनाव में लालू के प्रचार करने से शानदार जीत मिली। तेजस्वी एक नए नायक के रूप में उभरते दिखे। इसी बीच आप प्रकट हुए। ऐसा प्रतीत होता है भाजपा आपको हर द्विवार्षिक चुनाव के पूर्व सोच विचार  कर रिहा करती है कि आप अपने कारनामों से उसे मजबूती दे सकें। 

    व्यापार को समझती है बिहार की जनता

    मणि ने कहा कि पिछले द्विवार्षिक चुनाव में एक मेडिकल कालेज के मालिक और एक अन्य धनपशु को लालू ने राज्यसभा भेजा। मेडिकल कालेज का मालिक मुसलमान है। जिस क्षेत्र से आता है वहां इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई और सभी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से हम हारे और ओवैसी की पार्टी जीती। इस बार भी एक मेडिकल कालेज का मालिक गया है। लालूजी बिहार की जनता मूर्ख नहीं है। वह इस पूरे व्यापार को समझती है। भाजपा को कुछ किए बिना आप राजनीतिक ताकत दे जाते हैं। परिषद चुनाव में मुन्नी देवी को उतार कर आप समझते हैं कि कमाल कर दिया है। भगवतिया देवी और मुन्नी देवी का कार्ड पुराने समय में चलता था, जब जनता का अधिकांश वर्ग निरक्षर था। 

    कार्यकर्त्ताओं की सम्मिलित मेहनत को किया ध्वस्त

    उन्होंने कहा कि लालू के साथ दिक्कत यह है कि किसी भी चीज को वो गंभीरता से ले ही नहीं सकते। लालू ने पिछले तीन-चार दिन में जो किया उससे दो साल की कार्यकर्त्ताओं की सम्मिलित मेहनत ध्वस्त हो गई। 2024-25 के लिए लालू ने भाजपा की राजनीतिक स्थिति बिहार में पुख्ता कर दी है। मणि ने कहा कि लालू में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि लालू तेजस्वी या किसी अन्य योग्य को पार्टी की सत्ता सौंपेंगे नहीं। मैं तो इस पार्टी से मुक्त हो ही सकता हूं। इस पत्र के साथ मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता का परित्याग करता हूं। माफिया तत्वों से लड़ना सांप्रदायिक तत्वों से लड़ने से अधिक चुनौतीपूर्ण है। आपने इस पार्टी को माफिया पार्टी बना कर रख दिया है।