पटना शहर में 83 हजार स्ट्रीट लाइट... फिर भी शहर की सड़कों पर अंधेरा
हर मोहल्ले में अंधेरा पसरा रहता है। कई जगह लाइटों से इतनी कम रोशनी आती है कि उसका कोई मतलब नहीं रह जाता। बीते दिनों पटना नगर निगम ने खराब स्ट्रीट लाइटों का सर्वे कराया था। 19 अधिकारियों की टीम ने 15 दिनों तक सर्वे कर जो रिपोर्ट सौंपी उसके अनुसार 32 सौ लाइटें खराब थीं।

जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी में मुख्य सड़क से लेकर गलियों तक में 83 हजार से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें लगी हुई हैं। प्रमुख जगहों पर हाईमास्ट लाइटें भी हैं। इतनी लाइटों से 108.87 वर्ग किलोमीटर में फैले पटना शहर की हर गलियां रोशन हो जातीं, लेकिन ऐसा है नहीं। अमूमन हर मोहल्ले में अंधेरा पसरा रहता है। कई जगह लाइटों से इतनी कम रोशनी आती है कि उसका कोई मतलब नहीं रह जाता। बीते दिनों पटना नगर निगम ने खराब स्ट्रीट लाइटों का सर्वे कराया था। 19 अधिकारियों की टीम ने 15 दिनों तक सर्वे कर जो रिपोर्ट सौंपी उसके अनुसार 32 सौ लाइटें खराब थीं। दावा है कि उन्हें दुरुस्त कर दिया गया है लेकिन शहर उतना रोशन नहीं दिखता।
नगर निगम के नियंत्रण कक्ष में हर दिन सबसे ज्यादा शिकायतें स्ट्रीट लाइट को लेकर ही आती हैं। कई स्थानों पर पहले से लगी लाइटों का केवल स्टैंड बचा है, उसमें बल्ब ही नहीं है। कुछ जगहों पर लाइट टूट गई है। कुछ जगहों पर दिन में जलती हैं। नगर आयुक्त अनिमेष कुमार पराशर के निर्देश पर सर्वे के बाद युद्धस्तर पर लाइटों की मरम्मत कराई गई, लेकिन अब भी सारी लाइटें ठीक नहीं हो सकी हैं।
हर वार्ड के लिए दी गईं 50-50 लाइट
शहर से लेकर गांव तक की गलियों में रोशनी की व्यवस्था सरकार ने की है। शहरी क्षेत्र में नगर निगम तो ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत राज विभाग को इसका जिम्मा दिया गया है। पटना के ग्रामीण क्षेत्रों में 43 हजार से ज्यादा स्ट्रीट लाइट लगाने का लक्ष्य है। उसमें से 22 हजार से ज्यादा लाइटों को इंस्टाल किया जा चुका है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में पूर्व से लगी लगभग 83 हजार लाइटों के अलावा साढ़े तीन हजार नई लाइटें लगाई जाएंगी।निगम के सभी 75 वार्डों के लिए 50-50 स्ट्रीट लाइटें सफाई निरीक्षकों को दी गई हैं। जरूरत के अनुसार अंधेरा वाले क्षेत्रों में इन्हें लगाया जाना है।
रात में अंधेरा, दिन में भी जलती हैं लाइट
शहर के कई मोहल्लों में दिन में भी सड़क पर लगी लाइटें ऑन रहती हैं। कई जगह स्वीच खराब है, तो कुछ जगह ऐसे भी हैं जहां स्थानीय लोग सुबह होने पर स्वीच ऑफ नहीं करते। इससे ऊर्जा का दुरुपयोग होता है। इसको लेकर प्रयास भी किया गया। नवंबर 2024 में पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड की बैठक में निर्णय लिया गया था कि सभी स्ट्रीट लाइटें एक जगह से नियंत्रित होंगी। इन्हें तय समय पर ऑन-ऑफ किया जाएगा।
पहले चरण में मुख्य सड़कों पर लगी लाइटों को स्मार्ट सिटी के इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से जोड़ने का निर्णय लिया गया था। कहा गया कि इसमें रखरखाव का खर्च भी कम आएगा। बिजली का दुरूपयोग भी नहीं होगा। यह भी पता चल जाएगा कि कौन सी लाइट खराब है। हालांकि, योजना अबतक धरातल पर नहीं उतर सकी है।
सर्वे में जो लाइटें खराब पाई गई थीं, उन्हें ठीक कर लिया गया है। वर्षा के कारण लाइटें ज्यादा खराब होती हैं। उनकी मरम्मत भी नियमित तौर पर की जा रही है। हर वार्ड के लिए 50-50 लाइटें सफाइ निरीक्षकों को उपलब्ध करा दी गई हैं। जरूरत के अनुसार इन्हें इंस्टाल किया जा रहा है।
बबलू प्रकाश गुप्ता, कार्यपालक अभियंता, पटना नगर निगम
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