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भिंडी तोड़ने की मशीन से किसानों के हाथों में अब न होगी खुजली और न ही पड़ेंगे रेशे

पूसा के किसान सुनील कुमार बताते हैं कि पहले हाथ से भिंडी तोड़ने में परेशानी होती थी। इस दौरान हाथ में खुजली होने लगती थी। कमजोर पौधे कई बार टूट भी जाते थे। इस मशीन से सहूलियत बढ़ी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2022 06:05 PM (IST)Updated: Wed, 21 Sep 2022 06:05 PM (IST)
भिंडी तोड़ने की मशीन से किसानों के हाथों में अब न होगी खुजली और न ही पड़ेंगे रेशे
पूसा कृषि फार्म में भिंडी की कटाई करती महिला। सौ. विश्वविद्यालय

पूर्णेंदु कुमार, पूसा (समस्तीपुर) : भिंडी की तोड़ाई में किसानों के हाथों में अब न खुजली होगी और न ही रेशे पड़ेंगे। गर्मी में दास्ताने पहनकर भिंडी तोड़ने से भी मुक्ति मिल सकेगी। इसके लिए बिहार के समस्तीपुर जिले के पूसा स्थित डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने भिंडी काटने वाली हस्तचालित मशीन तैयार की है।

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272 ग्राम की मशीन को विश्वविद्यालय के कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय के फार्म मशीनरी एंड पावर इंजीनियरिंग विभाग में दो वैज्ञानिकों डा. पीके प्रणव और सुभाष चंद्रा की देखरख में तैयार किया गया है। टिन की प्लेट से निर्मित मशीन को 'हैंड टूल फार ओकरा हार्वेस्टिंग' नाम दिया गया है। इसे तैयार करने में दो साल का समय लगा है। फिलहाल इसे विश्वविद्यालय स्तर पर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। व्यावसायिक निर्माण के लिए दो कंपनियों से बातचीत चल रही है।

समस्तीपुर में भिंडी काटने का प्रशिक्षण देते विज्ञानी डा. पीके प्रणव। सौ.स्वयं

100 से अधिक किसानों को दिया गया प्रशिक्षण

मशीन के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाने वाले विज्ञानी डा. पीके प्रणव का कहना है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएसआर) की ओर से अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत काम शुरू किया गया था। अक्टूबर, 2021 में निर्माण के बाद परिषद को ट्रायल दिखाया गया था। इसके बाद विश्वविद्यालय के फार्म और आसपास के गांवों में इसका परीक्षण किया गया। अब तक पूसा, कल्याणपुर और आसपास के प्रखंडों के 100 से अधिक किसानों को भिंडी कटाई का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। 25 किसान इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। सकारात्मक फीडबैक मिलने से उत्साह बढ़ा है। मशीन की खासियत है कि यह हस्तचालित है। इसे चलाने में किसी विशेष तकनीकी ज्ञान की जरूरत नहीं है, इसलिए यह किसानों की सहूलियत बढ़ाती है।

समस्तीपुर के कल्याणपुर में किसान को मशीन सौंपते विज्ञानी। सौ. विश्वविद्यालय

एक घंटे में 14 किलो भिंडी तोड़ने में सक्षम

इस मशीन में ब्लेड, कलेक्टर, बाक्स, फ्लैपर एवं लीवर का इस्तेमाल किया गया है। इससे एक घंटे में करीब 14 किलोग्राम भिंडी तोड़ी जा सकती है। इसके बाक्स में भिंडी रखने की क्षमता 250 से 300 ग्राम तक है। भिंडी तोड़ाई के समय स्टोर करने के लिए चौड़े मुंह वाला एक थैला रखना होगा। इस मशीन की खासियत यह भी है कि भिंडी को बिना छुए आसानी से स्टोर किया जाता है। इससे उसकी भंडारण अवधि बढ़ जाती है। विज्ञानी का कहना है कि हाथ से तोड़ी गई भिंडी सामान्य तापमान पर तीन दिन तक रह सकती है, जबकि इस मशीन से काटी गई भिंडी चार दिन तक रह सकती है। मशीन के पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है। व्यावसायिक निर्माण के बाद इसकी अनुमानित कीमत 300 से 400 रुपये तक हो सकती है। फिलहाल कोई किसान अभी खरीदना चाहता है तो कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय के फार्म मशीनरी एंड पावर इंजीनियरिंग विभाग से संपर्क करना होगा। यहां इसकी कीमत 200 रुपये है।

समस्तीपुर के कल्याणपुर में किसानों को मशीन से भिंडी कटाई की दी जा रही जानकारी। सौ. विश्वविद्यालय

फसल और पौधों को नुकसान नहीं

पूसा के किसान सुनील कुमार बताते हैं कि पहले हाथ से भिंडी तोड़ने में परेशानी होती थी। इस दौरान हाथ में खुजली होने लगती थी। कमजोर पौधे कई बार टूट भी जाते थे। इस मशीन से सहूलियत बढ़ी है।विश्वविद्यालय स्तर पर मशीन चलाने का प्रशिक्षण लेकर इसका इस्तेमाल कर रहा हूं। फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है। किसान अजय कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मशीन का इस्तेमाल महिलाएं भी आसानी से कर ले रही हैं।


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