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    किडनी रोग से बचाव में जीवनशैली की भूमिका अहम, आयुर्वेद में बिना दुष्प्रभाव इसके रोग का उपचार

    By Vyas ChandraEdited By:
    Updated: Fri, 11 Mar 2022 08:55 AM (IST)

    World Kidney Day मानव शरीर में किडनी की अहम भूमिका होती है। गलत लाइफस्‍टाइल मोटापा डायबीटीज जैसी बीमारियों के कारण इससे जुड़े रोगों की संख्‍या में तेज ...और पढ़ें

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    जीवनशैली में बदलाव कर बचे रह सकते हैं किडनी की बीमारी से। सांकेतिक तस्‍वीर

    पटना, जागरण संवाददाता। World Kidney Day : गलत खानपान, अव्यवस्थित जीवनशैली के कारण किडनी रोग (Kidney Disease) महामारी के रूप में उभर रहा है। अगर शुरुआती चरण में इसकी पहचान कर उपचार नहीं कराया गया तो एलोपैथी में महंगी डायलिसिस और दवाएं और अंत में किडनी ट्रांसप्लांट ही इसका उपचार है। वहीं आयुर्वेद में प्रारंभिक से लेकर गंभीर क्रानिक रोगियों तक के लिए काफी कारगर उपचार उपलब्ध है। ये बातें राजकीय आयुर्वेदिक कालेज के प्राचार्य डा. संपूर्णानंद तिवारी और डा. सुशील कुमार झा ने कही।

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    पुनर्नवा, गोखरु समेत कई औषधियां

    नों चिकित्‍सकों के अनुसार आयुर्वेद में किडनी रोगों के इलाज के लिए पुनर्नवा, गोखरू, वरुण और शिगरू जैसी कई बहुमूल्य औषधियां उपलब्ध हैं। गुरुवार को विश्व किडनी दिवस पर दोनों वैद्यों ने यह जानकारी दी। डा. संपूर्णानंद तिवारी ने बताया कि आमजन को अपनी सेहत के लिए सजग होना होगा। इसके लिए उन्हें कुछ खास उपाय भी नहीं करने हैं केवल स्वस्थ जीवनशैली को अपनी आदत बनाना है।

    अपने भोजन में बढ़ाएं सब्जियों की मात्रा

    घर का बना ताजा पौष्टिक आहार लें, भोजन में 50 प्रतिशत तक मात्रा मौसमी फलों व सब्जियों की हो, एक घंटे शारीरिक श्रम व योग-प्राणायाम करें तो किडनी समेत उसके कारक शुगर, बीपी, मोटापे व काफी हद तक संक्रमणों से बचा जा सकता है। इसके अलावा फास्ट फूड से परहेज, अधिक रासायनिक खाद व कीटनाशक के इस्तेमाल से उपजाए अन्न की जगह जैविक खाद वाली फसलाें के सेवन, समय पर सोने और जागने की आदत, मूल-मूत्र के वेग को रोकें नहीं और सबसे जरूरी ऋतु के अनुसार दिनचर्या का पालन करें। इससे स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।

    लंबे समय तक नहीं दिखता किडनी रोग का लक्षण 

    विश्व किडनी दिवस पर गुरुवार को पाटलिपुत्र स्थित रूबन मेमोरियल हास्पिटल में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अस्पताल के प्रबंध निदेशक डा. सत्यजीत सिंह ने कहा कि आधुनिक जीवनशैली में बढ़ता वजन, अनियंत्रित शुगर और उच्च रक्तचाप से गत दशकों में किडनी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अब 15 से 20 वर्ष के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। लंबे समय तक इसके लक्षण नहीं उभरने से लोग इससे अंजान रहते हैं और सीधे डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की स्थिति में पहुंच जाते हैं। दूसरी ओर दो किडनी होने के बावजूद अभी एक किडनी अपनों को देने में लोग काफी ऊहाफोह में रहते हैं। एक किडनी देने से डोनर को कोई परेशानी नहीं होती है बल्कि उनके अपने दोबारा सामान्य जिंदगी दे सकते हैं। जिंदा के साथ ब्रेन डेड लोगों के अंगदान के प्रति भी लोग बहुत जागरूक नहीं हैं। यही कारण है कि समय पर किडनी नहीं मिलने के कारण देश में बड़ी संख्या में मरीजों की मौत हो जाती है।

    शरीर के किसी भी अंग पर दिख सकता है प्रभाव

    वहीं किडनी रोग विशेषज्ञ डा. पंकज हंस ने कहा कि बार-बार पेशाब, पैर-हाथ व चेहरे में सूजन, घुटनों में दर्द समेत सिर से पैर तक किसी भी अंग में किडनी रोग का दुष्प्रभाव दिख सकता है। बचाव के लिए जरूरी है कि शुगर-बीपी नियंत्रित रखा जाए, वजन नियंत्रित रखा जाए, दर्द निवारक के लिए पैरासिटामाल ही लें, संतुलित आहार और संतुलित मात्रा में पानी का सेवन करें। धूम्रपान व शराब से परहेज बेहतर है।