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    मध्यकालीन इतिहास के मूर्धन्य इतिहासकार थे प्रो. सैयद हसन

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 12 Nov 2017 03:06 AM (IST)

    बिहार राज्य अभिलेखागार भवन में प्रो. सैयद हसन अस्करी व्याख्यान पर का आयोजन। पटना - पद्मश्

    मध्यकालीन इतिहास के मूर्धन्य इतिहासकार थे प्रो. सैयद हसन

    - बिहार राज्य अभिलेखागार भवन में प्रो. सैयद हसन अस्करी व्याख्यान पर का आयोजन

    पटना - पद्मश्री प्रो. सैयद हसन अस्करी मध्यकालीन इतिहास के मूर्धन्य इतिहासकार थे। उनका जीवन सादा था। मध्यकालीन पूर्वी भारत के सूफी धर्म पर उनके द्वारा किए गए कार्य काफी प्रशंसनीय हैं। उनका शोध कार्य मूल रूप से स्त्रोत पर आधारित है। मध्यकालीन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उनके 350 शोध-पत्रों का प्रकाशन विभिन्न जर्नल्स में हुआ। ये बातें बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय के अभिलेख निदेशक डॉ. विजय कुमार ने कहीं। मौका था अभिलेखागार निदेशालय की ओर से पद्मश्री सैयद हसन अस्करी व्याख्यान पर आयोजन के का। डॉ. कुमार ने कहा कि उनके द्वारा किए गए कार्य आज शोधार्थियों के लिए काफी उपयोगी है।

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    उपलब्धियों के लिए हुए पुरस्कृत - डॉ. कुमार ने कहा कि अस्करी का व्यक्तित्व और अनेक रचनाओं के लिए बिहार रत्‍‌न और पद्मश्री से अलंकृत किया गया। प्रो. अस्करी का एकेडिमक जीवन पटना विवि के इतिहास विभाग के व्याख्याता के रूप में प्रारंभ हुआ। शांति निकेतन विवि कोलकाता के प्रो. एजाज अहमद ने सूफी प्रख्यान एंड द प्रोसेस विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्यकालीन साहित्य में सूफी प्रेमाख्यान का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इनके रचयिताओं में मुल्ला दाउद, शेख कुतबान, मलिक मोहम्मद जायसी, मीरमंझान आदि प्रमुख रहे। इनकी कृतियां में चंदायन, मृगवती, पद्मावत, मधुमालती आदि प्रसिद्ध रचनाएं हैं। ये आमजन की भाषा अवधी, भोजपुरी आदि भाषा में हैं। जिससे इनका प्रभाव जनमानस पर काफी पड़ा है। इनका ¨हदू-मुस्लिम समाज के सांस्कृतिक एकता एवं समन्वय में महत्वपूर्ण योगदान रहा। समारोह की अध्यक्षता करते हुए खुदावक्श ओरियंटल लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक डॉ. इम्त्याज अहमद ने कहा कि प्रो. अस्करी मध्यकालीन इतिहास के प्रसिद्ध इतिहासकार थे। प्रो. अस्करी ने सभी स्त्रोत पर विशेष महत्व दिया जिसमें मध्यकालीन भारतीय इतिहास में नयी खोज की जा सके। प्रो. अस्करी ने अपने एकत्रित सामग्रियों पर पांच बेहतरीन किताबें लिखी जिसे खुदावक्श ओरियंटल पब्लिक लाइब्रेरी पटना द्वारा प्रकाशित किया गया। उन्होंने फारसी भाषा में भी रचनाएं लिखी।

    व्याख्यान समारोह में पूर्व निदेशक तारा सिन्हा, प्रो. रत्‍‌नेशवर मिश्र, डॉ. जवाहर लाल वर्मा, एमटी खान, पूर्व रजिस्ट्रार पटना हाईकोर्ट के रेयाज हुसैन, डॉ. चितरंजन सिन्हा आदि ने अपने उद्गार व्यक्त किए। मौके पर उप अभिलेख निदेशक डॉ. चंद्रमोहन सिंह, सहायक अभिलेख निदेशक उदय कुमार ठाकुर, राजीव रंजन, डॉ. भारती वर्मा, डॉ. चिंतन चंद्रा, डॉ. मदन मिश्र, रामकुमार मिश्र, मोहम्मद असलम, सरपंच राम, राजेंद्र चौधरी, शशि लकड़ा, अशोक कुमार, रतन कुमार, प्रेमजीत कुमार सिन्हा, सूर्यकांत कुमार, अजीत कुमार, संजय गोस्वामी आदि मौजूद थे।

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