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    बिहार में 5% लोग सफेद दाग से पीड़ित, पुरुषों से अधिक महिलाओं में समस्या; फोटोथेरेपी दे रही राहत

    पीएमसीएच की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 20 से 30 मरीज सफेद दाग का इलाज कराने पहुंचते हैं। 40 से 80 प्रतिशत मरीज फोटोथेरेपी (नैरोबैंड यूवीबी) से ही ठीक हो जाते हैं।

    By PAWAN KUMAR MISHRAEdited By: Akshay PandeyUpdated: Wed, 25 Jun 2025 01:34 PM (IST)
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    सफेद दाग के मामले पटना में भी हैं। सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, पटना। विटिलिगो यानी सफेद दाग कोई संक्रामक या छुआछूत का रोग नहीं है। यह एक सामान्य त्वचा विकार है, जिसमें शरीर के कुछ हिस्सों पर मेलानिन (त्वचा को रंग देने वाला पिगमेंट) बनना बंद हो जाता है। इससे उस जगह पर सफेद दाग दिखने लगते हैं। देश व प्रदेश की चार से पांच प्रतिशत आबादी इससे ग्रसित है।

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    सिर्फ पीएमसीएच की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 20 से 30 मरीज इसका इलाज कराने पहुंचते हैं। 40 से 80 प्रतिशत मरीज फोटोथेरेपी (नैरोबैंड यूवीबी) से ही ठीक हो जाते हैं। होंठ, पैर, हथेली के दाग एक्साइमर लेजर से ठीक हाे जाते हैं। वहीं कुछ मामलों में स्किन ग्राफ्टिंग, पंच या ब्लिस्टर ग्राफ्टिंग की जरूरत पड़ती है।

     

    बावजूद इसके इलाज के लिए पीएमसीएच-एनएमसीएच में रोगियों की भीड़ रहती है क्योंकि आइजीआइएमएस व एम्स पटना में सर्जरी नहीं की जाती है। यह जानकारी 25 जून को बनाए जाने वाले विश्व सफेद दाग दिवस व आइडीएवीएल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सह पीएमसीएच में चर्म रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अभिषेक कुमार झा, एनएमसीएच के डा. विकास शंकर, डा. सुधांशु सिंह व डा. पीके राय ने मंगलवार को कहीं।

     

     

    जागररूकता व आत्मविश्वास बढ़ाने को मनाया जाता दिवस 

     


    डा. अभिषेक कुमार झा ने कहा कि आमजन खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी सफेद दाग को लेकर कई मिथक व भेदभाव कायम है। सामाजिक तिरस्कार के कारण मरीज मानसिक रूप से तनावग्रस्त हो जाता है। ऐसे में आमजन को इस रोग के प्रति जागरूक करना व रोगियों में आत्मविश्वास बढ़ाने को हर वर्ष सफेद दाग दिवस मनाया जाता है।

     

    सही समय पर त्वचा विशेषज्ञ की सलाह लेकर दवाओं, लेजर, फोटोथेरेपी एवं सर्जरी से सफेद दाग को दूर या काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। प्रदेश की कुल आबादी के करीब 4 से पांच प्रतिशत लोग इसकी चपेट में हैं। इसमें महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है। ओपीडी में जो रोगी उपचार कराने आते हैं उनमें सबसे अधिक संख्या 30 वर्ष तक के मरीजों की होती है। हालांकि, यह समस्या बच्चों में भी काफी देखी जा रही है। इस रोग का सबसे खराब पहलू यह है कि 77 प्रतिशत मामलों में यह रोग बढ़ता है।

     

     

    सफेद दाग के बारे में जानने वाले तथ्य 

     

     

    • - समय पर पहचान करें, जल्दी इलाज से बेहतर परिणाम मिलते हैं ।
    • -इस भ्रम को दूर करें कि यह संक्रामक या कुष्ठ जैसी कोई गंभीर बीमारी है।
    • - मनोवैज्ञानिक सहयोग व स्वीकार्यता रोगियों के आत्मविश्वास व जीवन गुणवत्ता के लिए जरूरी है ।
    • -भारत में विटिलिगो के रोगियों का जीवनस्तर प्रभावित होता है, आत्म-गौरव व आत्म-सम्मान में गिरावट देखी गई है ।
    • -रोगी मानसिक सहयोग, काउंसलिंग व मनोवैज्ञानिक सुविधा की तलाश में आते हैं।